भारत में टीवी और रेडियो की शुरुआत सुचना और मनोरंजन से हुई थी लेकिन जल्दी ही विज्ञापनों के जरिये इन दोनों माध्यमों का आर्थिक दोहन शुरू हो गया |धीरे –धीरे विज्ञापन रेडियो और टीवी का अभिन्न अंग बन गए |जिनके बगैर इन माध्यमों की कल्पना करना भी मुश्किल हो गया |कुछ ऐसी कहानी इंटरनेट के साथ भी हुई लेकिन यहां विज्ञापनों के साथ कुछ अलग तरह के खतरे भी आये |इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ सूचनाओं और मनोरंजन तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह बहुत निजी माध्यम बन गया और उसमें सबसे बड़ा मुद्दा उपभोक्ताओं की निजता का भी है |इंटरनेट की किसी सेवा तक अपनी पहुँच बनाने के लिए वेब ब्राउजर की जरुरत होती है |वेब ब्राउजर पर आप क्या कर रहे होते हैं इसका पता उन्हें रहता है |यहीं से डाटा महत्वपूर्ण हो जाता है |अगर किसी विज्ञापन दाता को यह पता पड़ जाए कि आप क्या चीज खोज रहे हैं तो उसे अपने उत्पाद को बेचना आसान हो जाएगा | इस वक्त गूगल का क्रोम ब्राउजर सबसे बड़ा ब्राउजर है |लेकिन उपभोक्ताओं की निजता के बढ़ते दबाव के चलते गूगल ने एक सीमित परीक्षण शुरू किया है |जिसमें वह अपने क्रोम ब्राउज़र का उपयोग करने वाले एक प्रतिशत लोगों के लिए थर्ड पार्टी कुकीज़ को प्रतिबंधित करेगा, क्रोम ब्राउजर दुनिया भर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय ब्राउजर है। इस वर्ष के अंत तक, गूगल का इरादा है कि वह सभी क्रोम उपयोगकर्ताओं के लिए थर्ड पार्टी कुकीज़ को समाप्त कर देगा |विश्व के 600 अरब डॉलर वार्षिक ऑनलाइन विज्ञापन उद्योग के इतिहास में यह सबसे बड़े बदलावों में से एक होगा|नब्बे के दशक में कंप्यूटर इंटरनेट की दुनिया में एक छोटी सी पहल ने लोगों के वेबसाइट इस्तेमाल के अनुभव को उल्लेखनीय तरीके से बदल दिया और इसका श्रेय जाता है नेटवर्क इंजीनियर लू मोंटुल्ली को जिन्होंने एच टी टी पी कुकी का आविष्कार किया | इसी कुकी के द्वारा ही हमारा वेबसाइट अनुभव नियंत्रित्र होता है | कुकीज को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे अतिआवश्यक कुकीज , वर्किंग कुकीज , फर्स्ट पार्टी कुकीज, सेकंड पार्टी कुकीज़ तथा थर्ड पार्टी कुकीज़ आदि |
अब लोग अपनी निजता के प्रति बहुत जागरूक हुए हैं और इसी को ध्यान मे रखते हुए और उपभोक्ताओं कि मांग का सम्मान करते हुए गूगल के थर्ड पार्टी कुकीज का प्रयोग चरणबद्ध तरीके से बंद करना शुरू कर दिया है जिसका असर बहुत सारी कम्पनियों पर पड़ रहा है जो उपभोक्ता सूचना और विज्ञापन के क्षेत्र मे काम कर रही हैं | गूगल की इस नीति के कारण उनका खर्च बढ़ने कि संभावना है|हालाँकि गूगल का यह प्रयास पहले केवल क्रोम उपयोगकर्ताओं के एक हिस्से को प्रभावित करेंगे, लेकिन अंततः इसका नतीजा यह हो सकता है कि अरबों इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को कम विज्ञापन दिखाई देंगे जो उनकी ऑनलाइन ब्राउज़िंग आदतों से काफी मेल खाते हैं। पिछले दशक के अंत में, मोज़िला के फ़ायरफ़ॉक्स और ऐप्पल के सफ़ारी ब्राउज़र ने लोगों की निजता और गोपनीयता चिंताओं के कारण कुकीज़ को ट्रैक करने पर सीमाएं लगानी शुरू कर दीं थी ।
गूगल ने 2020 में उन्हें क्रोम से हटाने की योजना बनाई, लेकिन विज्ञापन उद्योग और गोपनीयता के समर्थकों की चिंताओं को दूर करने के लिए इस प्रक्रिया में कई बार देरी हुई। और गेट एप की एक रिपोर्ट के अनुसार इकतालीस प्रतिशत सेवा प्रदाताओं कि सबसे बड़ी चुनौती सही डेटा को ट्रैक करना होगा वहीं चौवालीस प्रतिशत सेवा प्रदाताओं को लगता हैं कि उन्हे अपने व्यसाययिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये अपनी लागत को को पांच प्रतिशत से पच्चीस प्रतिशत तक बढ़ाना पड़ सकता है | हालांकि उपभोक्ताओं की निजता के लिये यह कोई बहुत बड़ी राहत नहीं है क्योंकि अधिकतर सेवा प्रदाता अब एप का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं| जिससे उन्हे ज्यादा सटीक और ज्यादा व्यक्तिगत सूचनाएं प्राप्त होंगी | दुनिया भर के देश गोपनीयता कानून अब कुकी प्रयोग और उस पर सहमति संबंधी प्रावधान जोड़ रहे हैं ताकि बिना सहमति के सूचनाएं साझा न हो और गोपनीयता बरकरार रहे | गूगल का ये प्रयास निजी सूचना आधारित व्ययसायों पर न केवल दूरगामी प्रभाव डालेगा बल्कि ऑनलाईन विज्ञापन के नये नए तरीकों को भी जन्म देगा |
दैनिक जागरण में 16/04/2024 को प्रकाशित