इंटरनेट पर सूचनाएं और आंकड़े खोजना और उनका
विश्लेषण करना कभी मुश्किल नहीं रहा पर जब आंकड़े भारत से सम्बन्धित हों तो
किसी एक अधिकृत स्रोत पर भरोसा नहीं किया जा सकता, जहाँ देश से
सम्बन्धित सारे आंकड़े विश्वसनीय तरीके से प्राप्त किये जा सकें|आंकड़ों तक जनता की सर्वसुलभता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और
अभिगम्यता नीति (एन डी एस ए पी )2012 का निर्माण किया गया जिसके अनुसार आंकड़ा
प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था सरकार के विभिन्न उपक्रमों में संयोजन के हिसाब से
उपर्युक्त नहीं है| इसी दिशा में राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और अभिगम्यता नीति को ध्यान
में रखते हुए data.gov.in वेबसाईट का निर्माण किया गया है जहाँ सरकार के समस्त विभागों के
गैर संवेदनशील आंकड़ों का संग्रहण किया जा रहा है| माना जाता है कि आंकड़ों तक आम
जन की पहुँच से प्रशासन में पारदर्शिता बढेगी और उनके तार्किक
विश्लेषण से देश में हो रहे सामाजिक आर्थिक बदलाव पर नजर रखते हुए
योजनाएं बन सकेंगी |सूचना
क्रान्ति के युग में भी अब तक सरकार आंकड़ों की अधिकृत मालिक बनी हुई थी
पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र का घोषणा पत्र भी कहता है कि राज्य सूचना को
व्यापक रूप से उपलब्ध करा जनजागरूकता और भागीदारी में सुविधा प्रदान कर्रेंगे, सरकार की इस पहल से
भारत की डिजीटल तस्वीर बदलने की उम्मीद की जा रही है.data.gov.in वेबसाईट नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर द्वारा विकसित की गयी है|इस वक्त इस
साईट पर सरकार के इक्यावन विभाग के चार हजार अड़सठ डाटा सेट उपलब्ध हैं,भविष्य में इसमें विभिन्न राज्यों और संघ शासित केन्द्रों के आंकड़े भी
शामिल किये जायेंगे |स्मार्ट फोन पर इंटरनेट के प्रयोग की अधिकता को देखते हुए इस वेबसाईट में
कई तरह के एप भी विकसित किये जा रहे हैं जिन्हें डाउनलोड कर उनका इस्तेमाल
किया जा सकता जैसे किसी शहर के पिनकोड को जानने के लिए बस एक एप अपने फोन या
कंप्यूटर में डाउनलोड करना है यह
वेबसाईट काफी इंटरेक्टिव है लोगों से प्राप्त सुझाव को वेबसाईट में लगातार जगह दे
जा रही है वहीं विभिन्न क्षेत्रों की कम्युनिटी पेज भी हैं जहाँ आप ब्लॉग के
माध्यम से अपने अनुभव साझा कर सकते हैं और सम्बन्धित विषयों के विभिन्न एप्
डाउनलोड कर सकते हैं यदि आपने कोई एप बनाया है तो उसे सबके साथ साझा भी कर सकते
हैं जैसे कृषि समुदाय के पेज पर भारत की समस्त मंडियों के कृषि उत्पाद की कीमत
जानने और उनका तुलनात्मक आंकलन करने वाला एप मौजूद है|सूचना अधिकार कानून
के बढते इस्तेमाल और लोगों में सूचना प्राप्त करने की बढ़ती प्रवृत्ति में यह
वेबसाईट सरकारी प्राधिकारणों पर सूचना देने के बढते दबाव को कम करने में सहायक
सिद्ध हो सकती है| छ
भागों में विभाजित इस वेबसाईट में लोगों को नए विचार साझा करने और जनउपयोगी एप
बनाने के लिए कंटेस्ट का पेज भी है|अमेरिका और ब्रिटेन
जैसे देशों में यह पहल क्रमशः2009 और 2010 में की जा चुकी है इन देशों के मुकाबले
भारत के इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए अभी कई कसौटियों पर खरा जाना
है |इस
प्रयोग की सफलता एप के अधिकाधिक निर्माण और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक उनको
साझा किये जाने पर निर्भर करेगी|हिन्दी के साथ
विभिन्न क्षेत्रीय भाषाई संस्करण अगर जोड़ दिए जाएँ तो ऐसे प्रयास निश्चित
रूप से क्रांतिकारी साबित होंगे फिलहाल देश के आंकड़ों को जनता तक पहुँचने का एक
पड़ाव तो पार हो ही चुका है |
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1 comment:
सरकार भले ही डिजिटल इंडिया चाहती हो, लेकिन हकीकत तो यह है कि कई सरकारी विभागों की वेबसाइट अपडेट नहीं हो पा रही हैं। इनकी सिक्योरिटी के लिए भी कोई खास कदम नहीं उठाए गए हैं।
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