Friday, June 29, 2018

डिजीटल प्लेटफोर्म की बढ़ती धमक

यह दिलचस्प बदलाओं का दौर है  और कलात्मक   अर्थों में बदलाव के कई नए संदर्भ भी उभर रहे हैं |जिनमें कलाएं भी शामिल हैं और इन  परिवर्तन के लिए जो चीज सबसे बड़े उत्प्रेरक के रूप में काम कर रही है वह है इंटरनेट, जिसने पहले हमारे खरीदने ,पहनने से असर डालना शुरू किया फिर ये सिलसिला खाने पीने से लेकर मुद्रा से होते हुए  शादी विवाह  तक पहुँच गया  है |इंटरनेट ने लोक व लोकाचार के तरीकों को काफी हद तक बदल दिया है। बहुत-सी परंपराएं और बहत सारे रिवाज अब अपना रास्ता बदल रहे हैं। यह प्रक्रिया इतनी तेज है कि नया बहुत जल्दी पुराना हो जा रहा है।हर जगह डिजीटल की धूम है |इंटरनेट ने उम्र का एक चक्र पूरा कर लिया है। इसकी खूबियों और इसकी उपयोगिता की चर्चा तो बहुत हो लीअब इसके दूसरे पहलुओं पर भी ध्यान जाने लगा है।यानि ये है हमारे समाज पर पड़ने वाला  डिजीटल इफेक्ट जो अब कलाओं के माध्यमों  तक आ पहुंचा है| वह कला ही है जिसमें मानव मन में संवेदनाएँ उभारनेप्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़नेअभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता होती  है। सिनेमा एक कला है या नहीं इस पर बहस हो सकती है पर एक विद्या के रूप में सिनेमा नाटक के गर्भ  से ही पैदा हुआ हैनाटक हो या सिनेमा इसको देखने की सही जगह थियेटर या सिनेमा हाल ही मानी जाती रही है |सिनेमा में कांस फिल्म महोत्सव का अपना अलग महत्व है जहाँ फ़्रांस के कांस शहर में दुनिया भर के फिल्म निर्माण से जुड़े हुए लोग शामिल होते हैं और फिल्मों का प्रदर्शन भी होता ,श्रेष्ठ फिल्मों को पुरूस्कार भी दिए जाते हैं पर इस बार कांस फिल्म महोत्सव एक नए तरह के विवाद के केंद्र में आ गया |इस साल नेटफ्लिक्स की फिल्मों को कान्स के समारोह में शामिल नहीं किया गया हैनेटफ्लिक्स पिछले कुछ सालों में ऑनलाईन फिल्म  स्ट्रीमिंग के क्षेत्र में एक बड़े खिलाड़ी के रूप में उभरा है जिसकी फिल्मों के दर्शक सारी दुनिया में हैं | नेटफ्लिक्स की  फ़िल्में किसी सिनेमा थियेटर में रिलीज होने की बजाय सीधे इंटरनेट पर रिलीज होती हैं और दुनिया के किसी कोने में बैठे हुए कोई भी व्यक्ति नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन लेकर उसकी फिल्मों का दर्शक हो सकता है वैसे नेटफ्लिक्स अपनी कुछ फिल्मों को अमेरिका के चुनिन्दा सिनेमाघरों में भी रिलीज करता है लेकिन उनकी संख्या सीमित हैं  | कांस फिल्म समारोह का हिस्सा बनने के लिए किसी भी फिल्म का थियेटर में प्रदर्शित होना जरुरी है |ऐसा ही नियम ऑस्कर पुरूस्कार के लिए भी लागू होता है पर कांस में सिनेमा थियेटर में रिलीज होने के  तीन साल बाद ही कोई भी निर्माता उसे इंटरनेट के विभिन्न प्लेटफोर्म में जारी कर सकता है | नेटफ्लिक्स इसी शर्त को पूरा नहीं कर पा रहा था इसलिए उसने अपनी फ़िल्में कांस से वापस ले लीं | नेटफ्लिक्स के इस फैसले ने सिनेमा के भविष्य पर एक नयी बहस छेड़ दी वहीं एक जन माध्यम के रूप में इंटरनेट पहली बार किसी जन माध्यम से सीधे तौर पर टकरा रहा है |अन्यथा या तो जन माध्यमों ने इंटरनेट के लिए जगह छोड़ दी या समय की मांग के हिसाब से  अपने आप को ढाल लिया  | नेटफ्लिक्स ने कई बड़े फिल्म निर्माताओं के साथ बड़े बजट की फिल्मों पर निवेश किया हैकई दूसरी कंपनियां नेटफ्लिक्स की तरह ही फिल्में सीधा डिजीटल प्लेटफार्म पर रिलीज कर रही हैंजिनमें अमेजन का नाम उल्लेखनीय है |सवाल यह है कि माध्यम ज्यादा महत्वपूर्ण है या उसकी पहुँच,फिल्मों को बनाने के पीछे पैसे बनाने के अलावा सबसे बाद उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुँच है और किसी भी निर्माता को कलात्मक संतुष्टि तभी मिलती है जब वह ज्यादा से ज्यादा दर्शक जोड़े |हर फिल्म एक विचार पर आधारित होती है फिर वह चाहे थिएटर पर दिखाई जाए या किसी डिजिटल प्लेटफार्म पर महज सिनेमा थियेटर में रिलीज कर देने से कोई घटिया फिल्म अच्छी नहीं हो सकती और वहीं डिजीटल प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज हुई फिल्म में किसी तरह की कोई कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं ऐसा विचार समाज में कलाओं के विस्तार में बाधा ही बनेगा |उपभोक्ता नेटफ्लिक्स के बढ़िया कंटेंट की वजह से ही सब्सक्रिप्शन शुल्क  देने को भी तैयार हैं और  नेटफ्लिक्स का बढ़ता विस्तार यह बताता है कि लोग उसकी फ़िल्में ,धारावाहिक पसंद कर रहे हैं |फ्रांस कलाओं के विस्तार का एक बड़ा केंद्र रहा है पर कांस फिल्म  महोत्सव का यह रवैया बताता है कि सिनेमा से जुड़े लोग डिजीटल प्लेटफ़ॉर्म पर सिनेमा की बढ़ती लोकप्रियता से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं जबकि चोरी चुपके डिजीटल तकनीक सिनेमा निर्माण के हर हिस्से में घुस चुकी है वो चाहे सम्पादन का क्षेत्र हो या सिनेमा में  मल्टीकैम सेटअप का प्रयोग |वहीं परम्परागत  सिनेमा के समर्थको का मानना है कि थियेटर  में सिनेमा को देखना एक नए अनुभव से दर्शक का साक्षत्कार कराता है जब वह मानसिक   रूप से उस कला को  समझने और डूबने आता है यह अचानक नहीं होता वह सोच समझकर अपनी दिनचर्या में सिनेमा के लिए जगह बनाता है  |यह डिजीटल प्लेटफोर्म के उस सिनेमा के अनुभव से एकदम अलग होता है जब दर्शक ट्रेन में यात्रा करते ,किसी का इन्तजार करते,किश्तों में सिनेमा की कला को  अपने परिवेश की सीमाओं के साथ किसी फिल्म को देखता है |इस अनुभव में सिनेमा देखना बस किसी काम निपटाने जैसा ज्यादा होता बनस्बत सिनेमा के उस जादुई एहसास के जो हम सिनेमा हाल में महसूस करते हैं |इसमें से कौन सा माध्यम भविष्य में जीतेगा इसका फैसला अभी होना है पर यह तो तय है कि इंटरनेट एक माध्यम के तौर पर सिनेमा को सीधे तौर पर चुनौती देना शुरू कर चुका है |     
आई नेक्स्ट /दैनिक जागरण में 29/06/ 2018 को प्रकाशित      

2 comments:

Unknown said...

Very nice.This new method of distribution is also important for independent filmmakers,who has got idea and imagination rather than strong financial and high link backup.

Unknown said...

बहुत उत्तम लेख सर जी

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