Friday, August 1, 2014

जो तेरा है वो मेरा है जैसा हक देती दोस्ती

बारिश के मौसम में सिर्फ पानी नहीं बरसता भावनाएं भी बरसती हैं. एहसास से भीगे एक ऐसे ही मौसम में मैं थोडा फलसफाना हुआ जा रहा हूँ.ज़िन्दगी का असल मतलब तो रिश्ते बनाने और निभाने में ही है.ज़िन्दगी कैसी भी हो पर खुबसूरत तो है पर इसकी असल खूबसूरती तो रिश्तों से ही है न अच्छा सोचिये जब बारिश होती है तो इसका लुत्फ़ तो आप तभी उठा सकते हैं जब आपके आस पास लोग हों या उनकी यादें हो सोचिये तो जरा कि बारिश हो रही हो और आपके आस पास न लोग हों और न कोई यादें तब क्या आप ज़िन्दगी की बारिश का मजा ले पायेंगे.मैं भी सोच रहा हूँ कितने लोग मिले बिछड़े सब मुझे याद नहीं हैं पर कुछ दोस्त ऐसे भी हैं जो अब मेरे साथ नहीं हैं पर  उनकी यादें मेरे साथ हैं जिनके साथ का लुत्फ़ मैं बारिश के इस मौसम में उठा रहा हूँ.अच्छा आपके भी कुछ बेस्ट वाले फ्रैंड रहे होंगे पर शायद अब उनसे कभी बात भी न हो पाती हो कारण कुछ भी रहा हो पर आप उन्हें याद तो करते होंगे.
बारिश का मौसम हमेशा नहीं रहता वैसे रिश्ते कोई भी हों हमेशा एक जैसे नहीं रहते अब दोस्ती को ही ले लीजिये न ये रिश्ता इसलिए ख़ास है क्यूंकि सामाजिक रूप से इसको निभाने का कोई मानक नहीं है ऐसे में ये रिश्ता बहुत डेलीकेट हो जाता है.मैं थोडा विस्तार से समझाता हूँ भाई चाचा, चाची, नाना, ताऊ से कैसे बिहेव करना हमें बचपने से सिखाया जाता है पर दोस्ती करना और उसे निभाना हमें कभी नहीं सिखाया जाता है फिर भी बाकी रिश्तों में ये रिश्ता सबसे ख़ास होता है क्यूंकि दोस्ती हम किसी से पूछ के नहीं करते ये तो बस हो जाती है बिंदास जिसमें कोई भी पर्देदारी नहीं होती है “जो तेरा है वो मेरा है” जैसा हक़ और किसी रिश्ते में नहीं होता,दोस्तों में कोई तो हमारा ख़ास दोस्त जरुर  होता है.हमारा सबसे बड़ा राजदार, जिसको हम प्रायरटी देते हैं पर दोस्ती का इम्तिहान तो तब शुरू होता है जब ज़िन्दगी में नए दोस्त बनते हैं.यहाँ कहानी में थोडा ट्विस्ट है कई बार हम जिसे अपना बेस्ट फ्रैंड समझ रहे होते हैं वो बहुतों का बेस्ट फ्रैंड होता है तब शुरू होती हैं प्रोब्लम अब भाई उस दोस्त को सबसे दोस्ती निभानी है और हम हैं कि चाहते हैं वो हमें उतनी प्रायरटी,केयर दे जितनी हम उसे देते हैं और तब शुरू होता है इस रिश्ते का असली इम्तिहान,तुम मुझे फोन नहीं करते तो मैं क्यूँ करूँ,तुम्हारे पास तो टाईम ही नहीं जैसी बातों से शुरू हुआ ये सिलसिला शक और लड़ाई झगडे में तब्दील हो जाता है.जानते हैं ऐसा क्यूँ हो रहा होता क्यूंकि दोस्ती में वो ट्रस्ट का एलिमेंट मिसिंग होने लग जाता है,मेसेज लिख के बगैर भेजे डीलीट कर देना ,कॉल करते करते रुक जाना ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि  वो हक़ गायब हो जाता है जो उस “दोस्ती” की जान हुआ करता था और इसके लिए किसी एक को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
इसलिए दोस्ती जब दरकती है तो कष्ट बहुत ज्यादा होता है क्यूंकि इस रिश्ते के चलने या न चलने के पीछे सिर्फ और सिर्फ हम ही जिम्मेदार होते हैं,भाई दोस्ती तो हम ही ने की थी.किसी ने आपसे जबरदस्ती करवाई नहीं थी.आप समझ रहें न रिश्ते कोई भी हों अटेंशन चाहते हैं पर ऐसी सिचुएशन आने पर आप जबरदस्ती किसी दोस्त से दोस्ती नहीं पा सकते तो क्यूँ न ऐसी दोस्ती को एक खूबसूरत मोड़ देकर अपने हाल पर छोड़ दें पर बात इतनी आसान भी नहीं है वैसे कभी आपने सोचा ऐसा क्यूँ हुआ ? आप रिश्ते में डिमांडिंग हो रहे थे और किसी भी रिश्ते में डिमांड नहीं की जाती है रिश्ते तो वही चलते हैं जिनमें प्यार अपनापन ,ट्रस्ट अपने आप मिल जाता है माँगा नहीं जाता और गर दोस्ती में आपको इन सब चीजों की मांग करनी पड़ रही है तो समझ लीजिये कि आपने सही शख्स से दोस्ती नहीं की है.दोस्ती देने का नाम है आपने अपना काम किया पर बगैर किसी अपेक्षा के अपनी कद्र खुद कीजिये जो दोस्त आपकी कद्र न करे उसके जीवन से चुपचाप निकल जाइए जिससे कल किसी बारिश में आप जब पीछे मुड़ कर देखें तो ये पछतावा न हो कि आपके पास दोस्ती की यादों का एल्बम सूना है.
आई नेक्स्ट में 1/08/14 को प्रकाशित 

6 comments:

Unknown said...

sir kya bat hai...
frndship...dosti...bht hi pyara rishta hai...yaha mai apne kuch dosto ko naan batana chahugi..anjali,soumya,shashank....ye meri lyf k vo dost hai jo mujhe "jo tera hai vo mera haq"dete hai...tm logo ne mere har kadam par mera sath diya...love u n ms u dosto...

beauty said...

fully agree with u sir....zindagi me frnz ka role sbse important hota hai... kyuki wo dost hi hote hai.. hmare besties jinse hm almost sari chije share krte hai.. aur wo dost achhe wale hone chahiye jo hmaari dosti ko samjhe... n vaishali luv u too soo much hmari dosti hmesha aise hi rahegi...

Unknown said...

sir kya bat hai...
dosti zingati hai sacha dost kise kise milata hai

kusum shastri said...

Yeh baat toh sach hai sir ki agar hum his b rishte me expect krna shuru kr dete hai toh woh ek mod pe taklif pahuchane lagte hai..jab hm dosti krte hai ya naye rishte banate hai toh Hume khayal rakhna chahiye ki hm logo ko usi tarah apnaye jaise woh hai unki adatien rehen-sehen sab kuch..or hamesha hi waise hi rahe logo ko badalne ki bhawna se rishte kharab hote h..

Unknown said...

saccha dost wahi hota hai jo apke chidney par bura na maney balki uska do guna jadaa apko chidaye pareshaan krey..magar atlast apki care karey fir chahe wo apka bura waqt ho ya accha ...kyunki har ek freind jaroori hota hai

Simple me said...

very well said sir ... afterall a friend in need is a friend indeed :)

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