इंटरनेट
साईट स्टेटीस्टा के अनुसार देश में साल 2020 में इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या
सात सौ मिलियन रही जिसकी साल 2025 तक 974मिलीयन हो जाने की उम्मीद है | भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाईन बाजार
है |यह अपने आप में बड़ा बदलाव है इतनी तो
दुनिया के कई विकसित देशों की आबादी भी नहीं है । यह आंकड़ा भारत की डिजिटल साक्षरता
का भी आंकड़ा है यानी इतने लोग कार्य, व्यापार व अन्य जरूरतों के लिए इंटरनेट
का इस्तेमाल करते है।भारत के लिए यह रास्ता महत्वपूर्ण इसलिए हो सकता है क्योंकि
मोबाइल हैंडसेट अकेला ऐसा माध्यम है जिससे देश की आबादी के एक बड़े हिस्से तक
पहुंचा जा सकता है। यह अकेला ऐसा माध्यम है जो शहरों और कस्बों की सीमा लांघता हुआ
तेजी से दूरदराज के गांवों तक पहुंच भी गया है। तथ्य यह भी है कि हिन्दी समेत अन्य
भारतीय भाषाओं ने अंग्रेजी को भारत में इंटरनेट प्रयोगकर्ता भाषा के रूप में पहले
ही दूसरे स्थान पर ढकेल दिया है | गूगल और के पी एम् जी की रिपोर्ट के
मुताबिक इंटरनेट पर भारतीय भाषाओँ के साल 2011 में 42 मिलीयन प्रयोगकर्ता थे जो साल 2016 में बढ़कर 234 मिलीयन हो गए हैं और यह सिलसिला लगातार
बढ़ ही रहा है | “एक टाईप” ग्रुप के पंद्रह लोगों की टीम ने
भारतीय भाषाओँ के लिए छ: ऐसे यूनिकोड फॉण्ट विकसित किये हैं जो भारत की क्षेत्रीय भाषाओँ को एक
ही तरीके से लिखे जा सकते हैं इस ग्रुप के द्वारा विकसित मुक्ता देवनागरी
फॉण्ट प्रधानमंत्री कार्यालय समेत लगभग पैतालीस हजार वेबसाईट के द्वारा इस्तेमाल
किया जा रहा है .इसी का
बालू फॉण्ट दस भारतीय भाषाओँ में उपलब्ध है जिनमें मलयालम,कन्नड़ और उड़िया जैसी भाषाएँ शामिल हैं .यह भारतीयों की ताकत को दिखाता है | इसके साथ ही देश में कंप्यूटर के
मुकाबले मोबाइल पर इंटरनेट सुविधा हासिल करने वालों की संख्या भी बढ़ चुकी है।
लोगों के लिए तो यह कई तरह की सुविधाएं हासिल करने का महत्वपूर्ण माध्यम है ही, साथ ही सरकार के लिए भी यह महत्वपूर्ण
साबित हो सकता है पिछले
तकरीबन एक दशक से भारत को किसी और चीज ने उतना नहीं बदला, जितना इंटरनेट ने बदल दिया है। रही-सही
कसर इंटरनेट आधारित फोन यानी स्मार्टफोन ने पूरी कर दी पर कोई भी तकनीक अपने आप में परिपूर्ण
नहीं होती है यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम उसका इस्तेमाल कैसे करते है |आज इंटरनेट भले ही हमारा जीवन आसान कर
रहा हो पर अब इंटरनेट से जुड़े खतरों की चुनौती से देश जूझ रहा है इसीलिये अब
इंटरनेट को सुरक्षित बनाने पर बल दिया जा रहा है क्योंकि इंटरनेट जितनी तेजी से
हमारे जीवन में घर कर गया कि इससे पहले कि इस तकनीक के इस्तेमाल से जुड़े
मानक स्थापित हो पाते यह सबकी जरुरत बन गया |यहीं से शुरू हुआ इंटरनेट अपराध का
सिलसिला जो आज फेक न्यूज ,फेक सोशल मीडिया हैंडल से शुरू हो कर तमाम तरह के वित्तीय अपराधों तक पहुँच
चुका है |फर्जी
पहचान के सहारे नौकरी दिलाने से लेकर पैसे मांगने तक कई तरह के अपराध इस ओर इशारा
करते हैं कि इंटरनेट को सुरक्षित बनाये रखने का वक्त अब आ गया है |
भारत के
इंटरनेट उपभोक्ता आज दुनिया की कई बड़ी कम्पनियों के प्रगति करते रहने का बड़ा कारण
है पर यदि यह कम्पनियां भारतीय होती तो आज देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर कुछ और
होती और इन कम्पनियों के बाहरी होने के कारण कई बार देश विरोधी तत्वों को सर उठाने
का मौका मिल जाता है वे फर्जी पहचान के सहारे ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने में
सफल हो जाते हैं जिससे देश के तंत्र को अस्थिर किया जा सके और लोगों में भ्रम
फैलाया जा सके |
हालिया किसान आन्दोलन में हुई हिंसा के पश्चात दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन का कहना है कि "हाल के दिनों में लगभग 300 सोशल मीडिया हैंडल पाये गए हैं, जिनका इस्तेमाल घृणित और निंदनीय कंटेंट फैलाने के लिए किया जा रहा है जिसमें कुछ विदेशी संस्थाएं भी शामिल हैं जो किसान आंदोलन के नाम पर भारत सरकार के ख़िलाफ़ ग़लत प्रचार कर रहे हैं|ऐसे में इंटरनेट को सुरक्षित बनाये रखने की जिम्मेदारी एक उपभोक्ता के तौर पर हमारी भी जिम्मेदारी है क्योंकि ऐसे दुष्प्रचार जिन भी सोशल मीडिया साईट्स से किये जा रहे हैं वे सभी विदेशी हैं |प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने शायद इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है |अगर इंटरनेट में भारतीय कम्पनिया विश्व स्तर पर अपनी जगह बनाये तो भारत का विशाल डाटा किसी अन्य देश के सर्वर में रह कर देश के ही सर्वर में सुरक्षित रहेगा और ये जो विदेशी कम्पनिया भारत से पैसे कमा कर भारत विरोधी प्रचार को हवा दे रही हैं उन पर लगाम लगेगी | भारतीय कम्पनी रिलायंस जियो के स्वामी मुकेश अंबानी ने कहा कि 2021 में जियो भारत में 5जी क्रांति लेकर आएगी। पूरा नेटवर्क स्वदेशी होगा। इसके अलावा हार्डवेयर और टेक्नॉलजी भी स्वदेशी होगा। जिसके जरिये आत्म निर्भर भारत का सपना पूरा होगा |फिलहाल कुछ तथ्यों पर नजर डालते हैं साल 2018 में फेसबुक ने पचपन बिलियन डॉलर और गूगल ने एक सौ सोलह बिलियन डॉलर विज्ञापन से कमाए |मजेदार तथ्य यह है कि फेसबुक कोई भी उत्पाद नहीं बनाता है| डाटा आज की सबसे बड़ी पूंजी है यह डाटा का ही कमाल है कि गूगल और फेसबुक जैसी अपेक्षाकृत नई कम्पनियां दुनिया की बड़ी और लाभकारी कम्पनियां बन गयीं है|डाटा ही वह इंधन है जो अनगिनत कम्पनियों को चलाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं |वह चाहे तमाम तरह के एप्स हो या विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साईट्स सभी उपभोक्ताओं के लिए मुफ्त हैं |इसका मतलब यह है की सोशल मीडिया में रोजगार के कई सारे नए अवसर पैदा किये होंगे |भारत मे 462 मिलियन लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं जिसमे से करीब 250 मिलियन लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं । सबसे ज्यादा पेनिट्रेशन फेसबुक और यू ट्यूब का है। आज की सर्च के मुताबिक आज के दिन नौकरी डॉट कॉम पर सोशल मीडिया से संबंधित केवल 19057 नौकरियाँ हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के कारोबारी साल में फेसबुक इंडिया के मुनाफे में 40 प्रतिशत उछाल आया है । जबकि 2019 के कारोबारी साल में ये ही मुनाफा बढ़ कर 84% हो गया ।यू ट्यूब के भारत मे 265 मिलियन एक्टिव यूज़र्स हैं लिंकेडीन के भारत मे 50 मिलियन एक्टिव यूजर है 2017 के कारोबारी साल से लिंकेडीन का मुनाफा 26 प्रतिशत बढ़ा है|लिंकेडीन के भारत मे मात्र 750 कर्मचारी हैं |
इन आंकड़ों की रौशनी में यह दिखता
है कि सोशल मीडिया साइट्स में प्रत्यक्ष रोजगार बहुत ही कम है और इन
सभी साइट्स की ज्यादातर आमदनी "यूजर सेंट्रिक" विज्ञापन से होती
है और जबकि ज्यादातर ये सभी साइट्स फ्री है|आधिकारिक तौर पर सोशल मीडिया से भारत
मे कितने रोजगार पैदा हुए इसका विशेष उल्लेख नही मिलता क्योंकि ये सारी
कम्पनियां इन से सम्बन्धित आंकड़े सार्वजनिक रूप से नहीं जारी करती । साथ ही प्रत्यक्ष रोजगार के काफी कम
होने का संकेत इन कम्पनीज के एम्प्लाइज की कम संख्या से प्रमाणित होता है ।
बिजनेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में भारत में गूगल और फेसबुक ने 1०००० करोड़ रुपये कमाए |वहीँ इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट
के हिसाब से 2019 में
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 11,262 करोड़ रुपये कमाए परन्तु जब हम
दोनों कम्पनीज से मिले प्रत्यक्ष रोजगार और साथ ही उसके साथ बने इंफ्रास्ट्रक्चर
के विकास को देखते हैं तो दोनों में जमीन आसमान का अंतर मिलता हैं | जैसे 90 बिलियन डॉलर वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज 194056 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती
है और इससे कहीं ज्यादा लोग वेन्डर कंपनियों के माध्यम से रोजगार पाते हैं।
इंटरनेट
को सुरक्षित बनाये रखने के दो रास्ते हैं पहला ज्यादा से ज्यादा भारतीय उधमियों का
इस क्षेत्र में प्रवेश जिससे हम आत्म निर्भर भारत की अवधारणा को सिर्फ उत्पाद के
क्षेत्र में ही सीमित न करें बल्कि इंटरनेट के विभिन्न उत्पाद में भी भारतीयता को
बढ़ावा दें और दूसरा इंटरनेट पर थोड़ी जिम्मेदारी से पेश आयें |फेक न्यूज से बचें फर्जी चित्रों
को पहचानने में गूगल ने गूगल इमेज सेवा शुरू की है, जहां आप कोई भी फोटो अपलोड करके यह पता
कर सकते हैं कि कोई फोटो इंटरनेट पर यदि है, तो वह सबसे पहले कब अपलोड की गई है
इससे यदि कोई फोटो किसी गलत सन्दर्भ में प्रचारित की जा रही है तो हम ये समझ सकें
कि ऐसी खबरें वैमनस्यता फैलाने के लिए प्रसारित की जा रही हैं । एमनेस्टी
इंटरनैशनल ने विडियो में छेड़छाड़ और उसका अपलोड इतिहास पता करने के लिए यूट्यूब के
साथ मिलकर यू ट्यूब डेटा व्यूअर सेवा शुरू की है ।
अनुभव बताता है कि नब्बे प्रतिशत विडियो सही होते हैं पर उन्हें गलत संदर्भ
में पेश किया जाता है। किसी भी विडियो की जांच करने के लिए उसे ध्यान से बार-बार
देखा जाना चाहिए। यह काम क्रोम ब्राउजर में इनविड (InVID) एक्सटेंशन जोड़ कर किया जा सकता है।
इनविड जहां किसी भी विडियो को फ्रेम दर फ्रेम देखने में मदद करता है वहीं इसमें
विडियो के किसी भी दृश्य को मैग्निफाई (बड़ा) करके भी देखा जा सकता है। यह विडियो
को देखने की बजाय उसे पढ़ने में मदद करता है। मतलब, किसी भी विडियो को पढ़ने के लिए किन
चीजों की तलाश करनी चाहिए, ताकि उसके
सही होने की पुष्टि की जा सके। जैसे विडियो में पोस्टर-बैनर, गाड़ियों की नंबर प्लेट और फोन नंबर की
तलाश की जानी चाहिए, ताकि गूगल
द्वारा उन्हें खोज कर उनके क्षेत्र की पहचान की जा सके। कोई लैंडमार्क खोजने की
कोशिश की जाए। विडियो में दिख रहे लोग कैसे कपड़े पहने हुए हैं, वे किस भाषा या बोली में बात कर रहे
हैं, उसको देखा
जाना चाहिए। इंटरनेट पर ऐसे कई सॉफ्टवेयर मौजूद हैं जो विडियो और फोटो की सत्यता
पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
दैनिक जागरण के झंकार परिशिष्ट में 07/02/2021 को प्रकाशित
1 comment:
उपयोगी आलेख।
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