Wednesday, June 23, 2021

कोरोना ने दिखाई टेली मेडिसिन की राह

 


कोरोना जैसी अति संक्रामक बीमारियों ने यह चेता दिया कि अगर रोग की प्रकृति बदल रही है तो इलाज के तरीके भी बदलने होंगे| मरीज़ों और डॉक्टरों दोनों के लिए आमने-सामने बैठ कर इलाज करना और करवाना दोनों जोखिम भरा काम हो गया है| देश की स्वास्थ्य सेवाओं का  आधारभूत ढांचा खुद रोगग्रस्त है|ऐसे में ऐसे लोग जो उच्च रक्तचाप,डायबिटीज, ह्रदय रोग या अन्य सामान्य  जीवन शैली आधारित  बीमारियों से ग्रसित है| जिसमें चिकित्सकों से नियमित जांच की जरुरत होती है|उन लोगों के स्वास्थ्य पर भी  भारी संकट आ गया है |वहीं कोरोना के हलके लक्षणों वाले रोगी भी अस्पताल जाने की बजाय घर में ही आइसोलेट रहकर कोरोना से लड़ रहे हैं |
ऐसे तमाम रोगियों के लिए इंटरनेट एक आशा की बड़ी किरण के रूप में उभरा |मार्केट इंटेलिजेंस फर्म कलगाटो के एक विश्लेषण  में यह तथ्य सामने आया कि  अप्रैल 2021 में ओनलाईन फार्मेसी कम्पनी फ़ार्म इजी और नेटमेड्स के डेली एक्टिव यूजर्स की संख्या में दो गुनी से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गयी वहीं ओनलाईन डॉक्टरों के वीडिओ परामर्श दिलाने वाली साईट प्रैक्टो के उपभोक्ताओं की संख्या में तीन गुना से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गयी |भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ऐसे स्वास्थ्य एप /वेबसाईट का न केवल प्रयोग कर रहे हैं बल्कि वहां ज्यादा समय भी बिता रहे हैं |उदाहरण के लिए प्रैक्टो और ओनलाईन दवा की रिटेल चेन मेडप्लस में यह समय अप्रैल में दो सौ प्रतिशत बढ़ गया | दुनिया में दूसरे नम्बर पर सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स भारत में है जिसमें बड़ी भूमिका स्मार्टफोन धारकों की है | सरकार की टेलीमेडिसिन प्रेक्टीस गाईड लाईन्स  देश के सुदूर इलाकों में चिकित्सकों को इंटरनेट के माध्यम से अपनी सेवाएँ देने को विधिक स्वरुप प्रदान करती है जिसे साल 2020 में बीस मार्च को जारी किया गया है |चिकित्सा का यह तरीका न केवल संकट के इस समय बल्कि भविष्य में भी लोगों को फायदा पहुंचाएगा | टेलीमेडिसिन प्रेक्टीस गाइड लाईन्स  को मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इण्डिया और नीति आयोग के द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है |  वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने टेलीमेडिसिन को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच उन लोगों तक जहाँ दूरी एक महत्वपूर्ण कारक है वहां रोगों और चोटों में अनुसंधान, मूल्यांकन और स्वास्थ्य सेवा की सतत शिक्षा के लिए निदान,उपचार और उनके रोकथाम के लिए वैध जानकारी के आदान प्रदान में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग स्वास्थ्य पेशेवरों  द्वारा किया जाना है |शाब्दिक रूप से टेलीमेडिसिन का तात्पर्य इंटरनेट के माध्यम से  दूरी से किया गया उपचार है |डॉक्सऐप, एमफाइन और प्रेक्टो जैसे इंटरनेट  प्लेटफॉर्म मरीजों को डॉक्टरों से जुड़ने और आभासी परामर्श को शेड्यूल करने में सहायता प्रदान कर रहे हैं |हालाँकि अभी यह प्रयोग बहुत ही सीमित मात्रा में है क्योंकि इसमें सबसे बड़ी बाधा रोगी की उस मानसिकता में जिसमें वह डॉक्टरों से आमने सामने मिल कर ही अपने रोग का निदान चाहता है |ये सोच  अस्पतालों में अनावश्यक भीड़ बढाती है |

इस गाईड लाईन्स के अनुसार अब डॉक्टर रोगियों को वीडियो, ऑडियो, ईमेल द्वारा परामर्श प्रदान कर सकते हैं | यह गाईड लाईन्स उन दवाओं को भी श्रेणी बद्ध करती है जिन्हें टेलीमेडिसिन द्वारा रोगियों को नियत किया जा सकता है |जैसे पैरासिटामोल और इसके जैसी हल्की दवाएं किसी भी परामर्श द्वारा रोगी को दी जा सकती हैं, लेकिन उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे रोगों की दवाएं निरन्तरता परामर्श में ही रोगी को टेलीमेडिसिन द्वारा दी जा सकती हैं जिसमें अनिवार्य रूप से सबसे पहला परामर्श रोगी  और डॉक्टर का आमने सामने का होगा |गंभीर रोगों के विषय में डॉक्टर टेलीमेडिसिन के इस्तेमाल से दवाएं नहीं निर्धारित करेंगे |इस बात का निर्धारण कि रोगी का  दूर से इलाज (टेलीमेडिसिन) किया  जाए या नहीं डॉक्टर के अपने पेशेवर निर्णय के अधीन होगा | आगे जाकर, डॉक्टरों को दूरस्थ परामर्श प्रदान करने के लिए एमसीआई  के बोर्ड द्वारा प्रशासित एक ऑनलाइन कोर्स पूरा करना होगा।चूँकि ऑनलाईन कोर्स के विकसित होने में अभी समय लगेगा तब तक डॉक्टर अंतरिम रूप से सरकार द्वारा निर्धारित गाईडलाईन्स के अनुसार मरीज देख सकते हैं |

टेलीमेडिसिन का यह प्रारूप भविष्य में  ई-स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक रूप देने में मदद करेगा | इसमें न केवल दूरस्थ परामर्श को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी | बल्कि यह ऐसे समाधान भी निकालेगा  जो रोगियों, डॉक्टरों, डायग्नोस्टिक क्लीनिकों और फार्मेसियों को आपस में जोड़ देंगे।जिसका फायदा निश्चित रूप से रोगी को जल्दी स्वस्थ होने में मिलेगा | टेलीमेडिसिन भारत के छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद लाभकारी  हो सकता है जहां डॉक्टरों की भारी कमी है । स्टेटिस्टा साईट  के एक शोध के अनुसार देश में टेलिमेडिसिन के बाजार का आकार   तीस  प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से साल 2020 से  2025  के बीच बढेगा|  भारत जैसे गरीब देशों में मेडिकल सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने में टेलिमेडिसिन अहम टूल साबित हो सकता है | टेलिमेडिसिन को सभी जगहों तक पहुंचाने के लिए हेल्थ रिकॉर्ड को डिजिटाइज करना पहला अहम कदम है दुनिया के एक कोने में बैठा विशेषज्ञ और रोगी  दुनिया के दूसरे कोने में बैठे विशेषज्ञ की राय ले सकता है |पर इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि देश में अभी भी करोडो लोग इंटरनेट की पहुँच से दूर हैं |इस तरह की सेवाओं के लिए अंग्रेजी का कार्यकारी ज्ञान होना भी जरुरी है |भारत के नए इनत्नेट उपभोक्ताओं में नब्बे प्रतिशत भारतीय भाषाओं के बोलने वाले हैं |हालांकि प्रैक्टो ने भारत की पन्द्रह क्षेत्रीय भाषाओँ में अपनी सेवा शुरू की है|बोस्टन के चिकित्सक डोली अर्जुन ने ने टेलीहेल्थ नामक सेवा दलितों और जनजातियों के लिए शुरू की है जिसमें स्थानीय भाषा अनुवादकों के साथ जुड़कर रोगियों का इलाज किया जा रहा है |बिग ओ हेल्थ एप हिन्दी भाषियों के लिए डाक्टरी परामर्श उपलब्ध करा रहा है |

देश में टेलीमेडिसिन की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीक का इस्तेमाल कितनी जल्दी अपने व्यवहार में शामिल कर लेंगे |

अमर उजाला में 23/06/2021 को प्रकाशित 

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