Monday, September 28, 2015

डिजिटल लत से बढ़ता मनोरोग का खतरा

डिजिटल इंडिया के बढ़ते कदमों के साथ यह चर्चा भी देश भर में आम है कि स्मार्टफोन व इंटरनेट लोगों को व्यसनी बना रहा है। कहा जाता है कि मानव सभ्यता शायद पहली बार एक ऐसे नशे से सामना कर रही है, जो न खाया जा सकता है, न पिया जा सकता है, और न ही सूंघा जा सकता है। चीन के शंघाई मेंटल हेल्थ सेंटर के एक अध्ययन के मुताबिक, इंटरनेट की लत शराब और कोकीन की लत से होने वाले स्नायविक बदलाव पैदा कर सकती है। वी आर सोशल की डिजिटल सोशल ऐंड मोबाइल 2015 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं के आंकड़े काफी कुछ कहते हैं। इसके अनुसार, एक भारतीय औसतन पांच घंटे चार मिनट कंप्यूटर या टैबलेट पर इंटरनेट का इस्तेमाल करता है। इंटरनेट पर एक घंटा 58 मिनट, सोशल मीडिया पर दो घंटे 31 मिनट के अलावा इनके मोबाइल इंटरनेट के इस्तेमाल की औसत दैनिक अवधि है दो घंटे 24 मिनट। इसी का नतीजा हैं तरह-तरह की नई मानसिक समस्याएं- जैसे फोमो, यानी फियर ऑफ मिसिंग आउट, सोशल मीडिया पर अकेले हो जाने का डर। इसी तरह फैड, यानी फेसबुक एडिक्शन डिसऑर्डर। इसमें एक शख्स लगातार अपनी तस्वीरें पोस्ट करता है और दोस्तों की पोस्ट का इंतजार करता रहता है। एक अन्य रोग में रोगी पांच घंटे से ज्यादा वक्त सेल्फी लेने में ही नष्ट कर देता है। इस वक्त भारत में 97.8 करोड़ मोबाइल और 14 करोड़ स्मार्टफोन कनेक्शन हैं, जिनमें से 24.3 करोड़  इंटरनेट पर सक्रिय हैं और 11.8 करोड़ सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। 
लोगों में डिजिटल तकनीक के प्रयोग करने की वजह बदल रही है। शहर फैल रहे हैं और इंसान पाने में सिमट रहा है।नतीजतन, हमेशा लोगों से जुड़े रहने की चाह उसे साइबर जंगल की एक ऐसी दुनिया में ले जाती है, जहां भटकने का खतरा लगातार बना रहता है। भारत जैसे देश में समस्या यह है कि यहां तकनीक पहले आ रही है, और उनके प्रयोग के मानक बाद में गढ़े जा रहे हैं। कैस्परस्की लैब द्वारा इस वर्ष किए गए एक शोध में पाया गया है कि करीब 73 फीसदी युवा डिजिटल लत के शिकार हैं, जो किसी न किसी इंटरनेट प्लेटफॉर्म से अपने आप को जोड़े रहते हैं। वर्चुअल दुनिया में खोए रहने वाले के लिए सब कुछ लाइक्स व कमेंट से तय होता है। वास्तविक जिंदगी की असली समस्याओं से वे भागना चाहते हैं और इस चक्कर में वे इंटरनेट पर ज्यादा समय बिताने लगते हैं, जिसमें चैटिंग और ऑनलाइन गेम खेलना शामिल हैं। और जब उन्हें इंटरनेट नहीं मिलता, तो उन्हें बेचैनी होती और स्वभाव में आक्रामकता आ जाती है। इससे निपटने का एक तरीका यह है कि चीन से सबक लेते हुए भारत में डिजिटल डीटॉक्स यानी नशामुक्ति केंद्र खोले जाएं और इस विषय पर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाई जाए। 


हिंदुस्तान में 28/09/15 को प्रकाशित 

15 comments:

anjali said...

ha is baat sa mein bilkul sehmat hou ki log addicted ho gye hai social netwrking sites etc sa mgar jaisa ki hame pta hai isi k wjah sa aj hm unlogo sa mil paye hai jinhe hm bhut peecha chod chuke the bhut se aise cheeze hai jo hm bhut log ko bata skte hai ek time mein, toh mujhe aisa lgta hai ki iska istmal hona chahiye magar kuch samai k beech ki itne sa itne k beech ap chala skte ho...

anjali said...

ha is baat sa mein bilkul sehmat hou ki log addicted ho gye hai social netwrking sites etc sa mgar jaisa ki hame pta hai isi k wjah sa aj hm unlogo sa mil paye hai jinhe hm bhut peecha chod chuke the bhut se aise cheeze hai jo hm bhut log ko bata skte hai ek time mein, toh mujhe aisa lgta hai ki iska istmal hona chahiye magar kuch samai k beech ki itne sa itne k beech ap chala skte ho...

Unknown said...

Yes this is true we are addicted to internet.Nowadays It has been seen that we can live without food or water but we can't live without internet.Most of our time is passing by using facebook,watsap,twitter etc which has many disadvantages and some advantages for all of us.Our thinking ability is becoming slow day by day and we are too much dependent on goggle for solving our queries which is not good nd which will create big problems in future for youngsters especially.

Unknown said...

Internet is a big trap but people should know where draw a line.excess of anything a bad.we cannot depy the fact that Internet made our life easier we should know our limitation

Unknown said...

Internet ke agar side effects to usse jyada benefits hai,lekin log uske side effects ke addicted ho jate ye jante Huye bhi ki kya galat hai kya sahi...time hote Huye bhi pura time Internet ke sath bitane chahte

S.Raaj said...

In India technology is not utilized properly nd that has adverse and devastating affects on the society when misused , it may also result in giving birth to several diseases various psychological disorders and other problem as sir said it can be seen in masses of youth of the country so, it is better to limit the use use of Technology and should be used where needed or necessary not at each and every moment of lyf.

S.Raaj said...

no doubt internet and technology is there to help us guide us and has its benefits but 'with power comes responsibilities' it should also be kept in mind .
these facilities were made available for human so to support/facilitate life. but now days its making life more complicated than to facilitate

Unknown said...

according to this children as young as one year old are using technology such as tablets, iphones computers etc ... althrough these devices can be a good learning tool . but it can also harm them in various either they are young or as well as adult...

Tanupreet Kaur said...

internet ko agar ache tarike se use kroge to bht acha hain it is good or bad both

Unknown said...

Her cheez me kuch possitive or negtive things hota hi but wo depend khud pekrta hi ki hm kisse jada like krte hi....

Unknown said...

As per the article, the study of Shanghai Mental Health Centre, internet addiction can bring about changes in the psyche of human being. Different mental problems viz. fear of missing out, makes the person use Facebook in an unlimited manner (Facebook Addiction Disorder) where he posts his pictures and waits on the comments.
In a survey conducted this year, the Kaspersky lab has found that 75% of the youth is addicted to the digital needs which are disturbing. Thus, being lost in a virtual world, they judge their life and the society itself based on the likes and comments.
Taking a cue from China, India should also open Digital Data Centres. (I have once read in one of the Reader’s Digest that such a centre has already been set up in Bangalore)

varun said...

i think this is true that people are too addicted ,, they did not take interest of outer atmosphere ,,, i saw people in train , bus station and other places sitting one side and being busy in their cell phones unko ye mtlb hi nhi h ki outside kya ho rha h kaisa mahol h ....

Unknown said...

Internet and social media is now a new medium of forming one's self concept. The activities on these sites reinforce the mostly virtual self. Internet de-addiction needs immediate rehabilitation and attention.

सूरज मीडिया said...

बिल्कुल सर ,मेरा मानना है की अगर कोई भी चीज़ लिमिट से ज्यादा हो जायेगी तो नुकसान तो करेगी ही, चाहे वह खाना हो,या किसी भी चीज़ का नशा ,या फिर इंटरनेट का नशा हो,आदि । इसलिए हमें अगर इससे बचना हो तो मतलब भर ही उपयोग करना चाहिए,जितनी जरूरत हो । तब तो फायदे हैं नहीं तो घाटे ।

Unknown said...

जी सर मैं आप की बात से सहमत हूँ हर वस्तु का कुछ ना कुछ साईड इफ़ेक्ट ज़रूर होता है मेरा मानना यह कि सरकार को इस बात पर ध्यान ज़रूर देना चाहिए और इसके प्रति लोगों जागरूक करने की बेहद ज़्यादा ज़रूरत है जैसे कि अगर खाना खा लिया तो दिक़्क़त हो जाती है वैसे ही इन्टरनेट का नशा है अगर ज़्यादा इसका र्पयोग किया तो दिक़्क़त होना लाज़मी बात है

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