Friday, January 9, 2015

हैशटैग है एक नई भाषा की शुरुआत

फ्रांस की पत्रिका शार्ली एबदो  पर हुए आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर दुनिया भर की राय जानने का सबसे बड़ा औजार बना हैशटैग | ट्विटर जैसी साईट्स पर दिन भर हैशटैग ‘शर्ले हेब्दो' टाईप करने पर  ट्विटर पर औसत रूप में हर  पांच  मिनट में तीन सौ से ज्यादा सन्देश आ रहे थे |बुधवार को शुरू हुआ यह सिलसिला अगले दिन देर शाम तक जारी था |यह पहला मौका नहीं है जब हैशटैग का इस तरह इस्तेमाल हुआ हो | पेशावर में स्कूली बच्चों पर हुए आतंकी हमले के समय भी यह हुआ था |दुनिया में जब भी कोई बड़ी घटना घटती है तो कह्ब्रों ,जानकारियों ,लोगों की राय वगैरह को जानने का यह सबसे अच्छा तरीका बन जाता है |
लेकिन यह हैश टैग है काया ?यह एक प्रतीक चिन्ह है -#,जिसे मूल रूप से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की भाषा के लिए तैयार किया गया था |1970  के दशक में बनाये गए इस प्रतीक चिन्ह ने अब अंगरेजी के की बोर्ड पर अपने लिए स्थाई जगह बना ली है ,पर हिन्दी के ज्यादातर की बोर्ड में यह अभी तक नहीं पहुंचा है |मूल रूप से यह दुनिया की किसी भी प्रचलित भाषा का शब्द या प्रतीक नहीं ,पर सब इसे धीरे धीरे अपना रहे हैं |इसे आप यूँ भी देख सकते हैं कि कंप्यूटर और सोशल मीडिया लोगों को एक नयी भाषा दे रहे हैं |अगर हैश टैग तकनीक न होती ,तो किसी घटना विशेष के बाद दुनिया भर के लोगों का क्या मत है ,इसका ठीक से पता नहीं चल पाता|
आज हैश टैगों से सोशल नेटवर्किंग साईट्स अटी पड़ी हैं |लोग इनका इस्तेमाल अपने विचारों को कोई नाम देने,अनुशासित और सजाने के लिए कर रहे हैं | हैशटैग सोशल (#) मीडिया में अपनी बात को व्यवस्थित तरीके से कहने का नया तरीका  बन रहा है जागरूकता के निर्माण के अलावा यह उन संगठनों के लिए वरदान है जिनके पास लोगों को संगठित करने के लिए विशाल संसाधन नहीं है |जिन लोगों के पास न तो समय है और न ही किसी ख़ास विचार धारा के प्रति  प्रतिबद्धता कि वे किसी मार्च ,धरने या अध्ययन समूह में जा सकें वे  हैशटैग के सहारे तर्क वितर्क का हिस्सा बन रहे हैं | सोशल मीडिया पर चलने वाली दिशाहीन बहसें जटिल मुद्दों  को व्यवस्थित कर ज्ञान में एक नया आयाम जोड़ रही हैं | हैशटैग के पीछे नेटवर्क नहीं विचारों का संकलन तर्क शामिल है इससे जब आप किसी हैशटैग के साथ किसी विचार को आगे बढाते हैं तो वह इंटरनेट पर मौजूद उस विशाल जनसमूह का हिस्सा बन जाता है जो उसी हैश टैग के साथ अपनी बात कह रहा है |यह हैश टैग से बना  दबाव ही था जब दुनिया न्यूयॉर्क में एरिक गार्नर की हत्या पर पुलिस के नस्लभेदी चरित्र को जान पाई और अमेरिकी सरकार पर दबाव बढ़ा|यह पुरानी सोच से आगे जाकर देखने का नजरिया दे रहा है |हैश टैग के साथ किसी प्रोडक्ट, कम्पनी या सेवा की शिकायत करने के लिए “बैशटैग” सामान्य चलन का हिस्सा बन रहे है |इसकी लोकप्रियता का नदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शीर्ष पर ट्रेंड कर रहे मुद्दे  पर सरकार और मीडिया का ध्यान तेजी से पानी तरफ खींचने में सफल रहे हैं |
हिन्दुस्तान में 09/01/2015 को प्रकाशित 

3 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छी जानकारी साझा की. हम भी काफी इस्तेमाल करने लगे हैं हैशटैग पिछले आम चुनावों से :)

Garima bhatt said...

great post . Basically everything on the internet is "forever". I agree , most do not fully understand the power of a #hashtag - whether well used, or misused. Hopefully we've taken a step in helping raise awareness.

Sudhanshuthakur said...

अगर आप अपनी बात दुनिया तक पहुंचाना चाहते हैं तो एक हैशटैग के साथ किसी बात को कहते रहें, तो आपकी आवाज़ कोई न कोई तो सुन ही पाएगा। यह भविष्य में काफी हेल्पफुल हो सकता है बेसहारा की आवाज़ को बुलंद करने में ।

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