बचपने से पढते चले आ रहे हैं मनुष्य एक सामजिक प्राणी है और इसी सामजिकता के तहत वो लोगों से रिश्ते बनाता है रिश्तों का आधार संचार ही होता है जिसमे छिपा होते हैं भाव एक दूसरे के प्रति प्यार और यही से शुरुवात होती है बतकही की एक दौर हुआ करता था जब कस्बों और गांवों के नुक्कड़ चौपालों से गुलज़ार रहा करते थे पर अब दुनिया बदल चुकी है और वक्त भी अब इन बैठकों की जगह वर्चुअल हो गयी है घर के आँगन कंप्यूटर की स्क्रीन में सिमट गए देह भाषा को कुछ संकेत चिन्हों में समेट दिया गया| समाज में जब भी कोई बदलाव आता है तो सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यवर्ग होता है और ऐसा ही कुछ हुआ है हमारे सम्प्रेषण पर देश का मध्यवर्ग और खासकर युवा चकल्लस के नए अड्डे से संक्रमित है जिसे सोशल नेटवर्किंग साईट्स का नाम दिया गया है अब चक्कलस करने के के लिए न तो किसी बुज़ुर्गियत की ज़रुरत है और न ही किसी पुराने निबाह की. ये वो अड्डे हैं जिनके नाम तक उल्टे पुल्टे हैं. कोई कई चेहरों वाली किताब है तो कोई ट्विटीयाने वाली चिड़िया बनने को बेताब है. फेसबुक, गूगल प्लस,ट्विटर और फ्लिकर जैसे तमाम चकल्लस के लोकप्रिय अड्डे बनकर उभरे हैं. इसका हिस्सा बनने के लिए किसी तरह के बौद्धिक दक्षता के प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. बस आपको अपनी बात दूसरों तक पहुँचाने का हुनर आना चाहिए.ट्यूनीशिया का एक युवा जब वहां की पुलिस के कारण बेरोजगार हो जाता है तो वह अपनी लडाई में सोशल नेटवर्किंग साईट्स को अपना हथियार बनाता है.पिछले दिनों एक शादी सोशल मीडिया पर बहुत विवादों में रही.
एक प्रेम विवाह से जुड़ा मामला ,घर परिवार ,लोक संस्कार और न जाने कितने मुद्दों पर मोर्चेबंदी का शिकार हुआ . भारत में सूचना क्रांति अपना असर दिखा रही है .शहरों में इन वर्चुअल अड्डों ने पुराने हो चुके संस्कारों और रुढियों की सड़ांध में दम तोड़ते समाज के सपनों को पंख लगा दिए हैं.जिन मुद्दों पर घर और समाज में दबी ज़बान से भी बोलने तक की मनाही है वहांये वर्चुअल अड्डे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पर्याय बन चुके हैं.सोशल मीडिया की तमाम साईट्स वर्चुअल अड्डेबाजों का तीर्थ सिद्ध हुआ है.हर कोई यहाँ डूबकी लगाकर इंटरनेट तकनीक का आशीर्वाद पा लेने को बेताब है. बोलना हम सब चाहते हैं पर क्या इसमें मामला मुश्किल तब पड़ जाता है कि क्या बोला जाए और कैसे . अब जरा ध्यान दिया जाए कि इस दुनिया में हर कोई बोले जा रहा है. फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साईट्स से लेकर टिवटर तक हर जगह उन्हीं का बोलबाला है जो बोल रहे हैं कह रहें हैं अच्छा है बात से बात निकलनी चाहिए पर सोसायटी में ऐसे भी लोग होते हैं जो क्या कहना और कैसे कहना है इसका सलीका नहीं जानते हैं . टेक्नोलोजी हमारे जीवन का अहम हिस्सा बनती जा रही है पर क्या उसके सही इस्तेमाल के लिए हम तैयार हैं ना जाने कितने मैनर्स हमें सिखाये जाते हैं पर अब वक्त है इंटरनेट मैनर्स सीखने का है .मेरे जीवन का अब तो नियम बन गया है सुबह कंप्यूटर खोलते ही फेसबुक पर अनचाहे टैग हटाना अनर्गल कमेन्ट को डिलीट करना और ना जाने क्या क्या महज इसलिए कि अभी बहुत से लोगों को इंटरनेट मैनर्स सीखना है .आइये आपको आस पास के माहौल से समझाते हैं . आपने शादी में शौकिया नाचने वालों को देखा होगा इनकी भी अलग दुनिया होती है इनमे से कुछ बहुत कमेन्ट करने वालो की तरह होते हैं बोले तो बैंड बजा नहीं और ये चालू, कुछ ऐसे लोग भी होते है जो पहचान के संकट के शिकार होते हैं यानि आइडेंटिटी क्रायसिस इन्हें ये पता नहीं कि नाचना कैसे है, बस नाचना है ऐसे लोग सोशल नेटवर्किंग साईट्स की दुनिया में भी होते हैं जो बस कुछ भी बोलते हैं कुछ भी लिखते हैं कुछ भी करते हैं.
अरे भाई कहो खूब कहो पर पर्सनल और पब्लिक इस्शुज को अलग अलग कर जब इन दोनों को मिला दिया जाएगा तो समस्या आयेगी ही . अगर आप चाहते हैं कि लोग आपके विचार को पसंद करें आपको सराहें पर उसके लिए पहल आपको करनी पड़ेगी कुछ कहना पड़ेगा यानि सुनना और कहना टू वे है.आप कुछ कह रहे हैं तो दूसरों को सुने भी और उसके बाद जब आप कुछ कहेंगे तो उसका असर होगा.अपने दर्द को दुनिया के साथ बांटिये शायद इनमे कोई शख्स मिल जाए जो आपकी परेशानी को कम कर सके.बहुत खुश हैं तो उसको बांटिये लोगों को बताइए कि आप खुश हैं फिर खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं.हम खुशनसीब हैं जो इस तरह की दुनिया में रहते हैं जहाँ हम ग्लोबल कनेक्टेड हैं समय और स्थान की दूरियां मिट गयी हैं .
लोग तभी सुनेंगे जब आप कुछ कहेंगे और जब आप सुनेंगे तो लोग कहेंगे तो अपनी ऑनलाइन प्रोफाईल पर कुछ वक्त बिताइये लोगों को पढ़ने में बिना समझे कुछ भी मत कहिये.अनर्गल बातें टैग मत कीजिये किसी के व्यक्तिगत जीवन में क्या चल रहा है अगर इसको मुद्दा बनायेंगे तो कल को आपके बारे में कोई कुछ भी बोलेगा और तब आप कहेंगे कि दुनिया बड़ी खराब है.सायबर स्पेस को साफ़ सुथरा रखने की जिम्मेदारी हम सबकी है अगर यहाँ भी कोई एंटी सोशल एलीमेंट आ गया है तो उसे निकाल फेंकिये अपनी मित्रता सूची से रीयल वर्ल्ड को बेहतर बनाने का जरिया साइबर वर्ल्ड भी है अगर यहाँ गंदगी बढ़ेगी तो उसका असर हमारी रीयल लाईफ पर भी पड़ेगा तो घर की साफ़ सफाई के साथ सायबर वर्ल्ड की सफाई भी जरूरी है. तो फेक प्रोफाईल रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कीजिये और गंदगी फ़ैलाने वालों को ब्लौक तो अपने आस पास के लोगों को इंटरनेट मैनर्स सीखाइये फिर देखिये दुनिया कैसे बदलती है .
दैनिक जागरण /आई नेक्स्ट में 17/07/2019 को प्रकाशित
1 comment:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अश्रुपूरित श्रद्धांजलि - सुषमा स्वराज जी - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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