इंटरनेट एक विचार के तौर पर सूचनाओं
को साझा करने के सिलसिले के साथ शुरू हुआ था चैटिंग और ई मेल से यह हमारे जीवन में
जगह बनाता गया फिर ओनलाईन शॉपिंग ने खेल के सारे मानक बदल दिए पर भारत में
इस सूचना क्रांति के अगुवा बने स्मार्टफोन जिन्होंने मोबाईल एप और ई वालेट
के जरिये पर्स में पैसे रखने के चलन को हतोसाहित करना शुरू किया |आज सरकार भी यह चाहती है कि लोग
पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रौनिक ट्रांसेक्शन को बढ़ावा दे रही है
जिससे काले धन पैदा होने की संभावना को समाप्त किया जा सके और नोट छापने के
अनावश्यक खर्च से बचा जा सके |टफ्ट्स विश्वविद्यालय के प्रकाशन “कॉस्ट ऑफ़ कैश इन इण्डिया” के आंकड़ों के अनुसार भारत नोट छापने
और उनके प्रबन्धन के लिए सालाना इक्कीस हजार करोड़ रुपये खर्च करता है एक हजार और पांच सौ रुपये के
पुराने एक नोट छापने में रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया को क्रमशःदो रुपये पचास पैसे और
तीन रुपये सत्रह पैसे खर्च करने पड़ते थे |मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार साल 2011से 2105 तक ई भुगतान ने देश की
अर्थव्यवस्था में 6.08 बिलियन डॉलर का इजाफा किया है|मैकिन्सी ने अपनी एक रिपोर्ट में
अनुमान लगाया है कि इलेक्ट्रौनिक ट्रांसेक्शन के बढ़ने से साल 2025 तक देश की
अर्थव्यवस्था में 11.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी |आंकड़े आने वाले कल की सुनहरी उम्मीद जगाते हैं पर ये मामला मानवीय
व्यवहार से जुड़ा है जिसके बदलने में वक्त लगेगा | भारतीय परिस्थितियों में मौद्रिक लेन देन विश्वास से जुड़ा मामला भी
है जब हम जिसे पैसा दे रहे हैं वो हमारे सामने होता है जिससे एक तरह का भरोसा जगता
है |
पर महज स्मार्ट फोन प्रयोगकर्ताओं की
संख्या बढ़ने से लोग डिजीटल लेन-देन की तरफ बढ़ेंगे ऐसा वर्तमान परिस्थतियों में
सम्भव नहीं दिखता और डिजीटल लेन-देन की अपनी समस्याएँ हैं | मार्च 2016 तक भारत में 342.46 मिलीयन
इंटरनेट प्रयोगकर्ता है जो कुल आबादी का मात्र का छब्बीस प्रतिशत हैं |ऑनलाइन उपभोक्ता अधिकार जैसे मुद्दों
पर न तो कोई जागरूकता है न ही सार्थक कानून ई वालेट प्रयोग और ऑन लाइन
खरीददारी उपयोगिता के तौर पर बहुत लाभदायक है पर किन्ही कारणों से आपको खरीदा
सामान वापस करना पड़ा या खराब उत्पाद मिल गया और उपभोक्ता अपना पैसा वापस चाहता है
तो अनुभव यह बताता है कि उसे पाने में तीन से दस दिन तक का समय लगता
है और इस अवधि में उस धन पर डिजीटल प्रयोगकर्ता को कोई ब्याज नहीं मिलता और
यह एक लम्बी थकाऊ प्रक्रिया है जिसमें अपने पैसे की वापसी के लिए बैंक और
ओनलाईन शौपिंग कम्पनी के कस्टमर केयर पर बार –बार फोन करना पड़ता है |कई बार कम्पनियां पैसा नगद न वापस कर अपनी खरीद बढ़ाने के लिए गिफ्ट
कूपन जैसी योजनायें जबरदस्ती उपभोक्ताओं के माथे मढ देती हैं और ऐसी परिस्थितियों
में उत्पन्न हुई समस्या के समयबद्ध निपटारे की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है |जेब में पैसा होना एक तरह का
आत्मविश्वास देता है |क्या वह विश्वास जेब में पड़ा मोबाईल ई वालेट या डेबिट
/क्रेडिट कार्ड दे पायेगा जहाँ देश में डिजीटल लेन-देन अभी विकसित
देशों के मुकाबले उतनी ज्यादा मात्रा में नहीं हो रहा है फिर भी सर्वर बैठने की
समस्या से उपभोक्ताओं को अक्सर दो चार होना पड़ता है |मोबाईल का नेटवर्क हवा के झोंके के
साथ आता जाता रहता है |बैंक से पैसा निकल जाता है और
सम्बन्धित कम्पनी तक नहीं पहुँचता फिर उसके वापस आने का इन्तजार | राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के
आंकड़ों के मुताबिक साल 2011 से 2015 के बीच भारत में साइबर अपराध की संख्या में
तीन सौ पचास प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिनमे बड़ी संख्या में आर्थिक साइबर
अपराध भी शामिल हैं जागरूकता में कमी के कारण आमतौर पर जब उपभोक्ता ऑनलाईन
धोखाधड़ी का शिकार होता है तो उसे समझ ही नहीं आता वो क्या करे| ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब जितनी
जल्दी मिलेगा लोग उतनी तेजी से इलेक्ट्रौनिक ट्रांसेक्शन की तरफ बढ़ेंगे |देश की बड़ी आबादी अशिक्षित और निर्धन
है वो आने वाले वक्त में कितनी बड़ी मात्रा में डिजीटल लेन देन करेगी यह उस
व्यवस्था पर निर्भर करेगा जहाँ लोग पैसा खर्च करते उसी निश्चिंतता और भरोसे को पा
सकें जो उन्हें कागजी मुद्रा के लेन देन करते वक्त प्राप्त होती है |
नवोदय टाईम्स में 11/01/17 को प्रकाशित
1 comment:
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति ब्लॉग बुलेटिन - पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की 51वीं पुण्यतिथि में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
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