यात्रा मंजिल पर पहुँचने का जरिया है मंजिल को पाने के लिए यात्रा तो करनी पड़ेगी ,यात्रा करना और यात्रा को जीना दो अलग अलग बातें हैं आपने यात्रायें तो बहुत की होगी लेकिन आपको क्या याद पड़ता है कि किस यात्रा को आपने जीया था चलिए आज किसी यात्रा को जीया जाए यात्रा हमारे जीवन का अहम् हिस्सा है और जीवन भी एक यात्रा तो ही है हर दिन कुछ नया कुछ अनोखा हाँ ऐसा होता है लेकिन हम अपनी जिन्दगी की दुश्वारियों में उस अनोखे पन को देख ही नहीं पाते किसी भी जर्नी में नया क्या होता है जरा सोचिये वही इंसान और वही नेचर हाँ नया होता है इंसानों का पहनावा , उनका कल्चर नेचर का नया रूप कहीं पहाड़ , नदी समुद्र वगैरह आप परेशान मत होइए हम चल पड़े हैं अमेरिका की यात्रा को जीने मत भूलियेगा इस यात्रा में हमारी साथी है जिन्दगी हमारी यात्रा दिल्ली से शुरू हुई दिल्ली से अबुधाबी , अबुधाबी से न्यू योर्क और न्यू योर्क से लोस एंजलिस ये सारे शहर हमारी यात्रा के पड़ाव थे इनसे गुज़रे बगैर मंजिल तक नहीं पहुंचा जा सकता है जिन्दगी के भी कई पड़ाव होते हैं बचपने से लेकर बुढ़ापे तक और हर पड़ाव हमारे एक्सपीरिएंस में इजाफा करता है .
आइये आगे चलते हैं उम्मीद करता हूँ आप मेरे साथ इस यात्रा का लुत्फ़ उठा रहे होंगे न्यू योर्क शहर में जब हम उतरे तो हमारा स्वागत बर्फ बारी ने किया क्रिसमस के मौसम में इससे अच्छा स्वागत क्या हो सकता है उसके बाद जोरदार बारिश मुझे लगा ये प्रकर्ति के स्वागत का अनोखा तरीका है. कहते हैं रोग कितना भी गंभीर क्यों न हो अगर डॉक्टर हंस कर बात कर ले तो आधी बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है इमीग्रैसन ऑफिसर ने हंसकर हमारा अमेरिका में स्वागत किया तो मेरी थकान वहीं ख़तम हो गयी , खैर यात्रा जारी रही वहां से लोस एंजलिस की उड़ान थोड़ी देर में हम होटल के रास्ते में थे चौड़ी चौड़ी सड़कें जिनपर सरपट दौड़ते चौपहिया वाहन रौशनी से जगमगाता शहर वैसे जब हमारा विमान लोस एंजलिस एअरपोर्ट पर लैंड कर रहा था तो नीचे मैंने रौशनी में जगमगाता शहर देखा क्या खूबसूरती से समकोणपर काटती सड़कें पूरा शहर एक खूबसूरत लैंड एस्केप लग रहा था .
इस वक्त पूरा अमेरिका उत्सव के रंग में रंगा है चारों तरफ क्रिसमस की धूम है शाम को रौशनी में धुले शहर को देखने का अज़ब मज़ा है चारों तरफ रौशनी घर के अन्दर क्रिसमस ट्री और घर के बाहर बिजली की सजावट और क्रिसमस की झांकी मैं भी सोच रहा था इंसान कहीं भी रहे दुनिया के किसी कोने में खुशियाँ मनाने के तरीके एक जैसे ही होते हैं खुशियों की जबान कोई भी समझ सकता है इसके लिए किसी भाषा को जानना जरुरी नहीं होता मुझे ऐसा लग रहा था कि हम दीपावली का त्यौहार मनाने की तैयारी कर रहे हों . हलकी बारिश और सर्द हवा मौसम को खुशगवार बना रही थी और मैं अपने आप को इस खूबसूरत मौसम में खोज रहा था सही है दोस्तों यात्रा में मन दार्शनिक हो जाता है हम अपनी तलाश में निकल पड़ते हैं जिसका मौका जीवन की भाग दौड़ में कम ही मिलता है . जिस शहर में मैं था उसके आस पास का एनवोइरमेंट कई मामलों में अनोखा है यहाँ पर्वत है समुद्र है रेगिस्तान और ज्वालामुखी भी और जिन्दगी भी ऐसी ही है सुख है दुख है और कभी कभी नीरसता भी लेकिन जिन्दगी तो जिन्दगी है मैं जोशुवा ट्री नेशनल पार्क कैलिफोर्निया देखने गया असल में ये एक रेगिस्तान है जो सैकडों किलो मीटर में फैला है हाँ यहाँ के रेगिस्तान हमारे रेगिस्तान से एक दम अलग हैं यहाँ रेत की जगह चट्टानें हैं और जोशुवा पेड़ जो दुनिया में सिर्फ यही पाया जाता है जिसको दूर से देखने पर लगता है कोई इंसान बाहें पसारे आसमान की तरफ देख रहा है सन्नाटा ऐसा कि कभी कभी अपने न होने का एहसास होता है प्रकर्ति के इस अद्भुत रूप को देखने के बाद बारी थी कुछ इंसानी दुनिया की रंगीनी को देखने की हम चले होलीवूड .रौशनी से नहाया हुआ चारों ओर रौशनी और साल की पहली बारिश से भीगता शहर मै भी भीग रहा था . अब हमें लौटना था लेकिन मेरा मन तो भीग चुका था यात्रा की सुहानी यादों से
शायद यात्रा को जीना इससे को कहते है आप क्या कहते हैं
आई नेक्स्ट में ९ जनवरी को प्रकाशित
इस वक्त पूरा अमेरिका उत्सव के रंग में रंगा है चारों तरफ क्रिसमस की धूम है शाम को रौशनी में धुले शहर को देखने का अज़ब मज़ा है चारों तरफ रौशनी घर के अन्दर क्रिसमस ट्री और घर के बाहर बिजली की सजावट और क्रिसमस की झांकी मैं भी सोच रहा था इंसान कहीं भी रहे दुनिया के किसी कोने में खुशियाँ मनाने के तरीके एक जैसे ही होते हैं खुशियों की जबान कोई भी समझ सकता है इसके लिए किसी भाषा को जानना जरुरी नहीं होता मुझे ऐसा लग रहा था कि हम दीपावली का त्यौहार मनाने की तैयारी कर रहे हों . हलकी बारिश और सर्द हवा मौसम को खुशगवार बना रही थी और मैं अपने आप को इस खूबसूरत मौसम में खोज रहा था सही है दोस्तों यात्रा में मन दार्शनिक हो जाता है हम अपनी तलाश में निकल पड़ते हैं जिसका मौका जीवन की भाग दौड़ में कम ही मिलता है . जिस शहर में मैं था उसके आस पास का एनवोइरमेंट कई मामलों में अनोखा है यहाँ पर्वत है समुद्र है रेगिस्तान और ज्वालामुखी भी और जिन्दगी भी ऐसी ही है सुख है दुख है और कभी कभी नीरसता भी लेकिन जिन्दगी तो जिन्दगी है मैं जोशुवा ट्री नेशनल पार्क कैलिफोर्निया देखने गया असल में ये एक रेगिस्तान है जो सैकडों किलो मीटर में फैला है हाँ यहाँ के रेगिस्तान हमारे रेगिस्तान से एक दम अलग हैं यहाँ रेत की जगह चट्टानें हैं और जोशुवा पेड़ जो दुनिया में सिर्फ यही पाया जाता है जिसको दूर से देखने पर लगता है कोई इंसान बाहें पसारे आसमान की तरफ देख रहा है सन्नाटा ऐसा कि कभी कभी अपने न होने का एहसास होता है प्रकर्ति के इस अद्भुत रूप को देखने के बाद बारी थी कुछ इंसानी दुनिया की रंगीनी को देखने की हम चले होलीवूड .रौशनी से नहाया हुआ चारों ओर रौशनी और साल की पहली बारिश से भीगता शहर मै भी भीग रहा था . अब हमें लौटना था लेकिन मेरा मन तो भीग चुका था यात्रा की सुहानी यादों से
शायद यात्रा को जीना इससे को कहते है आप क्या कहते हैं
आई नेक्स्ट में ९ जनवरी को प्रकाशित
7 comments:
बेहतरीन यात्रा वृत्तान्त.
वाकई इन सब जगहों को देखा हमने भी है...जिआ आपके साथ...
बहुत उम्दा वृतांत!!
सर सही कहा आपने जीवन भी एक यात्रा है लेकिन न जाने कितनो को अपनी मज़िल यात्रा के बाद भी नहीं मिलती और कितनो को बिना यात्रा के भी मिलजाती है
Apke sabdo ki relgari main ham bhi america ki sair kar aaye......very nice and intersting article about ur visit to such nice place. great
Kiran
aisa laga hum khud apki yatra me sath gaye the. sundar vivran prastut kiya hai apne...
मकर संक्रांति पर्व की बहुत शुभकामनायें.
Is yatra varttant ko pad kar hum bhi vaha hone aesahas mehsus kar rahe the
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