भारत मंदिरों का देश
है |हर जगह के मंदिर अपने इतिहास और विरासत को समेटे हुए हैं पर अभी भी देश में
ऐसे कई मंदिर हैं जिनके बारे में लोग कम जानते हैं |ऐसा ही एक मंदिर है लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बे में जिसे भारत का एकमात्र मेंढक मंदिर माना जाता है।जिसे मुझे देखने का सौभाग्य अचानक ही मिला
|
हम कर्तनिया वन्य अभ्यारण से घूम कर लखनऊ लौट रहे थे |रास्ते में चाय नाश्ते के
लिए हमारी गाडी लखीमपुर-खीरी और सीतापुर की सीमा पर रुकी और मैंने आदतन लोगों से
पूछा इस जगह क्या ख़ास है ?लोगों ने बताया यहाँ मेढक मंदिर है,मेढक मंदिर !!मैंने आश्चर्य
से पूछा ,हाँ यहीं करीब है आप जरुर जाइए |साल का आखिरी दिन था सोचा गया चलो देखा
जाए |लोगों से रास्ता पूछते ही जैसे ही हम वहां पहुंचे एक विशाल मंदिर दूर से दिख
रहा था एक मेढक के ऊपर बना हुआ शिव मंदिर हालंकि जब हम वहां पहुंचे तो लोगों की
भारी भीड़ थी पर वह भीड़ मंदिर में दर्शन करने वालों की नहीं बल्कि किसी भोजपुरी फिल्म
की शूटिंग देखने वालों की थी|वहीं रहने वाले रोहित ने बताया यहाँ शिवरात्रि और
दीपावली को ही भीड़ होती है बाकी दिन ज्यादा लोग नहीं आते क्योंकि यह तांत्रिक मंदिर है और शिव की पूजा तांत्रिक रूप में की जाती है |
वैसे मेंढक मंदिर जिस ओयल कस्बे में है, उसका अपना एक ऐतिहासिक महत्व है।
ओयल शैव संप्रदाय का एक प्रमुख
केंद्र था और यहां के राजा भगवान शिव के उपासक थे। चाहमान वंश के राजा बख्श
सिंह ने इस मंदिर का निर्माण 1860-1870 के मध्य कराया था। मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान
तांत्रिक ने की थी। मेढक के शरीर पर बने इस मंदिर के चारों कोनों पर एक –एक गुम्बद है और बीच में शिव मंदिर |इस
शिव मंदिर की एक और ख़ास बात है यहाँ शिव जी का वाहन नंदी बैल खड़ा हुआ है जबकि अन्य
शिव मंदिरों में नंदी शिवलिंग के सामने बैठे हुए दिखते हैं वैसे जब हम वहां थे हमें इस तथ्य का पता नहीं था इसलिए फोटो के लिए गूगल का सहारा लेना पड़ा |
मेंढक मंदिर 38 मीटर लंबाई, 25 मीटर चौड़ाई में निर्मित एक मेंढक की
पीठ पर बना हुआ है। मेंढक का मुख तथा अगले दो पैर उत्तर की दिशा में हैं। मेंढक का
मुख दो मीटर लंबा, डेढ़ मीटर
चौड़ा तथा एक मीटर ऊंचा है। इसके पीछे का भाग 2 मीटर लंबा तथा 1.5 मीटर
चौड़ा है, जबकि पिछले पैर दक्षिण दिशा में हैं।
मेंढक की उभरी हुई गोलाकार आंखें तथा मुख का भाग बड़ा जीवंत प्रतीत होता है। मंदिर का छत्र
भी आम मंदिरों से थोड़ा अलग तांत्रिक रूप देता है जिस पर हिरन जैसे जानवर के कई
मुंड लगे हुए हैं |
मंदिर भूतल से करीब तीस फीट ऊपर है और यहीं एक कुआं भी है
जिसमें आज भी मीठा पानी निकलता है और भक्त मंदिर में जल चढाने के लिए यहाँ से पानी
निकालते हैं |वैसे तो यहाँ कई कहानियां हमें बताई गयीं कि यहाँ एक भूल भुलैया है जहाँ कोई नहीं जाता अब वहां ताला लगा है |मुझे बताया गया कि इस रास्ते का प्रयोग पहले राज परिवार के सदस्य पूजा करने के लिए करते थे |हमने भी इस अनोखे मंदिर में कुंए से जल निकालकर पूजा की और ऊपर वाले
को शुक्रिया कहा जिसने अनायास ऐसे मन्दिर को देखने का मौका दिया |
ओएल का प्रसिद्द मेढक मंदिर |
खड़े हुए नंदी :फोटो साभार गूगल इमेजेस |
मेढक मंदिर का पिछ्ला हिस्सा |
मंदिर की दीवार पर उकेरी कला |
1 comment:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नंदा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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