Tuesday, October 8, 2013

हर लाईक बहुत कुछ कहता है

मौसम में ठंडक आनी शुरू हो गयी है लेकिन ये महीना रिश्तों के लिहाज से गर्म रहेगा.अरे भाई  त्योहारों का मौसम जो आ गया है बकरीद ,दशहरा और उसके बाद दीपावली तो यारों दोस्तों से खूब मिलना जुलना होगा.पर एक समस्या है आजकल सब व्यस्त हैं तो हो सकता है कि  कुछ लोग छूट जाएँ जिनसे मुलाकात ना हो पाए पर आपको भी पता है उसके लिए टेंशन लेने की जरुरत नहीं अरे फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साईट्स हैं ना उसपर तो मिलना जुलना होता ही रहता है ना. बस उन दोस्तों को  अपनी याद दिलाने के लिए आपको ज्यादा मेहनत तो करनी नहीं है बस उनके अपडेट या फोटो ग्राफ  को लाईक कर देना है.वैसे लाईक से याद आया ये लाईक भी कमाल की चीज है न सुबह सुबह जब मैं फेसबुक खोलता हूँ तो मेरी न्यूस फीड भरी होती है तस्वीरों और अपडेट से,जिनमें  कुछ जाने पहचाने होते हैं तो कुछ बिलकुल अनजाने, जो जाने पहचाने होते हैं उनकी तस्वीरों और फोटोग्राफ को लाईक करके मैं उनको अपनी याद दिला देता हूँ और जो अनजाने होते हैं उनके अपडेट को लाईक कर एक नए रिश्ते की शुरुवात कर देता हूँ फ़िर जो अनजाने हैं वो जाने पहचाने कब लगने लग जाते हैं मुझे तो पता नहीं पड़ता.अच्छा एक बात बताइए क्या आपके साथ ऐसा होता है ?क्या कहा हाँ, डूड यही तो लाईफ है कितना कुछ कॉमन हैं हम सबमें पर हम हैं कि ध्यान ही नहीं देते, अब देखिये ना कम्युनिकेशन की नयी स्टाईल डेवेलप हो रही है हम बिना बोले कितना कुछ बोल रहे हैं वो भी माउस की एक क्लिक से वैसे आपने गौर भी किया होगा कि लाईक का सिम्बल कितना मोटीवेशनल है (Y)यूँ समझ लीजिए ये जादू की वर्चुअल झप्पी है अब जरूरी नहीं है कि हम हर एक मित्र से गले मिलकर उसे ये एहसास दिलाएं कि वो हमारे लिए खास है उसके बगैर जिंदगी में कुछ कमी सी रहती है,फ़िर दोस्त भी तो खाली नहीं बैठा होगा हमेशा आपकी सेंटी टॉक झेलने के लिए तो आसान तरीका है ना मेसेज बॉक्स में जा के बगैर कुछ कहे एक सिम्बल भेजने का बस अब इस सिम्बल में कितना कुछ शामिल है प्यार, मोटीवेशन, इंस्पीरेशन अब ये हमारे ऊपर है कि इन फीलिंग्स में से अपने लिए क्या चुनते हैं.हमारी जिंदगी में मोटे तौर पर सिचुएयेशन एक जैसी ही आती हैं अब उनमे से कोई अपने लिए अपार्चुनिटी देख कर विनर बन जाते हैं तो कई स्थितियों को कोसते हुए जीवन भर वीक बने रह जाते हैं.अपने आस पास देखिये ऐसे कई विनर लूजर मिल जायेंगे,तो हर लाईक का मतलब लाईक ही नहीं होता है.इस बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए और हर बात को लाईक नहीं करना चाहिए आपको भी तो रोज ना जाने कितने इन्वीटेशन मिलते होंगे कि फलां पेज को लाईक करो पर आप हर पेज को तो नहीं लाईक करते हैं तो लाईफ में सिचुयेशन सबको भले ही एक जैसी लगीं पर चोइसेज तो हमारी ही होती हैं कि हमें जिंदगी से क्या चाहिए तो नो युअर लिमिटेशंस् समझाता हूँ अब ये लाईक वाला मामला वहीं काम करेगा जब आपके फेसबुक फ्रेंड के  लिमिटेड फ्रेंड हों जो रिश्ते बनाने और निभाने में यकीन रखता हो या पर्सनली आप उसके  बेस्ट फ्रैंड में से एक हों पर ऐसे लोग जो फेसबुक पर सिर्फ दोस्ती करने आते हैं निभाने नहीं उनके स्टेटस को लाईक करने से कोई फायदा नहीं होगा क्यूंकि वहाँ ऐसी पूरी उम्मीद है कि आप उनके लिए हमेशा अनजाने ही बने रहेंगे तो लाईफ में आगे बढ़ने के लिए उसी प्रोफेशन को चुनें जिसके लिए आप बने हों,जिसमे आपको मजा आता हो, किसी के दबाव में या किसी को सफल देख कर उसके जैसा बनने की कोशिश तब तक ना करें जब तक कि आपका उस प्रोफेशन में इंटरेस्ट ना हो,कुछ समझे क्या वैसे भी मैंने कुछ समझाया तो नहीं सिर्फ आपको एक लाईक की कहानी सुनायी,क्यूंकि हर लाईक बहुत कुछ कहता है और हाँ त्योहारों के मौसम में नए दोस्त जरुर बनाइये पर पुराने को मत भूल जाइए क्यूंकि यही वो लोग हैं जिनके लाईक का कभी आप इन्तजार किया करते थे.
आई नेक्स्ट में 08/10/13 को प्रकाशित 

1 comment:

shalu awasthi said...

har like bohot kuch kahta hai sir...kisi bhi cheez ko dekhne ka aapka bilkul alag najariya rehta hai.. u r a keen observer

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