यांगिस्तानियों के लिए 2000 का दशक कई मायने में महत्वपूर्ण रहा , यूँ कहें कि हम ऐसी कई चीजों का हिस्सा बने जो कल तक हमारे लिए अनमोल थीं और आज इतिहास हैं पर पिछले कुछ सालों में दू निया इतनी तेजी से बदल गयी कि हमें उन्हें याद करने का मौका नहीं मिला तो आज थोडा नोस्टालजिक हुआ जाए और ये पता किया जाए कि क्या वाकई क्योंकि यादें भी तो हमारे जीवन का हिस्सा हैं |अब अट्ठन्नी इतिहास बनने को है पर चवन्नी तो इतिहास बन चुकी है पचीस पैसे में भला आज क्या मिलेगा पर कभी यही चवन्नी हमें ज़माने भर की खुशियाँ दे देती हैं और उसी चवन्नी से जुडी हुई कितनी चीजें आउट डेटेड हो गयीं जैसे लेमनचूस ,कम्पट खाने से लेकर पहनने और पढ़ने तक कितना कुछ बदल गया |कोमिक्स पचास पैसे में किराए पर मिलती थी और वीडियो गेम विलासिता माने जाते थे |मोहल्ले में वी सी आर कहीं भी लगे आमन्त्रण की जरुरत नहीं थी बस सारी रात जागकर फिल्म तो देखनी ही थी|छत का ऐसा बहुउपयोगी प्रयोग तो शायद ही किसी सभ्यता ने ऐसा किया होगा |छतों पर क्रिकेट से लेकर फुटबाल और ना जाने कितने देशी विदेशी खेल, खेल लिए जाते शाम को दोस्तों और परिवार के साथ गप्प मारने की बेहतरीन जगह और गर्मी की रात में सोने के लिए इससे बेहतर जगह हो ही नहीं सकती थी जाड़े में धूप सेंकना हो तो बस छत ही याद आती थी त्योहारों पर तो असली रौनक छत पर ही दिखती थी |स्कूटर घर की शान हुआ करती थी सिलेंडर लाने से लेकर पूरे परिवार के साथ घूमने जाने तक न जाने कितने काम उन नन्हे पहियों पर हो जाया करते थे|सेंटी मत होइए दिन कैसे भी हों बीत ही जाते हैं हर इंसान को गुजरा कल अच्छा लगता है पर हमारे आज की बुनियाद उसी गुजरे हुए कल से निकली है आप सोचेंगे ऐसा कैसे हमें तो बस पुराने दिन याद आते हैं पर उन दिनों को याद करते हुए हम भूल जाते हैं कि उन दिनों में बहुत कुछ ऐसा था जो हम याद नहीं करना चाहते हैं इसलिए वो हमें याद नहीं रहता एक तरह की असंतुष्टि थी जिसने हमें अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित किया और अगर ऐसा ना होता तो स्कूटर कभी इतिहास नहीं बनता और नैनो कार का सपना कभी साकार नहीं होता फ़िल्मे देखने के लिए सारी रात जागने की जरुरत नहीं डी वी डी प्लेयर इतने सस्ते हो गए कि आप अपनी मर्जी से जब चाहें फिल्म देख सकते हैं |जिंदगी के मायने बदल रहे हैं क्योंकि समय बदल रहा है यादें को चिपका के अगर बदलाव से डरते रहे तो तरक्की का रास्ता धीमा हो जाएगा जेनरेशन गैप दो पीढ़ियों का टकराव हो सकता है पर विकास का रास्ता टकराव से ही बनता है जो तेरा है वो मेरा है वो पीढ़ियों में नहीं दोस्ती में अच्छा अच्छा लगता है क्योंकि दोस्ती दो समान विचार के लोगों में होती है पर दादा दादी के किस्से हमारे नहीं हो सकते और हमारे किस्से आगे आने वाली पीढ़ियों के नहीं है यही है आगे बढ़ने का फंडा यादों को दिल में जरुर रखिये पर जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहिये क्योंकि आज का मंत्र है जो तेरा है वो मेरा तो है पर टर्म एंड कंडीशन के साथ तो दुनिया बदल चुकी है और लोग भी आपकी यादों में जो कुछ भी है वो उस वक्त की निशानी है जब दुनिया इतनी तेज नहीं थी कि सुबह उठने के साथ मोबाईल के नए एप्स आपका इन्तजार कर रहे होते हैं तब कि दुनिया में टेक्नोलोजी इतना अहम रोल नहीं प्ले कर रही थी जितना आज अब अगर आज का जीवन आपकी यादों से ज्यादा आसान है तो कुछ ना कुछ कीमत तो चुकानी पड़ेगी क्योंकि सरसों का साग और पिज्जा एक साथ मिलना असंभव तो नहीं पर मुश्किल जरुर है तो बीती यादों का जश्न मनाया जाए और जो कुछ नया हो रहा है उसका स्वागत किया जाए हाँ अगर आपको इस लेख को पढकर बीते दिन याद आ गए तो फिर बदलाव के लिए तैयार रहिये क्योंकि यही बदलाव नयी पीढ़ी के लिए कल याद बन जाने वाले हैं |
आई नेक्स्ट में 12/09/12 को प्रकाशित
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