Saturday, September 7, 2024

पोर्न कंटेंट के प्रति संवेदनशीलता

 

बीते माह कोलकाता में एक युवा महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी और निर्मम हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस जघन्य अपराध के खिलाफ सड़कों पर लोगों का गुस्सा और विरोध प्रदर्शन तेज़ी से बढ़ रहा है। जहां हर कोई पीड़िता के दर्द से आहत थावहीं कुछ विकृत मानसिकता वाले लोग इस भयावह घटना का फायदा उठाकरतथाकथित रेप वीडियो के नाम पर सामग्री बेचने में जुट गये । इंटरनेट पर अचानक ऐसे वीडियो की माँग बढ़ गईऔर कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मैसेजिंग ऐप्स पर इन वीडियो को बेचने की कोशिशें शुरू हो गईं। इंटरनेट के इस भयावह चेहरे ने समाज की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं।9 अगस्त को हुई इस घटना के बाद से ही गूगल पर लोगों ने रेप से जुड़े वीडियो सर्च करना शुरू कर दिये। गूगल ट्रेंड्स पर पीड़िता के नामरेप वीडियो और कोलकाता रेप वीडियो जैसे कीवर्ड की खोजों में वृद्धि दर्ज की गई। पब्लिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक पॉर्न साइट्स पर भी लोगों ने पीड़िता के नाम से वीडियो खोजने की कोशिश की। यह इस तरह का पहला मामला नहीं हैइससे पहले भी जब भी कोई रेप का मामला सुर्खियों में आता हैउस वक्त उस घटना से जुड़े तथाकथित वीडियो के नाम से गूगल पर सर्च की संख्या बढ़ जाती है। चाहे वह प्रज्जवल रेवन्ना के खिलाफ यौन हिंसा के आरोप हों या मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र करने का मामलाहर घटना के बाद इन सर्च ट्रेंड्स में इजाफा देखा गया है। इंटरनेट पर इस प्रकार की सामग्री की बढ़ती मांग ने एक नए प्रकार के घिनौने कारोबार को जन्म दिया है।टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप्स पर एन्क्रिप्शन की आड़ में तथाकथित 'रेपवीडियो के लिंक खुलेआम बेचे जा रहे हैं। इन एुप्स पर रेपचाइल्ड पॉर्नोग्रॉफी जैसे वीडियो मामूली कीमत पर बेचे जाते हैं ।

 लिंक के लिए भुगतान करने के बाद  इच्छुक सब्सक्राइबर को टेराबॉक्स और पोर्न साइट्स जैसी क्लाउड एग्रीगेटर ऐप्स की ओर ले जाया जाता है। यह व्यापार इतनी तेजी से बढ़ता जा रहा है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां भी इसे रोकने में असमर्थ नजर आ रही हैं। इन एन्क्रिप्टेड चैनलों को बंद करना भी एक अस्थायी समाधान हैक्योंकि नए चैनल्स कुछ ही मिनटों में शुरू हो जाते हैं। इस अनैतिक व्यापार ने न केवल कानून को चुनौती दी हैबल्कि समाज की नैतिकता और संवेदनशीलता को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।इस कड़ी में एआई जैसी तकनीक आने से अपराधियों के हौसले और बढ़ गये हैं। जहाँ तकनीक की मदद से किसी भी शख्स की सामान्य तस्वीर को फेक न्यूड तस्वीरों और डीप फेक वीडियो में बदला जा सकता है। टेक रिसर्च संस्था वर्ज की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को प्रशासन ने 18 वेबसाइट्स और ऐप्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हैजो इस तरह के न्यूड फेक वीडियो को बनाने में मदद करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वेबसाइट्स केवल 2024 के पहले छह महीनों में 200 मिलियन से अधिक बार देखी गई थीं। आज के दौर में किसी के भी शरीर का हक छीनकर उसकी इज्जत को तार तार किया जा सकता हैऔर तकनीक की मदद से इसे बेचनाफैलाना कितना आसान हो गया है।वहीं इस तरह के घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधी न सिर्फ व्यापार के लिए बल्कि पीड़िता को धमकाने और ब्लैकमेल करने के लिए वीडियो बनाते हैंबीते माह मध्य प्रदेश के ग्वालियर में  कक्षा 9 की छात्रा का गैंगरेप कर उसे फोटो और वीडियो के जरिये ब्लैकमेल के मामले में यूपी पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। वहीं आगरा में एक होमस्टे कर्मचारी को पाँच लोगों ने गैंगरेप का शिकार बनाया और वीडियो बनाकर उसे इंटरनेट पर डाल दिया। इस तरह की घटनाएं हमें रोज खबरों में दिखाई देती है। इस वीडियो के अमानवीय व्यापार से पीड़िता का आघात और अधिक बढ़ जाता हैजिससे वे कई बार अपनी जान तक दे देती हैं।यौन हिंसा के इन वीडियोज का एक बड़ा हिस्सा चाइल्ड पॉर्नोग्राफी का है,इस तरह के अमानवीय कृत्यों को मैसेजिंग एप्स पर ग्रुप्स और चैनलों की मदद से खरीदा-बेचा जाता है। साल 2023 में सूचना और प्रसारण मंत्रालयभारत सरकार ने सोशल मीडिया साइट्स जैसे फेसबुकयूट्यूब और टेलीग्राम जैसी कंपनियों को इस तरह की सामग्री के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नोटिस जारी किया था। इसके बाद यूट्यूब ने अपनी नई कम्युनिटी गाइड लाइन्स के मुताबिक अक्टूबर से दिसंबर माह के बीच करीब 25 लाख वीडियो को अपने प्लेटफॉर्म से हटाया था। वहींटेलीग्राम पर 'स्टॉप चाइल्ड अब्यूजचैनल के डेटा के मुताबिक इस साल अब तक करीब 6 लाख 70 हजार चैनल्स को बैन किया जा चुका हैजिनमें अगस्त महीने में अकेले 52 हजार के करीब चैनलों को बैन किया गया।पॉर्नोग्राफी और इस तरह की यौन हिंसा के वीडियो देखने की आदत के बीच गहरा ताल्लुक है। 

मनोचिकित्सक मानते हैं कि इस तरह की सामग्री देखने से व्यक्ति की यौन और हिंसा के प्रति सामान्य दृष्टि विकृत हो गई है। भारत जैसे देश में जहां यौन शिक्षा की कमी भी इस समस्या को और गंभीर कर देती है। दुनियाभर में पॉर्न के उपभोग पर मंकी इंसाइडर नामक संस्था की एक रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा सामने आया हैरिपोर्ट में कहा गया है कि पॉर्न वीडियो देखने के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर आता है। जिनमे 18 से 24 साल के युवाओं की संख्या 24 प्रतिशत है।ब्रिटिश जर्नल ऑफ क्रिमिनोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसारमुख्यधारा की पोर्न साइट्स पर पहली बार आने वाले हर आठ में से एक उपयोगकर्ता को ऐसे वीडियो दिखाए जाते हैंजिनमें यौन हिंसा या बिना पीड़ित की सहमति के रिकॉर्ड की गई गतिविधियों का उल्लेख होता है। यह आंकड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि इंटरनेट पर इस तरह की सामग्री कितनी सामान्य होती जा रही है और किस हद तक हमारी मानसिकता और नैतिकता को प्रभावित कर रही है। इस समस्या का समाधान हम सिर्फ कानून से नहीं बल्कि जागरूकता लाकर ही कर सकते हैं। ताकि हम न केवल इस तरह की सामग्री को नकारेबल्कि इसके खिलाफ खड़े  हों। हमें समझना होगा कि इस तरह का हर क्लिकहर शेयर किसी की जिंदगी को तबाह कर सकता है।  केवल तभी हम इस तरह के घिनौने व्यापार की रोकथाम कर सकते है।

 दैनिक जागरण में 07/09/2024 को प्रकाशित 


No comments:

पसंद आया हो तो