बिहार विधान
सभा चुनाव ,पहले ऐसे महत्वपूर्ण चुनाव हैं
जिनमें सोशल नेटवर्किंग साईट्स अहम् भूमिका निभाने जा रहे है |यूँ तो 2014 के लोकसभा चुनाव देश के इतिहास में इसलिए याद रखे जायेंगे जब
पहली बार प्रचार के लिए सोशल नेटवर्किंग साईट्स का इस्तेमाल किया गया और चुनाव में
“नेटीजन “ ने अहम् भूमिका निभायी |उसके बाद देश में कई विधानसभा चुनाव हुए पर बिहार इसलिए महत्वपूर्ण है
जहाँ के सारे प्रमुख नेताओं ने प्रचार और जनसंपर्क के इस नए माध्यम से दूरी बनाये
रखी और समय समय पर इसकी आलोचना भी की जिसमें राजद नेता लालू प्रसाद यादव और
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल थे |बीजेपी जरुर अपवाद थी
जिसने लोकसभा चुनाव के वक्त से ही इस क्षेत्र में बढ़त ले ली ,लोकसभा चुनाव से विधानसभा चुनाव तक परिद्रश्य काफी बदल गया |जनता दल यूनाईटेड और राष्ट्रीय जनता दल को लोकसभा में करारी हार मिली जबकी
बीजे पी और सहयोगी दलों ने बढ़तले ली|शायद अपनी हार से सबक
लेते हुए और सोशल मीडिया की ताकत को भांपते हुए लालू और नीतीश की
पार्टियों ने भी अपनी साइबर उपस्थिति बढ़ने पर जोर दिया | एक साल पहले तक जिस
ट्विटर को नीतीश कुमार चिडिय़ों का कोलाहल कहकर मजाक उड़ाया करते थे,आज उसी को पूरी गंभीरता से लेने लगे हैं. इस वक्त करीब 75,702 ट्विटर फॉलोअर्स के साथ नीतीश भले ही 1.38
करोड़ फालोअर्स वाले मोदी से काफी पीछे हों, लेकिन साफ है कि वे सोशल मीडिया
के महत्व को अच्छी तरह समझने लगे हैं| उसकी
पहुंच को समझते हुए नीतीश ने 16 जुलाई को घोषणा की कि वे खुद को पोस्ट किए गए सभी
सवालों का जवाब देंगे |वहीं लालू ने ट्विटर पर नीतीश कुमार
से बढ़त ले रखी है और ट्विटर पर उनके 101,678 फालोअर्स हैं |ट्विटर के अलावा ये दोनों फेसबुक पर भी सक्रीय हो चुके हैं तथा अपने दलों
की वेबसाईट के माध्यम से भी लोगों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है | मगध में मोदी के आने से ही सोशल मीडिया पर भी हलचल तेज हो गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गया की जमीं पर कदम रखने से पहले ही ट्विटर पर
ट्रेंड बन गया। गया (Gaya) और बिहार असेंबली (Bihar Assembly) टैग से सुबह से ही ट्वीट
शुरू हो गए। रैली समाप्त होने पर हैशटैग परिवर्तन इन बिहार (#ParivartanInBihar) पहले नंबर पर ट्रेंड करने
लगा। इन सबके बीच दो अन्य टैग भी खूब ट्रेंड करते रहे। (PM Narendra Modi) और (BJP President
Amit Shah) टैग से
समर्थकों और विरोधियों ने मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर ट्वीट किए। ट्विटर पर
भले ही टॉप ट्रेडिंग टॉपिक में भाजपा शामिल रही, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी अपनी उपस्थिति बनाए रखी। नरेंद्र मोदी के
भाषण के जवाब में उन्होंने अपने ट्वीट से खूब वाह वही बटोरी। हाल ही में
सामने आई भागलपुर दंगों की जांच रिपोर्ट भी ट्विटर पर छाई रही। इस समय ट्विटर पर बिहार के
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद
प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व उप
मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केन्द्र
में बिहार के भाजपा के मंत्री गिरिराज समेत सभी प्रमुख नेताओं के अकाउंट मौजूद हैं। निर्वाचन आयोग की सूची के अनुसार 18-19 आयु वर्ग के 24.13 लाख मतदाता 20-29 आयु वर्ग के 1.80 करोड़ मतदाता और 30-39 आयु वर्ग के : 1.74 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग
आगामी विधानसभा चुनाव में करेंगे |इन
युवा मतदाताओं का सहयोग जिस भी किसी पार्टी को मिलेगा जीत उसी की होगी |कोई भी पार्टी इन युवा मतदाताओं से दूरी बनाने का जोखिम नहीं मोल ले सकती
और इन युवा मतदाताओं को जोड़ने का सबसे आसान और सस्ता विकल्प है सोशल नेटवर्किंग
साईट्स |सिर्फ पटना जिला के कुल मतदाताओं में आधे से अधिक युवा मतदाता
हो गए हैं। पटना में 18 से 39 वर्ष के मतदाताओं की
संख्या बढ़कर 23 लाख 80 हजार 580 हो गयी है। यानी जिले के
कुल मतदाता में 54 फीसदी से अधिक युवा
मतदाता हो गए हैं। तकनीक के दम पर यह महागठबंधन दलितों, पिछड़ों से लेकर गांवों
और शहरों तक पहुंचना चाहता है|पार्टियां
अपने वोटरों को लुभाने के लिए फेसबुक पर वादे करने के साथ-साथ व्हाट्सएप पर
संवादमूलक और सूचनाबद्ध संदेश भेज रही हैं। बिहार के सूचना एवं
प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, राज्य की 11 करोड़
जनसंख्या में सिर्फ पांच लाख लोग कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि दो से
तीन करोड़ लोग मोबाइल फोन पर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। लोकजनशक्ति
पार्टी की हाईटेक पब्लिसिटी की कमान रामविलास पासवान के पुत्र व सांसद चिराग
पासवान ने संभाला है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी सोशल मीडिया के
माध्यम से लगातार सम्पर्क में हैं। उन्होंने तो पिछले माह अपने फेसबुक मित्रों
को एक चाय पार्टी पर भी बुलाया था। लोकसभा
चुनाव में मुंह की खायी कांग्रेस ने भी विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया का सशक्त
उपयोग करने की पूरी रणनीति बनायी है। दिल्ली से आईटी स्पेशलिस्टों की कोर टीम
बुलाकर सोशल मीडिया प्रोफेशनल्स की बिहार टीम को ट्रेंड किया जा रहा है |यह कोई अब छिपा तथ्य नहीं है की सोशल मीडिया की
पहुंच और लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है| इसके महत्व का का
अंदाज़ा इस बात से लगाया जाया जा सकता हैं कि विपक्ष आजकल प्रधानमंत्री
को ट्वीट तक न करने पर घेरता है. साथ ही नीतिश और लालू से लेकर भाजपा और ‘आप’ जैसी
पार्टियाँ जिस चालाकी से सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं उससे सभी
परिचित हैं |इन सब तैयारियों
के बीच यह सवाल उठाना लाज़िमी हैं कि आखिर जातिगत और धार्मिक राजनीति के लिए जाने
वाले बिहार में सोशल मीडिया का उपयोग किस तरह से होगा?सोशल
मीडिया पर अफवाहें बड़ी तेजी से फैलती हैं क्या सोशल मीडिया का इस्तेमाल जातीय और
धार्मिक पूर्वाग्रह को बढ़ाने के लिए नहीं किया जाएगा क्योंकि जैसे जैसे चुनाव की
तिथि नजदीक आयेगी यह संग्राम और तीखा होगा|जिसकी सबसे ज्यादा धमक सोशल मीडिया पर सुनायी पड़ेगी |क्या सोशल मीडिया महज इस तरह की
राजनीति के तरीके को बदलेगी बाकी
सब पूर्ववत रहेगा |बिहार चुनाव इस सब बात के गवाह बनेंगे |इतिहास बताता है और यह सच्चाई भी है कि भारतीय
राजनीति में सिर्फ चुनाव प्रचार के तरीके बदलते रहे हैं अखबार
,रेडिओ और टीवी के रास्ते शुरू हुआ
यह सफर आज सोशल मीडिया तक पहुँच गया है |चेहरे बदले
पार्टियाँ बदलीं पर राजनीति का चरित्र नहीं बदला |हर चुनाव
के बाद मतदाता को अपने ठगे जाने का एहसास होता है और उसे को बुरे और अधिक बुरे में चुनाव करना पड़ता हैं और
यही भारतीय लोकतंत्र की विडंबना है| सोशल मीडिया पर किये जाने वाले वायदे क्या हकीकत का मुंह देखंगे | क्या बिहार
चुनाव इससे अलग कुछ देश को दे पायेगा या हर बार की तरह पुँरानी कहानी फिर
दोहराई जायेगी इसका देश के साथ बिहार वासियों को भी इन्तजार है |
राष्ट्रीय सहारा में 15/08/15 को प्रकाशित लेख
3 comments:
Media advertisement has always pared many ways for government .social media is a big platform to raise or oppose the views twitter, Facebook cannot be Taking for granted. ..
huzurr zamin toh jaisi hai waise hi rehti h.....lekin zamin baadtne wale jarur badalte rehte h..
Yes sir i am agree with u... Sare neta bs aapna advertisment k liye media , radio , tv , and newspaper ka usse krte hi sir or sirf aapne selfish purpose k liye
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