Wednesday, January 11, 2012

एक और एक ग्यारह


कुछ इन्टरेस्टिंग पढ़ना चाहते हैं रीयली चिल मार यार हाँ कुछ ऐसा है मेरे पास क्योंकि नया साल शुरू हो गया ग्रीटिंग्स का दौर खत्म हुआ अब लाईफ फिर से रापचिक बोले तो बिंदास आगे चल पडी है पर तुझे क्या ,तू तो कूल है ना आप भी सोच रहे होंगे कि ये मैं क्या लिख रहा हूँ .अरे ये तो आज के यांगिस्तानियों की चिट चैट है पर पिछला साल इन्हीं यांगिस्तानियों के नाम रहा .मेरे जीवन के कई बसंत सिर्फ यह सुनते सुनते बीत गए कि यूथ इर्रिस्पोंसिबल होता है पर क्या ऐसा वास्तव में होता है  मस्ती की पाठशाला में बिंदास जीवन का पाठ पढ़ रहे युवाओं ने देश ही  क्या सारी दुनिया में दिखा दिया कि ना तो वो गैर जिम्मेदार हैं और ना ही अपने आस पास के परिवेश से कटे हुए.अन्ना के आंदोलन में जब जनता सड़कों पर उतरी तो उनमे सबसे बड़ी भागीदारी इसी यूथ की थी जो अपनी दुनिया में बदलाव चाहते हैं जो करप्शन फ्री सिस्टम चाहते हैं जिसमे सबको आगे बढ़ने के समान मौके मिलें ये वही लोग थे जिनको अक्सर इस बात के लिए क्रिटिसाइज किया जाता था कि ये पता नहीं कंप्यूटर पर दिन भर बैठ कर क्या किया करते हैं लेकिन इनके विरोध का तरीका भी निराला था .जब हम हैं नए तो अंदाज़ क्यों हो पुराना एक दम झकास, वो एक गाना है ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा कोई साउंड पोलुशन नहीं हुआ पर सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर जो कुछ लिखा पढ़ा गया उसका असर सारे देश ने देखा और सुना भी लोग अपने घरों से बाहर निकल पड़े ये एक सेल्फ मोटीवेटेड प्रयास था ना लाउडस्पीकर बजे ना लोग घरों घरों में जाकर घूमे यानि ना बिल आये ना दिल घबराये फिर भी कमाल का असर हुआ .अब जब सिस्टम को सुधारने की बात की जायेगी तो उसका भारत में कम से कम एक ही तरीका है पोलीटिक्स में अच्छे और नए लोग ज्यादा से ज्यादा चुनकर आयें और ये काम पांच साल में एक ही बार होता है . कबार अगर हमने गलती कर दी तो पांच साल का इन्तिज़ार करना पड़ेगा .अमूमन यूथ इलेक्शन के समय वोट ये सोचकर नहीं जाता कि हमारे एक वोट से क्या होगा और वही एक कम  वोट सही  कैन्डीडेट को हरा देता है . पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव ने ये दिखाया था कि देश का यूथ पोलिटकली एक्टिव हो रहा है जब पच्चीस से चालीस साल की उम्र के 82 सांसद चुनकर आये थे पर जल्दी ही  होने वाले पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव हमारे आपके  लिए लिटमस टेस्ट होंगे क्योंकि हम जैसा सिस्टम चाहते हैं उसको बनाने की जिम्मेदारी हम किसको सौपने जा रहे हैं और इसके लिए हमें वोट देने जाना जरूरी है .वोटिंग डे को होलिडे मत समझिए ये सबसे बड़े काम का दिन है .मेरी बात पढकर शायद आप मान जाएँ पर वो जिसने ये लेख नहीं पढ़ा या चुनाव जिसकी  प्राथमिकता में नहीं है उनका क्या करें ? चलिए एक कोशिश कर के देखते हैं हम सभी टेक्सेवी तो हैं ही ना तो तकनीक को हम  अपना माध्यम बनाते हैं .आज से सोशल नेटवर्किंग साईट्स का इस्तेमाल लोगो को इस बात को मोटिवेट करने के लिए कीजिये कि लोग वोट देने जरुर जाएँ और वोट सही उम्मीदवार को दें .वोट देने के बाद तुरंत अपना स्टेटस अपडेट कीजिये जिससे आपका वो फ्रैंड जो थोडा सुस्त है उसे भी याद आ जाए कि जैसे हर एक फ्रैंड जरूरी होता है वैसे ही हर एक वोट भी .ब्लॉग लिखिए ,ग्रुप्स बनाइये लोगों को याद दिलाइए कि वोट डालने के लिए उन्होंने अपना नाम रजिस्टर्ड कराया या नहीं और ये काम हमें इसलिए करना है कि   ये हमारा देश है पर इसकी ज्यादा जिम्मेदारी हर यांगिस्तानी की है ध्यान रखियेगा भारत में 70 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ऐसे युवाओं की है, जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है तो आपकी जिम्मेदारी ज्यादा है .सोच क्या रहे हैं जल्दी से लग जाइए काम पर ये गाते हुए हर एक वोट जरूरी होता है.

आई नेक्स्ट में दिनांक 11/01/12 को प्रकाशित 

1 comment:

archana chaturvedi said...

harbaar ki tarah ye lakh bhi bhut hi aacha hai ..........
vote dene valo ko liye mai to ye kahti hu ki...
"Gulab ka phool bano!
Q k yeh phool
us k hath mein bhi
khusbu chor deta hai
jo isay masal kar phaink
deta hai."
vote dene se kam se kam hume ye hak to milega ki hum apne neta ke bare me khuch kah sake verna bina vote diye mai nai uchit samjhti ki apne sarkar ki burai karne ka hak hai hume..

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