सुबह सुबह जल्दी उठकर पढना चाहिए बचपने में मेरे पिता जी कहा करते थे कि सुबह दिमाग फ्रेश होता है इसलिए जो पढो वो जल्दी याद हो जाता है,जिन्दगी आगे बढ़ चली पर हम इस बात से चिपक के रह गए तो ऐसी ही एक सुबह मेरी कुछ आंकड़ों पर नजर पडी जो मेरे जेहन में रह गयी| जितना मुझे याद रहा उस हिसाब से देश में 20 से 35 वर्ष के आयु वर्ग की आबादी2021 तक बढ़कर 64 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है जो 2001 में करीब 58 प्रतिशत थी। वर्ष 2020 में भारत की 125 अरब की आबादी की औसत आयु 29 साल की होगी जो चीन और अमेरिका के लोगों से भी युवा होगी ,बात है न मजेदार अब जरा सोचिये इतने सारे युवा आंकड़े और भी हैं वर्ष 2011 और 2016 के बीच करीब 6.35 करोड़ नए लोग कामकाजी आबादी में शामिल होंगे जिनमें20 से 35 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या सबसे अधिक होगी।युवा आबादी का अधिक होना अच्छी बात है पर ये युवा, मानव संसाधन की द्रष्टिकोण से भी बेहतर होना चाहिए.अब आपके दिमाग की घंटी बजी होगी मानवसंसाधन को बेहतर होने के लिए युवा आबादी का पढालिखा और स्किल्ड होना चाहिए| पढने लिखने और कुछ सीखने की जगह है कैम्पस,कैम्पस के दिन बोले तो ख्वाब,आजादी, और हसरतों को थोड़ा सा अगर आपस में मिला दिया जाए तो जो पहला ख्याल किसी के दिल में आएगा वो अपने कैम्पस या कॉलेज के दिनों का ही आएगा| वही कैम्पस जहाँ कभी मस्ती की पाठशाला सजती है तो कभी किसी लेक्चर से आपका जीवन हमेशा के लिए बदल जाता है |जब मेरे पिता जी सुबह जल्दी उठने की सलाह दिया करते थे तब के कैम्पस और आजकल के कैम्पस में जमीन आसमान का अंतर आ गया है.खड़िया डस्टर की जगह व्हाईट बोर्ड, मार्कर आ गए हैं क्लास रूम स्मार्ट हो गए हैं जहाँ पढ़ाई आडिओ वीडिओ के साथ होती है|पर कुछ चीजें कभी नहीं बदलती जैसे जब तक हम पढेंगे नहीं तब तक आगे बढ़ेंगे नहीं| जैसे डरना जरुरी है वैसे पढना भी| तो डरने और बढ़ने के इस सिलसिले में पढ़ाई का रूप बदला है अब नोट्स एक्सचेंज करने के लिए व्हाट्स एप पर ग्रुप है तो क्लासेज की सूचना के लिए फेसबुक पेज,सब कुछ इतना आसान हो गया है |आप हर पल हर क्षण कनेक्टेड हैं अब देखिये न सोशल नेटवर्किंग की इस दुनिया में आधी से ज्यादा आबादी युवाओं की है जिनके पास कहने को बहुत कुछ है पर इस पूरी प्रक्रिया में आपने गौर किया होगा हमारी निर्भरता “गूगल” देव और तकनीक पर ज्यादा बढ़ी है और सेल्फ स्टडी पर जोर कम हुआ है| 2 का स्क्वायर रूट रटने निकालने की जरुरत नहीं गूगल कर लो यार,कुछ जोड़ना या घटाना है, मोबाईल निकला जेब से और उँगलियाँ उसके टच पर थिरकने लग गयीं|पुराने लोगों की सारी बातों को ओल्ड फैशंड कह कर खारिज कर देना ठीक नहीं | अब सुबह उठकर स्टडी करना वाकई बीते वक्त की बात होती जा रही है हम तो रात में ही पढेंगे और सुबह देर तक सोयेंगे|पढ़ाई किस वक्त करनी है ये आपका निजी फैसला है पर जिन्दगी में अनुशासन बहुत जरुरी है मतलब सुबह पढ़ें या शाम को पर नियमित रूप से पढ़ें |हर चीज पर गूगल की शरण में जाने की बजाय अपने दिमाग का भी इस्तेमाल करें ये तो आपको भी पता है कि अगर दिमाग का इस्तेमाल ज्यादा नहीं किया जाएगा तो वो बेकार हो जाएगा वही बात दिमाग पर भी लागू होती है| गूगल इंसानी दिमाग ने ही बनाया है तो गूगल हर समस्या का निदान नहीं दे सकता है|गूगल पर जो लोग जानकारियाँ डाल रहे हैं वो हमारे आपके जैसे ही लोग हैं अगर सब गूगल पर निर्भर हो जायेंगे तो गूगल पर नयी जानकारियां कहाँ से आयेंगी तो पढने में लीडर बनिए,कुछ नयी किताबें खोजिये कुछ नया पढ़िए और फिर उन जानकारियों को लोगों के साथ साझा कीजिये जिससे आपकी दी हुए जानकरियों से गूगल का खजाना बढे और आपके फालोवर भी|उन्हीं जानकारियों को आगे बढ़ने का क्या फायदा जो पहले से ही गूगल पर हैं| जब हम हैं है नए तो अंदाज़ भी नया होना चाहिए क्यूंकि अभी भी गूगल और विकीपीडिया पर पढ़ाई से सम्बन्धित विदेशी सामग्री ज्यादा है तो डूड स्मार्ट क्लास में पढ़ भर लेने से कोई स्मार्ट नहीं हो जाता उसके लिए एक्शन में भी स्मार्टनेस होनी चाहिए तो सोच क्या रहे हैं आप भी उसी युवा आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो कल रोजगार पायेंगे और रोजगार के लिए स्किल्स का होना जरुरी है तो स्किल्स डेवेलप कीजिये और अपनी स्किल्स को इंटरनेट के साथ साझा कीजिये जिससे गूगल पर कुछ नयी बातें आयें और हमारा ह्युमन रिसोर्स बेहतर हो सके| अब सोच क्या रहे हैं चलिए आज कुछ नयी किताबें खरीदीं जाएँ कुछ नया पढ़ा जाए|
हिन्दुस्तान युवा में 31/08/14 को प्रकाशित