अभी पिछले दिनों चार राज्यों के स्टेट इलेक्शन में दो महिलाओं ने मुख्यमंत्री के पद पर कब्ज़ा जमाया इसी के साथ शुरू हो गया एस एम् एस और ई मेल का सिलसिला जिसमे उनकी इस जीत को वूमेन ऍम पावर मेंट से जोड़ा गया एक एस एम् एस कुछ यूँ था है India now ruled by Amma in South; Didi in East; Bahenji in North; Aunty in Capital; Madam in Centre and Tai In Rashtarpati Bhawan यह सही भी है की देश में रायसीना हिल्स से लेकर रायटर्स बिल्डिंग तक महिलाओं को पहुँचने में बहुत समय लगा है. अब तक देश के २० प्रधान मंत्रियों में मात्र एक महिला रही है .पहली बार लोकसभा के अध्यक्ष की कुर्सी के साथ की देश के सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक शख्शियत भी एक महिला ही है. ऐसा भी नहीं कि इन तीन महिला मुख्यमंत्रियों से पहले महिला मुख्यमंत्रियों का अकाल रहा हो. दिल्ली में शीला,राजस्थान में वशुन्धरा और मध्यप्रदेश में उमा पहले भी थी. सुषमा के दिल्ली के शासनकाल को भी भुलाया नहीं जा सकता और अम्मा भी पहली बार सीएम् नहीं बनी हैं. हाँ इस बार कि ख़ास बात यह रही है कि इन तीनो को ही राजनीति कोई विरासत में नहीं मिली है. इन तीनो ने ही राजनीति में सक्सेज पाने से पहले एक लम्बी लड़ाई लड़ी है. पुरुषवादी समाज के दंश को झेला है.
ताने सुने हैं, लेकिन फिर भी आगे बढ़ी और आज सफलता की नयी इबारत लिखने को तैयार हैं. इस जीत के साथ ही एक सुखद संयोग रहा भारतीय प्रशाशनिक सेवा के रिजल्ट का. इसमें दोनों शीर्ष स्थानों पर लड़कियों ने बाजी मारी प्रथम स्थान चेन्नई की लॉ की छात्रा एस .दिव्यदर्शिनी को मिला और दूसरे स्थान पर कंप्यूटर इंजिनियर श्वेता मोहंती रही | आई ए एस जैसी परीक्षा में प्रथम दो स्थान लड़कियों को मिलना वो भी भारत जैसे देश में आसान नहीं है. इसी बीच में सीबीएसई और आईएसएसई के रिजल्ट भी आये. इनमे भी लड़कियों ने अपना परचम लहराए रखा है. यानि मात्र एक माह में महिला उपलब्धियों का अम्बार लग गया है अब वक़्त आ गया है जब हमें इंदिरा नूई, किरण बेदी जैसे कुछ गिने चुने नामों से आगे बढ़कर बात करनी चाहिए जरा याद कीजिये १९९१ में भारतीय सुन्दरी सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय ने विश्व सुन्दरी और ब्रह्माण्ड सुन्दरी का खिताब जीतकर कितनी भारतीय सुंदरियों को ग्लैमर वर्ल्ड में आने के लिए प्रेरित किया यानि किसी भी क्षेत्र में जब किसी महिला को सफलता मिलती है तो उसका असर सभी पर पड़ता है जीवन के किसी फील्ड में महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं है ये जुमला अब किताबी नहीं लगता हम अपने आस पास इस बदलाव को देख सकते हैं महसूस कर सकते हैं जरा दिमाग चलाइए और सोचिये क्या कोई ऐसा क्षेत्र बचा है जहाँ आप ने महिलाओं की सफलता के किस्से न सुने हों जहाँ उन्हें मौका मिला है उन्होंने बार बार अपने आप को साबित किया और हाँ जब आप उनके सफलता के किस्से पढ़ या सुन रहे हों तो ये न भूलें it’s man’s world ये बात आज भी सच है उन्हें अपने आपको साबित करने के लिए हर जगह पुरुषवादी समाज और सोच से लड़ना पड़ा है आज भी पुरुष और महिलाओं को परखने का हमारा नजरिया अलग अलग है राजनीति इसलिए महतवपूर्ण है क्योंकि ये एक ऐसा क्षेत्र रहा है जहाँ महिलाओं को आगे बढ़ने में पुरुषों से ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है इसलिए ममता दीदी और जया अम्मा के जज्बे को सलाम पर चलते चलते जरा देश की जनगडना के इस तथ्य पर भी गौर कीजियेगा जो ये बता रही है कि इस विकसित प्रगतिशील भारतीय समाज में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या लगातार कम हो रही है प्रति हजार पुरुषों के अनुपात में महिलाओं की संख्या 927 से घटकर 914 हो गई है। यही नहीं, गर्भ में लड़कियों की हत्या मामले में बढ़ोतरी हुई है। फिर भी महिलाएं आगे बढ़ रही हैं .
आई नेक्स्ट में ३१ मई को प्रकाशित
16 comments:
yes sir in 21st century .. our society r male dominated .. but .. i want to say .. agar apki hi tarah .. agar her male person ..apni mentality change kar le toh .. us din .. ik nya bharat hoga ..... sayad us din girls foeticide cases band ho jaayege .. sir ur article is very gud nd i respect ur thought ..
sir apki ye post b achhi lagi. ye vaqayi prerna dene vali hai.
sate elecation me jis tarah women lagatar age bad rahi hai usse lagta hai hi ki india me women kitani improve hui hai.jis tarh pur desh mahila sashan par tika hua hai aur ek naye disha ki or bad raha hai.UP me Mayawati. west Bangalk me mamta banargi, tamilnadu me amma,loksabha speekar meera kumar, soniya gandhi in logo ne bharat me mahilayo ko ek naye disha di hai.par kuch jagah abhi bhi mahilaye bahut pichi ha aur unhe aage badhane ki jarurat hai.
nari sakti aaj se hi nahi balki hamesa se prabhavi rahi hai.jaise kaha jata hai har kamyab insaan k piche ek aurat ka haath hota hai.unhone male ko to kamyaab banaya aur aaj unke sath kandhe se kandha mila kar chal rahi hai
आज महिलाएं वाकई में अपना दम दुनिया को दिखा रही हैं.. हर जगह अपना परचम लहरा रही हैं.. बस दुखद ये है कि भगवान की इस बेहद खूबसूरत रचना को कुछ स्वार्थी लोग गर्भ में ही मार देते हैं.. और मारने का तरीका भी ऐसा कि खुद मारने वाले की रूह कांप जाये.. पता नहीं और कब तक इस देश में कन्याओं को भ्रूण हत्या का दंश झेलना पड़ेगा..
और जो लड़कियां इस दुनिया में आ जाती हैं .. वो जीवन भर खुद की पहचान को संघर्ष ही करती रहती हैं.. उनका खुद का अपना कोई नाम नहीं , कोई वजूद नहीं .. वो बस बेटी है, बहू है, पत्नी है, माँ है, दादी, चाची, मामी,, और न जाने कितने रिश्तो को जीवन भर संजो के रखती है फिर भी पुरुषो की इस दुनियां में सम्मान से वंचित रह जाती है..
Sirji jahan chaah hai wohin par raah milti hai, aur raah milne ke baad hi manzil ka pata chalta...aajki naari apne aap mein itni sashakt hai ki ab koi bediyan usey jakad nahi sakti....ab rukna hi nahi sirf aagey hi badhna hai..
Like men's, wemen's are also getting self dependent, getting educated and entering in to every sector or field. Female foeticide is really a curse for all humanity and only education and information about such serious issue can stop it.
Woman must not accept; she must challenge.
She must not be awed by that which has been built up around her;
she must reverence that woman in her which struggles for expression.
aaj ke daur mein nari shakti aa rahi hai yeh baat sahi hai or mahilaye aage bhi bhad rahi hai lekin sir aapne last mein yeh baat apne article mein likhi bhi hai ki abhi bhi log garbh mein hi ladki ko marwa dete hai or yeh percent bohat zayda hai to soch to wahi hai na.....bhale hi mahilaye apne zor pe aage bhad rahi hai lekin mein yeh kahungi woh abhi bhi kamzor hai..or unko kamzor khud mahilayon ne hi banaya hai..pata nahi kasie ek hi section ke hote hue kaise aurto ko aurto se nafrat hoti hai lyk saas bahu ,nand bhabhi , devrani jhethani..yeh sab aise rishte hai jinka kadwapan hi aurat ko kamzor banata hai..ismein mardo ka bhi hath hai kyunki woh samj per dominate kerte hai lekin yeh bhi satay hai...
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