प्रिय दोस्तों
मैं साल २००८ हूँ ,चौंक गए न, मैंने आप सभी के साथ काफी अच्छा वक्त गुजारा तो सोचा मैंने इस दुनिया को किस तरह समझा इस राज़ को आपके साथ बाँटता चलूँ .चलते-चलते क्यों ना अपनों से अपनी बात कर ली जाए .जिस तरह दुनिया का नियम है जो आया है उसे जाना है .मेरा भी जाने का वक्त हो गया है और मुझे इसे एक्सेप्ट करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है और वैसे भी लाइफ में जो भी जैसे मिले अगर उसे वैसे ही एक्सेप्ट कर लिया जाए तो जिन्दगी थोड़ी आसान हो जाती है .ये है मेरा पहला सबक जो मै आपके साथ बांटना चाहता हूँ .
मुझे याद है जब मै आया था तो लोगों ने तरह तरह से खुशियाँ मना कर मेरा स्वागत किया था वे मानते थे कि मैं उनके जीवन में खुशियों की बहारें लेकर आऊंगा. कुछ की उम्मीदें पूरी हुई ,कुछ की उम्मीदें टूटी और कुछ को मायूसी हाथ लगी और अब उम्मीदों का बोझ मेरे छोटे भाई साल २००९ पर होगा .जाते साल का दूसरा सबक किसी से एक्सपेकटशन मत रखिये, क्योंकि अगर एक्सपेकटशन नहीं पूरी होंगी तो परेशानी होंगी .दिन तो इसी तरह से बीतते जायेंगे साल आते रहेंगे और जाते रहेंगे और हर साल लोग न्यू इयर से उम्मीदें लगाते रहेंगे.और यही उम्मीद हमें जीने की और आगे बढ़ने का मोटिवेशन देती है लेकिन कोरी उम्मीदों से लाइफ न तो बदलती है और न ही आगे बढ़ती है इसके लिए प्रयास अपने आपको करना पड़ता है ये प्रयास ही हमारी लाइफ को बेहतर बना सकता है .आप सभी न्यू इयर सलेबेरेशन की प्रेपरेशन में बिजी होंगे .साल के पहले दिन कहाँ पार्टी करनी है क्या रेसोलुशन लेना है लेकिन मैं जानता हूँ जैसा कि मेरे साथ हुआ है और मेरे छोटे भाई २००९ के साथ भी होगा .साल के पहले दिन का स्वागत आप जिस जोश और उमंग के साथ करेंगे वो आधा साल बीतते न जाने कहाँ गायब हो जाएगा .वो रेसोलुशन जो साल के पहले दिन हमने लिए थे हम आधे साल भी उन्हें निभा नहीं पायेंगे. और वो नया साल जिसका आप बेकरारी से इंतज़ार कर रहे थे आप को प्रॉब्लम देने लगेगा .तीसरा सबक सफलता के लिए डेडिकेशन के साथ कनसिसटेंसी भी जरूरी है .मैंने पिछले एक साल में जिन्दगी के कई मौसम देखें जिन्दगी कहीं गरमी की धूप की तरह गरम लगी , कभी बरसात की फुहार की तरह सुहानी और कभी सर्दी की ठंडी रातों की तरह सर्द ,मैंने होली ईद और दिवाली में सुख और उल्लास के पल देखे वहीँ मुंबई , जयपुर ब्लास्ट में इंसानी हैवानियत के साथ दुःख के पलों का सामना किया लेकिन मैं चलता रहा बीती बातों को छोड़ते हुए तो मेरा चौथा सबक परेशानियों की परवाह किए बिना अपना काम करते रहें क्योंकि कोई इन्सान महान नहीं होता , महान होती है चुनोतियाँ और जब एक आदमी इन्हें स्वीकार करें तब वो महान कहलाता है ।साल के सारे दिन एक जैसे ही होते हैं हर सुबह सूरज निकलता है और शाम होती है बस जिन्दगी के प्रति हमारा नजरिया और आगे बढ़ने की चाह साल के हर दिन को खुशनुमा और नए साल के पहले दिन जैसा बना सकती है और अगर आप ऐसा कर पाये तो आपको खुशियाँ मनाने और नए रेसोलुशन लेने के लिए नए साल का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा हर दिन खुशनुमा होगा और तब शायद जाते हुए साल को जाते हुए इतना दुःख भी न होगा जितना मुझे हो रहा है. तो नया साल नई बातों नई सोच का कुछ कर गुजरने का साल होना चाहिए .अपने आप से वादा कीजिये कि कुछ नया होगा ,जिन्दगी में , पर्सनल लाइफ में, प्रोफेशन में कुछ अलग एंड आय होप ये साल यूं ही नहीं गुजर जाएगा.आप सब के साथ बिताये पलों की मधुर स्मर्तियों के साथ मै जा रहा हूँ फ़िर न कभी न आने लिए तो जाते साल का अन्तिम सबक जिन्दगी आज का नाम है जो दिन आज बीत गया वो फ़िर कभी नहीं आएगा चाहे आप कुछ भी कर लें इसलिए जिन्दगी को जी भर कर जी लीजिये , क्योंकि कल किसने देखा कल आए न आए ?
इस नए साल में कुछ नया कीजिये
जो किया है उसके सिवा कीजिये
ख़त बधाई का बेशक लिखें दोस्तों
दुश्मनों के लिए भी दुआ कीजिये .
शुभकामनाओं के साथ हमेशा के लिए विदा
सिर्फ़ आपका
साल २००८।
आई नेक्स्ट मैं ३१ दिसम्बर को प्रकाशित
10 comments:
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने...नव वर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाये
मुकुल जी
मेरी ओर से आपको नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं।
इस लेख में आपने अच्छा कॉन्सेप्ट निकाला है। इस लेख में पूरे 2008 को आपने जिस खूबसूरती से समेटा है वो काबिल-ए-तारीफ है। मैं आपका ब्लॉग निरंतर पढ़ता हूं, लेकिन क्या करें समय के अभाव में हर बार टिप्पणी नहीं दे पाता।
अच्छा लिखा है मुकुल जी आपने ! नए वर्ष की शुभकामनाएं !
hi sir- 2008 to chla gaya lakin kuch khatti-methe yado ke shath jesi aap ne badi behtrin tareke se blog pr utara hai.
आने वाले साल सभी के लिए खुशियाँ लायें... अच्छा लेख है सर..
saal zaroor beeta jaayega lekin har pal apni yaadein bhi saath chodta jaayega
saal beet jata hai par aapni yaadein chod hi jata hai aur kuch behtar karne ka ahsaas karwa jata hai.
Saal aate hai jate hai par khuch miti kati yaade chod jate hai or naye umedd liye fir a jate hai par ye humari jindgi jine ka samye kam kar jate hai
bhot ache se sal 2008 ko apne is lekh me sameta h sir
her saal beet jata hai or kuch achi or buri yaaden chod jata hai..jaise ki birbal ne kaha tha yeh waqt beet jayega to yahi her saal ke sath hai woh beet jata hai
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