जिस इंटरनेट की शुरुवात संचार में शाब्दिक संदेशों के आदान प्रदान से हुई थी वह ध्वनि से होते हुए वीडियो तक आ पहुंचा है | आज सारी दुनिया में जो माध्यम राज कर रहा है वह वीडियो ही है और जिस माध्यम पर एक लम्बे समय तक यू ट्यूब का ही एकाधिकार था पर अब उसको चुनौती देने वाले कई खिलाड़ी मैदान में हैं |यूट्यूब की ओनलाईन वीडियो सीरिज को चुनौती देने पहले आया नेट फ्लेक्स फिर अमेजन प्राईम पर अब इसी कड़ी में एक नया नाम जुड़ रहा है फेसबुक का जो “फेसबुक वाच” नाम से अपनी अलग वीडियो सीरिज लाने जा रहा है| टेकक्रंच वेबसाईट के मुताबिक इसमें कम्पनी दर्जनों वीडियो कार्यक्रम लायेगी जो रियल्टी टीवी से भी सम्बन्धित होंगे| रियल्टी टीवी से तात्पर्य आम लोगों की असली कहानी |उम्मीद की जा रही है ऑनलाइन वीडियो सीरिज के बाजार में फेसबुक की मौजूदगी खेल के नियम बदल देगी | इन होम वीडियो के कंटेंट के लिए फेसबुक ने दुनिया के कई दिग्गजों से करार किया है जिसमें रेसिपी वीडियो से लेकर मोटीवेशनल स्पीकर से लेकर यात्रा विषेज्ञय तक शामिल हैं|इसके अतिरक्त इसमें अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र से लेकर बेसबाल के खेल भी शामिल होंगे |फेसबुक इन वीडियो को बनाने वाले को विज्ञापन से प्राप्त कमाई का पचपन प्रतिशत हिस्सा देगा और शेष पैंतालीस प्रतिशत फेसबुक खुद अपने पास रखेगा |शुरुवात में यह सेवा अमेरिका में शुरू होगी फिर सारी दुनिया में इसका विस्तार होगा |दुनिया भर में ऐसे धारावाहिकों के निर्माण में तेजी आई है, जो टीवी नहीं, इंटरनेट पर आते हैं। इसकी शुरुआत साल 1992 में अमेरिका के साउथ पार्क के साथ हुई थी, यह चलन अब भारत में भी जोर पकड़ रहा है। सही मायने में इंटरनेट धारावाहिकों के लिए भारत में यह सही वक्त भी है। पिछले कुछ साल में टीवी देखने का ढर्रा काफी बदला है। दुनिया में सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले देश के दर्शकों की मांग को पूरा करने के लिए ज्यादातर पारिवारिक कहानियां हैं, जिनमें युवाओं की कोई रुचि नहीं। वैसे भी आजकल कम से कम शहरों में पूरा परिवार एक साथ बैठकर टीवी नहीं देखता। स्मार्ट फोन और कंप्यूटर ने हमारी इन आदतों को बदल दिया है। नई पीढ़ी की दुनिया अब मोबाइल और लैपटॉप में है, जो अपना ज्यादा वक्त इन्हीं साधनों पर बिताते हैं। जहां कोई कभी भी अपने समय के हिसाब से इन धारावाहिकों को देख सकता है। इंटरनेट के धारावाहिक कंटेंट के स्तर पर युवाओं की आशा और अपेक्षाओं की पूर्ति करते हुए नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। इण्डिया मोबाईल ब्रोड्बैंड इंडेक्स 2016 और के पी एम् जी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल नेट डाटा उपभोग का अडतीस से बयालीस प्रतिशत हिस्सा वीडियो और ऑडियो पर खर्च किया जाता है |डिजीटल विज्ञापनों पर बढ़ता खर्च भी इसी तथ्य को इंगित कर रहा है साल 2015 में जहाँ इन पर 6010 करोड़ रुपये खर्च किये गये जिसके साल 2020 तक करीब चार गुना 25,520 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है |वैसे भी फेसबुक समाचारों का पर्याय बन चुका है बात चाहे प्रिंट माध्यम की हो या टेलीविजन की अब लोग इसी से अपनी सूचना की प्यास बुझा रहे हैं पर मनोरंजन के लिए लोगों की अभी ज्यादा निर्भरता वीडियो आधारित विशिष्ट चैनलों पर ही थी जिसे फेसबुक के माध्यम से शेयर किया जाता था और उससे आने वाला रेवन्यू फेसबुक को नहीं मिलता था जिसका ज्यादातर हिस्सा यू ट्यूब के पास ही है | फेसबुक अन्य माध्यमों से वीडियो के मामले में आगे निकल सकता है क्योंकि उसके पास अपने उपभोक्ताओं का विशाल आंकड़ा भण्डार है वो क्या करते हैं क्या पसंद करते हैं कहाँ रहते हैं उनकी रुचियों के हिसाब से फेसबुक वाच के वीडियो उनकी फीड में दिखने लगेंगे और उपभोक्ताओं के लिए अपने मनपसन्द वीडियो के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और अगर उपभोक्ता उस वीडियो को लाईक करेगा तो उसे अगली किश्तों के कस्टमाईज नोटिफिकेशन अपने आप मिलने लग जायेंगे उसके अलावा लाईव चैट का विकल्प भी मौजूद रहेगा जो इन वीडियो कार्यक्रमों को ज्यादा इंटरेक्टिव बनाएगा | फेसबुक की सीधी रणनीति है इंटरनेट पर वीडियो देखने की प्रवृत्ति को बदल कर टीवी जैसा बना देना जैसे अभी ज्यादातर लोग इंटरनेट पर मनोरंजन के लिए वीडियो किसी प्लानिंग के तहत नहीं देखते बस स्क्रॉल करते कुछ अच्छा दिख गया तो देखने लग गए पर टीवी वे मनोरंजन के लिए समय पर देखते हैं बस यही प्रव्रत्ति फेसबुक वीडियो पर लाई जानी है जब लोग वीडियो देखते हुए सिर्फ वो कार्यक्रम न देखे उनसे जुड़े लोगों से बात करें अपनी इच्छाएं बताएं उन पर वहीं चर्चा करें इतना इंस्टेंट इंटरेक्टिवटी का स्तर फिलहाल फेसबुक ही दे सकता है जब फेसबुक लाईव पर चैनल अपनी खबर देते हैं या अन्य समाचार वेबसाईट लाईव करती हैं पर मनोरंजनात्मक वीडियो में यह सुविधा और किसी प्लेटफोर्म के पास उपलब्ध नहीं है |
फेसबुक के कड़े प्रतिद्वंदी यूट्यूब, नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राईम वीडियो फेसबुक की वीडियो सेवा का सामना कैसे करेंगे यह देखना दिलचस्प होगा क्योंकि यह सभी माध्यम अपने कार्यक्रमों के प्रमोशन और जानकारियों के लिए अभी फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग प्लेटफोर्म का ही इस्तेमाल करते हैं और इनके पास अपना कोई स्वतंत्र प्लेटफोर्म नहीं है ऐसे में विज्ञापनों से होने वाले इनके मुनाफे पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा |अमेरिका के बाद दुनिया में भारत ही फेसबुक का सबसे बड़ा बाजार है ऐसे में भारतीय उपभोक्ताओं के लिए निकट भविष्य में अच्छी खबर मिलने वाली है कि बीडियो कंटेंट के लिए अब जल्दी ही उनके पास ज्यादा विकल्प आने वाले हैं वहीं भारतीय टीवी उद्योग को और तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा |
नवभारत टाईम्स में 07/10/17 को प्रकाशित
16 comments:
Knowledgeful post Sir. It make me to know about facebook watch.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भारतीय वायुसेना दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
This article was the latest in the blog series and I enjoyed reading it because it was informative and ‘Facebook Watch’ was new for me to know. While I agree with the points mentioned in the blog, I would also like to add that, as per my observation of video content on Internet, there’s more room for improvement in content if Internet wants to overpower television. The reason behind this is that, A – Television still has a dedicated audience who cannot find or refuse to find similar content as tv on the internet and B – Internet seems to work for and impress and cater to a similar kind of audience which is dedicated to it since the last five years, whereas T.V. on the other hand has tried its best to stay the elephant of the jungle by simulcasting (Simultaneously telecasting) its shows on the internet which includes both FB and YouTube. Also, a point to note here is that TV continues to win hearts by providing various varieties on various channels, and is also bringing newer formats and freshly brewed content. It remains a matter of discussion that whether or not ‘Facebook Watch’ puts up a similar impression.
Student rating – 3.5/5
intresting post Sir. by this feature facebook will be a good platform for students for learning new things.The good thing is that everyone knows how to use it
Thanks alot sir,From starting to end its an very informative and knowledgeable post with the latest upgradation of facebook watch in future.It will be very exciting to see Facebook watch will compete with old players of video media like Netflix,Amezon prime,Youtube,etc.
Sir...is topic ko pad kar bs ek swaal mn me aya ki... facebook ke sath sath instagram ka bhi use tezi se bad raha hai to fr ye kaise bola ja skta hai ki ane waale time me sirf facebook hi hai itna intractive platfrom ... instagram kyu ni ho skta??
क्या भारत में आने वाले समय में इटरनेट का नेटवर्क उतना मजबूत हो पायेगा ?
बहुत सारी और बहुत अच्छी जानकारी !धन्यवाद आपका
बहुत सारी और बहुत अच्छी जानकारी !धन्यवाद आपका
this is the very usefull information sir, aur apka kehna b bilkul sahi h ki in future kuch
alag hone wala hai....
thanks sir
shailendra
this is the very usefull information sir, aur apka kehna b bilkul sahi h ki in future kuch
alag hone wala hai....
thanks sir
shailendra
ये बहुत अच्छा रहेगा भारत जैसे संयुक्त परिवार वाले देश के लिये,फालतू के सीरियल्स देखकर लोग उसे अपने परिवार पर लागू करते थे।
I loved this article and came to know about 'Facebook watch' which is going to be very interesting. It would be great to see that how it effects the other platforms.
-ayushi
sir,
bahut hi jankari se bhara article hai.aaj sari duniya hi smart phone me hi samyai hai...youtube,facebook,whatsapp,instragram aadi bahut se applications ke bharmar ho gya hai...jo app logon ko saral karya pradali aur jankari pradan karta hai vah aage badhta jata hai baki sb pichhe hote jate hain....
Waaoo very interesting to know this . Facebook watch might give a big competition to other platforms.. It would be challenging also to beat YouTube.
vedio social media ka such me bahut bda player hai jiske madhyam se har tarah k update visual form me milti hai bahut accha lga mujhe apke is blog padhne se thanks sir
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