Sunday, April 19, 2015

बदल गयी संवाद की भाषा

संवाद के लिए हमेशा भाषा पर ज्यादा निर्भरता रही और भाषा के लिए लिपि जानने की अनिवार्यता यनी आपको कोई नयी भाषा सीखनी है तो पहले आपको उसकी लिपि सीखनी होगी पर क्या वास्तव में ऐसा है |कम से कम आज की इस बदलती दुनिया में ऐसा नहीं है | इंटरनेट के आगमन और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के बढ़ते चलन ने संचार के चलनों को कई तरह से प्रभावित किया है  जिसमें चिन्हों  और चित्र का इस्तेमाल संवाद का नया माध्यम बन रहा है इसके पहले उपभोक्ता और प्रयोगकर्ता देश के युवा बन रहे हैं |
बात को कुछ यूँ समझिये तकनीकी चिन्ह में हैशटैग सबसे आगे है जो अपनी बात को कहने का एकदम नया जरिया है तो दूसरा तरीका है द्रश्यों के सहारे अपनी बात कहना जल्दी ही वह समय  इतिहास हो जाने वाला है जब आपको कोई एसएमएस मिलेगा कि क्या हो रहा है और आप लिखकर जवाब देंगे। अब समय दृश्य संचार का है। आप तुरंत एक तस्वीर खींचेंगे या वीडियो बनाएंगे और पूछने वाले को भेज देंगे या एक स्माइली भेज देंगे। फोटो या छायाचित्र बहुत पहले से संचार का माध्यम रहे हैंपर सोशल नेटवर्किंग साइट्स और इंटरनेट के साथ ने इन्हें इंस्टेंट कम्युनिकेशन मोड (त्वरित संचार माध्यम) में बदल दिया है। अब महज शब्द नहींभाव और परिवेश भी बोल रहे हैं। इस संचार को समझने के लिए न तो किसी भाषा विशेष को जानने की अनिवार्यता है और न ही वर्तनी और व्याकरण की बंदिशें। तस्वीरें पूरी दुनिया की एक सार्वभौमिक भाषा बनकर उभर रही हैं। एसी नील्सन के नियंतण्र मीडिया खपत सूचकांक 2012 से पता चलता है कि एशिया (जापान को छोड़कर) और ब्रिक देशों में इंटरनेट मोबाइल फोन पर टीवी व वीडियो देखने की आदत पश्चिमी देशों व यूरोप के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है। मोबाइल पर लिखित एसएमएस संदेशों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। वायरलेस उद्योग की अंतरराष्ट्रीय संस्था सीटीआईए की रिपोर्ट के अनुसार साल 2012 में 2.19 ट्रिलियन एसएमएस संदेशों का आदान-प्रदान पूरी दुनिया में हुआजो2011 की तुलना में भेजे गए संदेशों की संख्या से पांच प्रतिशत कम रहा। वहीं मल्टीमीडिया मेसेज (एमएमएस) जिसमें फोटो और वीडियो शामिल हैंकी संख्या साल 2012 में 41 प्रतिशत बढ़कर 74.5 बिलियन हो गई। एक साधारण तस्वीर से संचारशब्दों और चिह्नों के मुकाबले कहीं आसान है। फेसबुक पर लोग प्रतिदिन 300 मिलियन चित्रों का आदान-प्रदान कर रहे हैं और साल भर में यह आंकड़ा 100 बिलियन का है। चित्रों का आदान-प्रदान करने वाले लोगों में एक बड़ी संख्या स्मार्टफोन प्रयोगकर्ताओं की है जो स्मार्टफोन द्वारा सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल करते हैं तथ्य यह भी है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स के बढ़ते इस्तेमाल में संचार के पारंपरिक तरीकेजिसका आधार भाषा हुआ करती थीवह कुछ निश्चित चिह्नों/प्रतीकों में बदल रही है। इसे हम इमोजीस या फिर इमोटिकॉन के रूप में जानते हैं जो चेहरे की अभिव्यक्ति जाहिर करते हैं। 1982 में अमेरिकी कंप्यूटर विज्ञानी स्कॉट फॉलमैन ने इसका आविष्कार किया था। स्कॉट फॉलमैन ने जब इसका आविष्कार किया थातब उन्होंने नहीं सोचा था कि एक दिन ये चित्र प्रतीक मानव संचार में इतनी बड़ी भूमिका निभाएंगे। सिस्को के अनुसार वर्ष 2016 में दुनिया भर में दस अरब मोबाइल फोन काम कर रहे होंगे। गूगल के एक सर्वे के मुताबिकभारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादाद फिलहाल अमेरिका के 24.5 करोड़ स्मार्टफोन धारकों के आधे से भी कम हैपर उम्मीद है कि 2016 तक मोबाइल फोन इंटरनेट तक पहुंचने का बड़ा जरिया बनेंगे और 350 करोड़ संभावित इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में से आधे से ज्यादा मोबाइल के जरिये ही इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे और निश्चय ही तब छायाचित्र संचार का दायर और बढ़ जाएगा वहीं  हैश टैग सोशल (#) मीडिया में अपनी बात को व्यवस्थित तरीके से कहने का नया तरीका  बन रहा है| जागरूकता के निर्माण के अलावा यह उन संगठनों के लिए वरदान है जिनके पास लोगों को संगठित करने के लिए विशाल संसाधन नहीं है | मूल रूप से यह दुनिया की किसी भी प्रचलित भाषा का शब्द या प्रतीक नहीं , मूलतः यह एक तकनीकी चिन्ह पर सब इसे धीरे धीरे अपना रहे हैं | कंप्यूटर और सोशल मीडिया लोगों को एक नयी भाषा दे रहा है | हैशटैग के पीछे नेटवर्क नहीं विचारों का संकलन तर्क शामिल है इससे जब आप किसी हैशटैग के साथ किसी विचार को आगे बढाते हैं तो वह इंटरनेट पर मौजूद उस विशाल जनसमूह का हिस्सा बन जाता है जो उसी हैश टैग के साथ अपनी बात कह रहा है |वहीं तस्वीरें और द्रश्य संवाद पर भाषा की निर्भरता को खत्म कर रहे हैं |
हिन्दुस्तान युवा में 19/04/15 को प्रकाशित 

1 comment:

Sudhanshuthakur said...

ओलम्पिक के दिनों ओलम्पिक टीमों के लिए 207 इमोजी बनाए गए थे। वैसे ही गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में ट्विटर इंडिया के प्रमुख विरल जैन ने लोगो को बातया था की जब लोग GaneshChaturthi, #HappyGaneshChaturthi या #Ganeshotsav के साथ ट्वीट करेंगे तो हैशटैग के बाद भगवान गणेश की इमोजी एक्टीवेट हो जाएगी। इससे साफ है की जैसे-जैसे लोग इसमें घुलते-मिलते जा रहे है वैसे-वैसे इन इमोजी को बढ़ावा दिया जा रहा है। और बहुत जल्दी इनकी एक अपनी अलग दुनिया होगी जहाँ स्कूलों में इन भाषओं को पढ़ाया भी जायेगा।

पसंद आया हो तो