Thursday, May 24, 2018

रुमाल महज़ रुमाल नहीं है

गर्मियों की छुट्टियाँ हो गयी हैं.कुछ लोग घूमने का कार्यक्रम  बना रहे होंगे तो कुछ के घर में शादी या ऐसा ही कोई और आयोजन होगा. जब इतने सारे कार्यक्रम  होंगे तो हम  सुन्दर दिखने के लिए कुछ कपडे वगैरह भी जरुर खरीदेंगे. कपड़ों का ही एक जरुरी हिस्सा है रुमाल ,पर क्या कोई रुमाल की खरीददारी अलग से करता है जैसे पैंट,शर्ट,साड़ी या सूट की करते हैं .वैसे एक दिन बगैर रुमाल के घर से निकल जाइए या रुमाल घर पर भूल जाइए .बहुत कुछ याद आ जाएगा.वैसे भी चीजों की कमी उनके न रहने पर ही खलती है. रुमाल फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ मुंह पर मलने वाली चीज है.हाथ से लेकर मुंह साफ़ करने के अलावा रुमाल का कई इस्तेमाल हैं.अब ये आपके ऊपर है कि आप इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं.
       हिंदी फिल्मों के कई गानों में प्यार की शुरुवात नायिका के रुमाल खोने या मिलने से शुरू होती है. रुमाल भले ही एक छोटा सा कपडे का टुकड़ा भले ही हो पर वो हमारी जिंदगी में बहुत असर डालता है.जब आप मंदिर ,मस्जिद या गुरुद्वारा जाते हैं तो सर पर रुमाल डाल लेते हैं,यानि रुमाल का एक सुपर नेचुरल कनेक्शन भी है जो सीधे ऊपर वाले से हमें जोड़ता है वैसे कपडे तो तरह –तरह के होते हैं पर ऊपर वाले से जीवित रहते हुए जोड़ने का काम रुमाल ही करता है .वैसे हमारे  रुमाल कब बदल जाते हैं इसका पता ही नहीं चलता .हम कभी कपड़ों की तरह रुमाल को बदलने की प्लानिंग नहीं करते हैं,नए रुमाल आते हैं पुराने कहाँ चले जातें हैं न कभी हम जानने की कोशिश करते हैं न कोई हमें बताता है . 
      वैसे ही जिन्दगी में बहुत से लोग हमें ऐसे मिलते हैं जो हमारे काम आते हैं,हमारा जीवन आसान बनाते हैं और फिर चुपचाप हमें शुक्रिया कहने का मौका दिए बगैर जीवन से विदा हो जाते हैं. वैसे भी हमारे घर  में गैस से लेकर अखबार वाले शख्स का चेहरा हमें कहाँ याद रहता है ? ऐसे न जाने कितने लोग हैं जो हमारे जीवन में रुमाल की भूमिका निभा  रहे होते हैं. अपने महत्व का अंदाजा कराये बगैर. 
        रुमाल यूँ तो हमारे पहनावे का एक छोटा सा हिस्सा भर है पर ये हमारी जिन्दगी से जुड़ा हुआ है जैसे हम अपने दैनिक जीवन  में रुमाल खरीदने की प्लानिंग नहीं करते वैसे ही जिन्दगी को प्लान नहीं किया जा सकता.जो जैसे मिले उसे स्वीकार करना चाहिए.रुमाल का रंग अगर हमारे कपडे से नहीं मिलता तो चलेगा पर किसी भी रुमाल का न होना बिलकुल नहीं चलेगा. उसी तरह  ही जिन्दगी में रिश्तों का होना महत्वपूर्ण है उनका अच्छा या बुरा होना नहीं क्यूंकि जिन्दगी रहेगी तो रिश्तों को बेहतर किया जा सकता है पर जिन्दगी ही न रही तो लाख रिश्ते हों उनका कोई फायदा नहीं इसीलिये तो कहा जाता है जिन्दगी न मिलेगी दुबारा तो जी लो जी भर के तो अगली बार  अगर आपका रुमाल खो जाए तो उसे ढूंढने की कोशिश जरुर कीजियेगा क्योंकि ये रुमाल महज रुमाल नहीं हम सबकी जिंदगी का आईना भी है.
प्रभात खबर में  24/05/18 को प्रकाशित                                      

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