इंटरनेट ने लोक व लोकाचार के तरीकों को काफी हद तक बदल दिया है। बहुत-सी परंपराएं और बहत सारे रिवाज अब अपना रास्ता बदल रहे हैं। यह प्रक्रिया इतनी तेज है कि नया बहुत जल्दी पुराना हो जा रहा है। विवाह तय करने जैसी सामाजिक प्रक्रिया पहले परिवार और यहां तक कि खानदान के बड़े-बुजुर्गों, मित्रों, रिश्तेदारों वगैरह को शामिल करते हुए आगे बढ़ती थी, अब उसमें भी ‘ई’ लग गया है। अब लोग मैट्रीमोनी वेबसाइट की सहायता से जोड़ियां ही नहीं बना रहे, शादियां भी रचा रहे हैं। देश की ऑनलाइन मैट्रीमोनी का कारोबार अगले तीन साल में 1,500 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, वैवाहिक वेबसाइटों पर साल 2013 में 8.5 लाख प्रोफाइल अपलोड की गई, जिनकी संख्या साल 2014 में बढ़कर 19.6 लाख हो गई। यानी एक साल में 130 फीसदी का इजाफा।
सामाजिक रूप से देखें, तो जहां पहले शादी के केंद्र में लड़का और लड़की का परिवार रहा करता था, अब वह धुरी खिसककर लड़के व लड़की की इच्छा पर केंद्रित होती दिखती है। यह अच्छा भी है, क्योंकि शादी जिन लोगों को करनी है, उनकी सहमति परिवार में एक तरह के प्रजातांत्रिक आधार का निर्माण करती है, न कि उस पुरातन परंपरा के आधार पर, जहां माता-पिता की इच्छा ही सब कुछ होती थी। वर या वधू तलाशने के लिए दूर-दराज की जगहों की खाक छाननी पड़ती थी, जिसमें समय व पैसे की खासा बर्बादी होती थी और मानसिक तनाव अलग होता था। यही काम अब मैट्रीमोनिअल साइट व ऑनलाइन डेटिंग साइट कर रही हैं और वह भी बगैर किसी बिचौलिये के। वैसे यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि इससे पारदर्शिता आई है। इन वेबसाइटों पर आप सुविधाजनक रूप से प्रोफाइल सेट कर सकते हैं। अपनी तस्वीर डाल सकते हैं तथा अपनी पसंद से उन प्रोफाइल को चेक करके कदम बढ़ा सकते हैं। कई वेबसाइटों में चैटिंग की सुविधा है, जिसमें ऑनलाइन चैटिंग कर लड़का या लड़की एक-दूसरे को समझ सकते हैं।
लेकिन कुछ और तथ्यों पर गौर किया जाना भी जरूरी है। इन साइटों से हुई शादियों में धोखाधड़ी के कई मामले भी सामने आए हैं। दी गई जानकारी कितनी सही है, इसे जांचने का कोई तरीका ये साइट उपलब्ध नहीं करातीं। उनकी जिम्मेदारी लड़का-लड़की को मिलाने तक सीमित रहती है। हालांकि, झूठ बोलकर शादी कर लेने में नया कुछ नहीं, पर इंटरनेट के जरिये हुई शादियों के पीछे कोई सामजिक दबाव नहीं काम करता और गड़बड़ी की स्थिति में आप किसी मध्यस्थ को दोष देने की स्थिति में भी नहीं होते। और न कोई ऐसा होता है, जो बिगड़ी बात को पटरी पर लाने में मदद करे। हमारे पास ऐसे आंकड़े भी तो नहीं, जिनसे कहा जा सके कि धोखाधड़ी की घटनाएं पारंपरिक शादियों में ज्यादा होती थीं, या ऑनलाइन व्यवस्था में ज्यादा हो रही हैं।
हिंदुस्तान में 04/08/15 को प्रकशित
11 comments:
आजकल के बच्चे अपनी मर्जी के मालिक जो है. सबकुछ इंटरनेट
mujhe lgta hai ki agr aise sites hai toh koi kharabi nhi hai ,aur vo log jinko dhokha mila hai ya lgta hai ki unko dhokha milega toh ye sochna glat hai agr aise sites hai jo do logo ko mila re hai toh agr ap kise sa shadi krna chahate hai toh ye apke responsibility hai ki ap us family k bare mein pta lgyein uska backgroung wgarha wgarha phle toh kitna kuch pta krke shadi krate the toh aj kyun kise site mein dependent hai ....
Online shadiya bhi Internet ki ek nai khoobsuarat khoj hai lekin uska istemal log galat tarah se kr rhe hai...bahut si online shadi success huyi hai....lekin jb ek shadi kharab ho jaye to logo iska apman krte hai jo galat hai
Iss generation k bacche choti s choti or badi s badi cheez k liye internet pe depend ho gye hai . or ab woo whi krna chahte hi jo unka man hota hai.
Perhaps the flip-side of technological development. Matrimonial websites offer a platform for people where they have several options to choose a suitable, like minded life partner. But of course we cannot deny that some people misuse this facility. However, more and more regulatory and precautionary steps are being taken to make internet a safer place. Also, the laws are becoming stricter and more specific to curb such offenses. The future seems a little hopeful!
Online websites are a kind of boon to people. I agree some people misuse it but overall I feel its a plattform to know a person and to find a suitable life partner. Many relationships fail but one cannot conclude that all online marriages are a threat to society or are a failure. Matrimonial websites have their own pros and cons. Its all about the kind of people we meet on these websites. Matrimonial websites are an easy plattform to find a partner and strict actions are being taken to curb any online crime.
कनाड़ा के मेल का,
मुंबई की फीमेल से,
ई मेल के ज़रिये
बेमेल मेल हो गया।
देखते देखते खेल हो गया।
कैसे हुआ यह सब?
ई मेल से परिचय हुआ,
चैट रूम में रोमांस बढ़ा,
अब डबल्यू डबल्यू डबल्यू डाट
मेरिज डाट काम पर शादी है।
ई पंडित मंत्रोच्चार करेंगे, और
आप जैसे दर्शक आर्शीवाद देंगे।
Canada Kee Male Kaa Delhi Kee Female See
E-Mail Kee Jariye Bemel Mail Ho Gayaa
Dekhte Dekhte Khel Ho Gayaa
Kal Sham Mere Padosi Kaa Ladki
Mere Pass Ayee Aour Boli
Bhaiya Jee Kal Shaam Aap
Ghar Pe Rehna Kahin Naa Jana
Meri Shadi Hain
Naa Baaje – Gaajon Kaa Shor Gul
Naa Rishtedaro Kee Halchal
Na Dholak Kee Thaap Naa Mehndi Kee Chaap
Aour Abhi To Shaadi Kaa Mausam Bhii Nahi Hai
Wo Boli Internet Par Shadi
Paani Mein Shaadi Hawa Mein Shaadi To Suna Thaa
Par Internet Par Shadi? Yeh Sab Kaise Ho Gayaa?
ऑनलाइन शादी के फायदे तो है,पर बहुत से नुक्सान भी है। जैसे फेक बैकग्राउंड,प्रोफाइल,या फेक प्रोफाइल आदि।
I think matrimonial websites are doing a tremendous role by giving a platform to a variety of people to get to know each other first and if think the same they can extend the relationship to a next level called marriage.It is time and money saving platform as people dont have to go anywhere before they reach to a mutual decision..
But the other side of coin is fake profiles which serve particular selfish interests and sometimes lead to crimes and heartbreaks..i think some strict actions should be taken to overcome such obstacles..it can be done through linking profiles with Adhar card..
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