अच्छा आपकी कभी कोई चीज खोयी है.हाँ खोयी तो होगी ही और उसके खोने का गम भी हुआ होगा.अच्छा कभी आपने सोचा कि हम किस चीज से ज्यादा डरते हैं सोचिये सोचिये जी हाँ कुछ खोने से चाहे वो लोग हों रिश्ते हों या चीजें पर ये एक ऐसा दर्द है जिसे जिंदगी के किसी न किसी मोड पर सबको भोगना ही पड़ता है.देखिये जिंदगी हैं इतना कुछ डेली सिखाती है पर हम ध्यान नहीं देते.खोना बुरा है पर अगर हम कुछ खोयेंगे नहीं तो पाने के सुख का एहसास नहीं कर पायेंगे और जो चीजें हमारे आस पास हैं उनकी कीमत नहीं समझ पायेंगे.अब जिंदगी का सबसे बड़ा सच तो मौत है. अरे हम थोड़ी न कह रहे हैं फिल्म मुकद्दर का सिकंदर ये गाना तो आप सबको याद ही होगा “जिंदगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी मौत महबूबा है मेरी साथ लेकर जायेगी”.फिर भी हम हैं कि मानते नहीं एक दम दिल है कि मानता नहीं टाईप भाई आप सबको खोने के दुःख का एहसास है पर जो चीजें हमारे पास हैं क्या हम उनकी कद्र करते हैं चीजों से मेरा मतलब सिर्फ मेटीरियल्सटिक नहीं है. वो आपने सुना तो होगा न टेकेन फॉर ग्रांटेड वो हम अपने करीबी रिश्तों पर कितना मजबूती से एप्लाई कर देते हैं.अरे वो तो मेरा दोस्त है और न जाने क्या क्या पर जरा सोचिये जब ये रिश्ते न होंगे वो इंसान न होगा तब आप कैसा महसूस करेंगे.यानि जो तेरा है वो तेरा है और जो मेरा है वो मेरा है फिर रिश्ता चलेगा क्या? यानि रिश्ते भी लेन देन पर ही चलते हैं.भले ही वो लेन देन मेटीरियल्सटिक न हो पर आप किसी रिश्ते में तभी रहते हैं जब आपको कुछ अच्छा लगता है और फिर क्या उस एहसास को जीने के लिए आप कुछ भी कर सकते हैं तो ये टू वे प्रोसेस हुआ न. अब आप अगर ये मान कर चलें कि ये तो उसका फ़र्ज़ है क्यूंकि वो तो आपका फलां है तो आपको क्या लगता है कि रिश्ता चलेगा बिलकुल नहीं वो ढोया जाएगा .हम तो भैया जिंदगी से ही सीखते हैं ठण्ड या तो मौसम में अच्छी लगती है या दिमाग में बाकी सब जगह तो गर्मी का ही बोलबाला है तो रिश्ते गर्मी के एहसास से ही चलते हैंजिससे अपनेपन की इनर्जी मिलती है तो उनको टेकेन फॉर ग्रांटेड नहीं लिया जा सकता है और अगर आप ऐसा किसी रिश्ते के साथ कर रहे हैं तो समझ लीजिए कि आप जल्दी ही फिर कुछ खोने वाले हैं जिसका दर्द आपको जीवन भर परेशान करेगा मेटीरियल्सटिक चीजें खोती हैं तो उनका सबस्टीयूट मार्केट में मिल जाएगा पर अगर आपने कोई रिश्ता खोया तो उसका सबस्टीयूट किसी दूकान बाजार में नहीं मिलेगा. हम थोड़ी न कह रहे हैं अरे ये गाना भी तो यही कह रहा है कि “जिंदगी के सफर में बिछड जाते हैं जो मुकाम वो फिर नहीं आते” साईंस ने बहुत तरक्की कर ली है पर खोये हुए रिश्ते और बिछड़े लोग दुबारा जीवन में उसी रूप में नहीं आते आप फिर मेरी बात नहीं मानेंगे तो हम कहाँ कह रहे हैं रहीम दास जी ने लिखा था “रहिमन धागा प्रेम का मत तोडो चटकाय,टूटे से फिर न जुड़े,जुड़े गाँठ पड़ जाए”मौसम में ठंडी का मजा लीजिए पर रिश्तों की गर्मी को बचा कर रखिये पर ये कहना जितना आसान करना उतना ही मुश्किल रिश्तों की गर्मी पर अक्सर ईगो की ठंडक हावी हो जाती है और हम नफा नुकसान देखने लग जाते है अब किसी रिश्ते में ऐसा हो रहा है तो उनको खो ही जाने दीजिए पर जिनकी आपको कद्र है बगैर शर्तों को उनको रोक लीजिए मना लीजिए क्यूंकि क्या पता कल हो न हो क्या पता कल वो लोग ही खो जाएँ जिनसे आप कह सकें तुस्सी न जाओ तो मौसम में ठण्ड का पूरा लुत्फ़ उठाइये पर मुझे भरोसा दिलाइये कि आप अपने रिश्तों में अपने पन के एहसास को गर्म रखेंगे जिससे जाड़े की वो सुहानी शाम आपको याद रहेगी.
आई नेक्स्ट में 08/11/13 को प्रकाशित
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