Wednesday, April 28, 2010

अंदाज़ ए बयां और ...........


जिन्दगी का पहिया जिस तरह घूम रहा है बहुत सारी चीज़ें हमसे छूट जाती हैं लेकिन जिन्दगी की हर छूटी हुई चीज़ का कहीं न कहीं कोई कनेक्शन होता जरूर है जैसे बचपने में सुनी एक कहावत भूख लगे तो खाना खाओ और डर लगे तो गाना गाओ अब ये कहाँ तक सही है ये तो पता नहीं पर खाने और गाने का भी कोई सम्बन्ध हो सकता है भला आइये जरा आज इस पर नज़र डालते हैं कि फ़िल्मी गाने इस सम्बन्ध को कैसे देखते हैं .वैसे गाना तभी गया जा सकता है जब पेट भरा हो तो भला इतना महत्वपूर्ण हिस्सा गानों से कैसे छूटा रह सकता था वैसे जैसे वक्त के साथ साथ हमारे गाने बदले हैं उसी तरह हमारे खाने का तौर तरीका भी बदला है . वैसे भी स्वस्थ खाओ तन मन जगाओ की बात कोई नयी नहीं है इसी लिए ये गाना कहता है दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ (संत ज्ञानेश्वर ) दाल रोटी में आज के टाइम  के हिसाब से आप प्रयोग कर सकते हैं खाना कितना भी अच्छा क्यों न हो अगर आप स्ट्रेस में हो तो वो आपके शरीर में नहीं लगेगा खाने में कुछ भी मिले मन से खाइए और अगर खिलाने  वाला कोई अपना साथी हो तो क्या कहने "रुखी सूखी रोटी तेरे हांथों  की खा के आया मज़ा बड़ा" (नायक ) वैसे भी खाने से पहले अगर नाश्ते की बात कर ली जाए तो कैसा रहेगा डोक्टर भी कहते हैं खाली पेट नहीं रहना चाहिए तो चने के बारे में क्या ख्याल है चना जोर गरम बाबू मैं  लाया मजेदार (क्रांति ) .खाना अगर अपनी मेहनत का मिले तो उसका क्या कहना क्योंकि "खून पसीने की जो मिलेगी तो खायेंगे नहीं तो यारों हम भूखे ही सो जायेंगे" (खून पसीना ) खाना में अगर अपना पसीना मिला है तो समझ लीजिये वो ऐसे ही नमकीन हो गया नमक अगर खाने में न हो तो खाना बेस्वाद होता है वैसे ही जिन्दगी में अगर उतार चढाव न हो तो ऐसी जिन्दगी का क्या मतलब पर अति किसी चीज़ की अच्छी नहीं होती तो क्यों न थोडा सी  मिर्च खा ली जाए "उफ़ ये मिर्ची है ये मिर्ची "(बीवी न. वन )पर कभी ऐसा भी होता है कि हम घर पर नहीं होते हैं या किसी काम से बाहर का खाना खाना पड़ता है जिसे हम स्ट्रीट फ़ूड कहते हैं "मैं तो रस्ते से जा रहा था मैं तो भेल पूड़ी खा रहा था(कुली  न. वन ) " खाइए जरूर खाइए रोज रोज एक सा खाना भी मज़ा नहीं देता है तो इसका भी लुत्फ़ उठाइए पर हेल्थ और हयजीन  की कीमत पर नहीं अगर खाना साफ़ सुथरा है तो किसी को भी मिर्ची लगे आप परवाह मत कीजिये . जिन्दगी में भी तो कुछ नया नहीं होता तो हम बोर होने लगते हैं तो खाने  में भी कुछ नया ट्राय कीजिये खाना तभी आपके लिए बेहतर होगा  जब उसमे प्रोपर मिनरल्स और नेव्त्रिसिंस  होंगे इसके जरुरी है कि खाने में फल और कुछ जरुरी चीजों की सही मात्रा हो. फल में तो गीतकारों का सबसे प्रिय फल है अंगूर ये गाना जिन्दगी और खाने के फलसफे को कितनी खूबसूरती से बयां कर रहा है "ये जीना है अंगूर का दाना कुछ पक्का है कुछ कचा  है ध्यान दीजियेगा अधपका खाना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है खाना कुछ भी खाएं पर ठीक से पका कर खाएं . वैसे जिन्दगी को समझने का एक तरीका अंडे से भी सीखा जा सकता है नहीं समझे न तो आओ सीखाएं तुम्हें अंडे का फंडा , फिलहाल तो अंडे का फंडा यही है सन्डे हो या रोज खाएं अंडे . हिन्दुस्तानी खाना बिना मिठाई के पूरा नहीं होता तो कुछ मीठा हो जाये ये अलग बात है कि इस बदलते वक्त में मीठे के प्रकार बदले है पर उनकी मिठास नहीं बदली है मिठाईयों की जगह चोकलेट और आईस क्रीम ने ले ली है तभी तो   चोकलेट आइस क्रीम लाइम जूस और टोफियाँ पहले जैसे मेरे शौक अब हैं कहाँ (हम आपके हैं कौन ).जी हाँ शौक तो बदलते रहते हैं वो चाहे गाने के हों या खाने के पर चलते चलते खाने के बाद अगर पान की बात न की जाए तो लगता है खाना पूरा नहीं हुआ तो खायके पान बनारस वाला खुल जाए बंद अक्ल का ताला “(डान)
गर्मी के इस मौसम में डिफ्रेन्ट स्वाद के खानों का तड़का लगाते रहिये और जीते रहिये 
फिर मिलेंगे 
आई नेक्स्ट में २७ अप्रैल को प्रकाशित 

7 comments:

Shekhar Kumawat said...

BAHUT KHUB

BADHAI IS KE LIYE AAP KO


SHEKHAR KUMAWAT

deepakkibaten said...

gano ke bahane badi achchi baten kar deen aapne. Padhkar maza aaya

डॉ. मनोज मिश्र said...

सुंदर पोस्ट ,धन्यवाद.

addictionofcinema said...

bahut bahidya mukul jee
kuchh akhbaron me apka likha padhkar apka kuchh aur padhne ki ichha hoti thi jo apke blog pe akar puri ho rahi hai.......bahut badhai
apse baat karne ki bhi ichha hai......apna number denge agar koi aitraz na ho...
Vimal chandra Pandey
vimalpandey1981@gmail.com
UNI, Lucknow

PRATIGYA SHUKLA said...

khane ki chezon se jindagi ka relation....... bilkul hat ke......
maza aa gya padh kr...

AAGAZ.. said...

सर खाने-पीने की बात हो और चाय- कॉफ़ी की न हो तो कैसे चलेगा. सलमान खान भी तो कहते हैं " एक गरम चाय की प्याली हो, कोई उसको पिलाने वाली हो. इसीलिए लड़कियों की माँ भी बेटियों की शादी का ख्याल आने पर चाय पे ही बुलाती हैं. ( शायद मेरी शादी का ख्याल, दिल में आया है, इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है).
और अभिषेक बच्चन को भी एक सिंपल सी कॉफ़ी भी किक देती है ( ज़मीन).... क्यों सही है न सर :)

ARUSHIVERMA said...

NICE.

पसंद आया हो तो