नब्बे के दशक में स्कूली शिक्षा में पुस्तक कला जैसे विषयों को हटाकर कंप्यूटर शिक्षा को स्कूली शिक्षा का अंग बनाया गया जिसका परिणाम यह हुआ कि दो हजार के शुरुआती दशक में ही भारतीय परचम इस क्षेत्र में लहराने लगा जिससे कई सारी मध्यम वर्गीय सफलता की कहानी बनी जैसे की इन्फ़ोसिस और अन्य स्वदेशी कम्पनियां जिन्होंने लाखों युवाओं को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया पर यह सफलता की कहानियां लम्बे समय तक जारी नहीं रह सकीं |भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का बाजार एक सौ पचास बिलियन डॉलर का है जो भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 9.5 प्रतिशत है और पूरी दुनिया में 3.7 मिलीयन लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है |अर्थव्यवस्था को इतना महतवपूर्ण योगदान देने वाला क्षेत्र आज उत्पादकता के लिहाज से इसलिए पिछड़ रहा है क्योंकि भारत की कंप्यूटर शिक्षा में नवोन्मेष की भारी कमी है और यह बाजार की मांग के हिसाब से खासी पिछड़ी हुई है | तकनीक पर बढ़ती इस निर्भरता को अनवरत और लाभ उठाने वाला तभी बनाया जा सकता है जबकि सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षा का अभ्यास कॉलेज और स्कूली स्तर पर ज्यादा अद्यतन तरीके से कराया जाए | स्कूल स्तर पर कंप्यूटर शिक्षा पर दो तरह की समस्याओं का शिकार है| पहला स्कूलों में अभी भी फोकस एम् –एस वर्ड,एक्सेल,पावर प्वाईंट आदि पर है |दूसरा कंप्यूटर की प्राथमिक भाषाओँ को सिखाने में सारा जोर “बेसिक” और “लोगो” जैसी भाषाओं पर ही है |एक समय की अग्रणी कंप्यूटर भाषाएँ जैसे सी, लोगो ,पास्कल ,कोबोल बेसिक ,जावा जो की अब चलन से बाहर हो चुकी हैं अभी भी पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं जबकि कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में अग्रणी देश ओपेन सोर्स सोफ्टवेयर और ओपन सोर्स लेंग्वेज को अपना चुके हैं जैसे कि आर , पायथॉन, रूबी ऑन रेल, लिस्प , टाइप स्क्रिप्ट , कोटलिन , स्विफ्ट और रस्ट इत्यादि |यह भाषाएँ सी, लोगो ,पास्कल ,कोबोल बेसिक ,जावा के मुकाबले ज्यादा संक्षिप्त,सहज और समझने में आसान हैं |इन भाषाओँ के प्रयोग से किसी भी काम को कल्पना से व्यवहार में बड़ी आसानी से लाया जा सकता है |उल्लेखनीय है की यह भाषाएँ ही हैं जिनसे एक कोड का निर्माण कर किसी भी काम को करने के लिए सोफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है |महत्वपूर्ण है कि ये भाषाएँ उन क्षेत्रों में भी ज्यादा काम की हैं जो आजकल बहुत मांग में है जैसे कि “आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस”, रोबोटिक्स आदि|
भविष्य की दुनिया तकनीक और ऑटोमेशन की है जहाँ सभी प्रकार के उद्योग धंधे और व्यवसाय सॉफ्टवेयर आधारित होंगे | आज हर उद्योग किसी न किसी रूप में सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से चल रहा है वो चाहे निर्माण,परिचालन ,भर्ती हो या लेखा सभी कम्प्युटरीकृत होते जा रहे हैं और उपभोक्ता भी पहले के मुकाबले आज निर्णय और खरीदने की प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है |अब कंप्यूटर कौशल और उसकी भाषाएँ आधारभूत जरूरतें हैं | कंप्यूटर की उच्च शिक्षा का और भी बुरा हाल है |शिक्षण संस्थान प्रायोगिक कार्य और वास्तविक कोड निर्माण नहीं करवा पा रहे हैं इसलिए जब कोई कम्प्यूटर स्नातक किसी नौकरी में आता है तो वह अपनी कम्पनी में इन कार्यों को सीखता है जिससे कम्पनी पर अनावश्यक बोझ पड़ता है और बहुत समय नष्ट होता है |
साल 2011 में आयी नासकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के मात्र 25 प्रतिशत आई टी इंजीनियर स्नातक ही रोजगार के लायक थे पर छ साल बाद स्थिति और खराब हुई है | अस्पाएरिंग माईंड स्टडी की एक रिपोर्ट स्थिति की गंभीरता की ओर इशारा करती है ,रिपोर्ट के अनुसार भारत के पांच प्रतिशत कंप्यूटर इंजीनियर ही उच्च स्तर की प्रोग्रामिंग के लिए उपयुक्त हैं |यह रिपोर्ट उस समय आयी है जब ग्राहकों की मांग लगातार बढ़ रही है |तेजी से डिजीटल होते भारत में जब रोजगार के नए क्षेत्र तेजी से ऑनलाईन दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं जिनमें कपडे प्रेस करने से लेकर टूटे नल को ठीक करने वाले प्लंबर जैसे काम भी शामिल हैं ये बताते हैं कि इस क्षेत्र में काम के अवसर और तेजी से बढ़ते रहेंगे |नई-नई तकनीक और तकनीकी नवोन्मेष को भारतीय कौशल की विचार शक्ति में लाने के लिए ज्यादा मुक्त और उन्नत कंप्यूटर शिक्षा की तरफ बढना ही एकमात्र समाधान है अन्यथा एक वक्त में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अगुआ बनकर उभरे भारत के लिए प्रतिस्पर्धा के बाजार में टिकना सम्भव नहीं होगा |
अमर उजाला में 18/10/17 को प्रकाशित
9 comments:
गुड इवनिंग सर
आपके द्वारा दी गयी यह जानकारी हमारे लिए बोहोत ही इम्पोर्टेन्ट है,क्युकि हमारा स्तर पता चल रहा है कि हम इस सेक्टर में कितना पीछे है.. और इसका कारण क्या है..
thanks for this, sir
shailendra pratap majmc1
gud evng sir/
this is the very important post for our knowledge bcouse hme ye pata chal raha h ki hm is sector me kitna piche chal rahe hai aur kis wajah se.... hme in bato ka viseshkar dhayn rakhna padega ki hm is chhetra me kis tarah aage badh sakte hai.....
shailendra pratap
gud evng sir/
this is the very important post for our knowledge bcouse hme ye pata chal raha h ki hm is sector me kitna piche chal rahe hai aur kis wajah se.... hme in bato ka viseshkar dhayn rakhna padega ki hm is chhetra me kis tarah aage badh sakte hai.....
shailendra pratap
कम्प्यूटर की शिक्षा के क्षेत्र में विकसित देश रोज नये प्रोयग विश्व को में एक नया आयाम स्थापित कर रहे वही हम आज भी कुछ नया कर पाने में असक्षम से नजर आ रहे ...जबकि वर्तमान समय के साथ साथ आने वाले समय में कम्प्यूटर का महत्व बढ़ेगा ही नही वरन आवश्यक भी हो जायेगा ....
suprabhat sir,
aapne bilkul sahi kaha ki hamare desh me vahi paramparagat computer padhya ja raha hai....aaj ke samay me naye-naye software duniya me dhoom macha rahe hain....videshi eska upyog karke age badhate ja rahe ahin aur ham....abhi bahut pichhe hain...aaj ke samya me computer ka har jagah prayog ho raha hai chhote se chhote kaam k liye bhi aaj computer ka sahara liya ja raha hai...apne desh ke logo ko aage badhane k liye naye naye software ki jankari honi awashyak hai...tabhi ham aage badh skate hain
True computer is becoming necessity today and it should be accepted by all. It is also necessary to open up minds
True computer is becoming necessity today and it should be accepted by all. It is also necessary to open up minds
bahut accha lekh likhe hai guru ji
bahut accha lekh likhe hai guru ji
Post a Comment