Saturday, December 30, 2017

साल 2018 भी 'आधार' का होगा

हर साल के अंत में  इस बात आंकलन अकादमिकों और पत्रकारों  द्वारा किया जाता  है कि सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में देश ने क्या खोया और क्या पाया मकसद सिर्फ यह होता है कि आगे बढ़ने के क्रम में हमें यह पता हो कि हम कहाँ से चले थे और कितना आगे जाना है |कोई भी देश सभ्यता इसी तरह फलता फूलता और आगे बढ़ता है |जो अतीत से सबक नहीं लेता उसकी जगह भविष्य में नहीं होती |बात जब आंकलन की होती है तो आंकड़ों का जिक्र आना स्वाभाविक है तो  इस मायने से साल 2017 आधार कार्ड के आंकड़ों और विभिन्न सरकारी/गैर सरकारी  योजनाओं से उसे जोड़े जाने के कारण याद किया जायेगासही मायने में अगर हम देखे तो आजाद भारत के इतिहास में पहली बार किसी सरकार के पास अपने नागरिकों के व्यवस्थित बायोमेट्रिक आंकड़े उपलब्ध हैं |आंकड़े का मतलब सटीकता और इसी बात को ध्यान में रखते हुए धीरे धीरे ही सही सरकार ने  मोबाईल,बैंक खाते,बीमा पॉलिसी ,जमीन की रजिस्ट्री से लेकर आयकर सभी को आधार से जोड़ने का काम शुरू किया आंकड़े इस बात की पुष्टि करते है कि भारत में निम्न आय वर्ग के लोगों के पास बेहतर पहचान दस्तावेज नहीं होते|जगह बदलने पर ऐसे लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का फायदा सिर्फ वैध पहचान पत्र न होने से नहीं मिल पाता|आधार कार्ड योजना से इस बात पर भी बल मिलता है कि भारत में बढते डिजीटल डिवाईड को आंकड़ों को डिजीटल करके और उसी अनुसार नीतियां बना कर पाटा जा सकता है तकनीक सिर्फ साधन संपन्न लोगों का जीवन स्तर नहीं बेहतर कर रही है|एक अरब पच्चीस करोड़ की जनसँख्या  वाले  देश में केवल 6.5 करोड़ लोगों के पास पासपोर्ट और लगभग बीस  करोड़ लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस है  ऐसे में आधार उन करोड़ों लोग के लिए उम्मीद  लेकर आया है जो सालों से एक पहचान कार्ड चाहते थेभ्रष्टाचार एक सच है और इसे सिर्फ कानून बना के नहीं रोका जा सकता  बल्कि तकनीक के इस्तेमाल और पारदर्शिता को बढ़ावा देकर समाप्त किया जा सकता है |देश में सौ  करोड़ से ज्यादा लोगों के पास आधार है।भारत में 73.96 करोड़ (93 प्रतिशत) वयस्कों के पास और 5-18 वर्ष के 22.25करोड़ (67 प्रतिशत) बच्चों के पास और वर्ष से कम आयु के 2.30 करोड़ (20 प्रतिशत) बच्चों के पास आधार है तो देश में पिछले एक साल पहचान का सबसे बड़ा स्रोत आधार कार्ड बन कर उभरा है |भारत जैसे विविधता वाले देश में यदि लोगों का जीवन स्तर बेहतर करके देश की मुख्यधारा में लाने के लिए यह जरुरी है कि सरकार के पास सटीक सूचनाएं हों जिससे वह सरकारी नीतियों का वास्तविक आंकलन कर उन योजनाओं को और जनोन्मुखी बना सके |आयकर दाताओं की संख्या के आंकड़े अपने आप में काफी कुछ बयान कर देते है आयकर विभाग के आंकड़ों के हिसाब से साल 2014-15 में  देश में मात्र 24.4लाख लोगों ने अपनी वार्षिक  आय दस लाख  रुपये से ऊपर बताई  देश की आबादी सवा सौ  करोड़ से अधिक है लेकिन  आयकर  रिटर्न भरने वालों की संख्या मात्र 3.65 करोड़ थी|जबकि पिछले पांच साल में औसतन पचीस लाख नई कार वार्षिक रूप से खरीदी जाती है और सरकार आयकर चोरी रोकने में नाकाम इसलिए रहती है क्योंकि उसके पास लोगों के ब्योरे नहीं है पर आधार के बैंक और आयकर से जुड़ने से आने वाले  साल में निश्चित रूप से आयकर दाताओं की संख्या बढ़ेगी और कर चोरी मुश्किल होगी क्योंकि आपकी आय व्यय का लेखा जोखा सरकार  के पास होगा |केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में बयासी प्रतिशत राशन कार्ड आधार से जोड़े जा चुके हैं और पिछले चार वर्षों में दो करोड़ पचहत्तर लाख राशन कार्ड रद्द किये जा चुके है जो जाहिर है फर्जी नामों से बने थे |सरकार प्रतिवर्ष 17500 करोड़ रुपये की सब्सिडी सस्ते अनाज के लिए जरुरतमंदों को देती है पर राशन कार्ड की अनिवार्यता के पहले इसमें से ज्यादातर अनाज जरुरतमंदों को न मिलकर कालाबाजारी के जरिये  वापस बाजार में आ जाता था |सरकार के लाख प्रयास के बाद भी लोग भूखे पेट सो रहे थे पर अब ऐसा नहीं है |अनाज जरुरत मंदों तक पहुँच रहा है |ऐसा ही कुछ हाल मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों का भी था जिनको या तो कम मजदूरी मिलती थी या फर्जी नामों से मनरेगा का भुगतान हो जाता था |लेकिन आधार और उसके आंकड़ों से जुडी कुछ चिंताएं भी हैं जिनमें सबसे बड़ी चिंता निजता के अधिकार को लेकर है क्योंकि सरकार लोगों की बायोमेट्रिक पहचान जुटा रही हैजिसके डाटा बेस की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है अक्सर लोगों के आधार कार्ड से जुडी जानकारियों के लीक होने की खबर  सुर्खियाँ बनती हैं सरकार जिस तरह से विभिन्न डाटा बेस के आंकड़ों को आपस में जोड़ रही हैउससे आंकड़ों के चोरी होने और लोगों की निजता भंग होने का ख़तरा बढ़ा हैसरकार ख़ुद भी ये मान चुकी है कि लगभग  चौंतीस हज़ार सर्विस प्रदाताओं को या तो काली सूची में डाल दिया  गया है या फिर उनको सेवा देने से निलंबित किया जा चुका हैजो सही  प्रक्रिया का इस्तेमाल न करते हुए फर्जी आधार बना रहे थे |गौर तलब बात है कि आधार कार्ड का मुख्य उद्देश्य ही फर्ज़ी पहचान को ख़त्म करना थापर  सरकार ख़ुद ही अब तक पच्चासी  लाख लोगों की नकली पहचान को रद्द कर चुकी है|फ़िलहाल हर बीतते वक्त के साथ देश में आधार नंबर धारकों की संख्या बढ़ रही है और देश के निवासियों को पहचान मिल रही है पर उसी तेजी से अगर  सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिले तो साल 2018 भी आधार का ही होगा |
आई नेक्स्ट में 30/12/17 को प्रकाशित 

2 comments:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विक्रम साराभाई और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

अपर्णा वाजपेयी said...

प्रसन्गिक और पठ्नीय लेख.
सादर

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