मैक्रूज : हमें हेवेलॉक ले जाने वाला |
बड़े -बड़े टायर जो जहाज को रगड़ से बचाते हैं |
इन्तजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था पर क्रूज की सवारी को लेकर मन बड़ा रोमांचित था कारण सीधा था मेरा हिन्दी फिल्मों का ज्यादा देखना जिसमें तरह –तरह के क्रूज देखे थे |हालांकि इससे पहले गोवा में क्रूज पर चढ़ा जरुर था पर कहीं जाने के लिए नहीं बस समुद्र में एक चक्कर लगा कर वो वापस हमें छोड़ गया |इस बार पूरी यात्रा क्रूज पर होनी थी वो भी सारे सामान के मने हम लोग लदे फंदे अपने क्रूज का इन्तजार कर रहे थे |बंदरगाह पर किसी बस स्टेशन जैसा नजारा था क्योंकि उस वक्त मैक्क्रुज का समय था इसलिए सारे यात्री उसी जहाज के थे |एक छोटी सी कैंटीन भी जहाँ लोगों की भीड़ लगी थी | यहां पर मेनलैंड (मुख्य भूमि) यानी चेन्नई, कोलकाता के लिए जाने वाले जहाजों के बारे में जानकारी ली जा सकती है। अंडमान जाने के लिए हवाई सेवाएं रोज हैं पर पानी के जहाज रोज नहीं चलते। किस दिन जहाज आएगा और उसकी किस दिन रवानगी होगी इसकी जानकारी एक महीने पहले जारी की जाती है। यह फिनिक्स बे में लगे सूचना पट्ट या अंडमान सरकार की वेबसाइट पर देखा जा सकता है। कुल तीन जहाज हैं जो पोर्ट ब्लेयर से तीन शहरों चेन्नई, विशाखापत्तनम और कोलकाता के बीच चक्कर लगाते हैं। इनके नाम हैं एमवी स्वराज दीप, एमवी हर्षवर्धन और एमवी कैंपबेल बे ।
अंडमान में रोड के अलावा ज्यादातर परिवहन पानी के माध्यम से ही होता है जिसमें तीन तरह के साधनों का प्रयोग होता है |पहला है फेरी जो होता है बड़े पानी के जहाज जैसा पर इसमें विलासिता की चीजें ज्यादा नहीं होती इसमें इंसानों के साथ गाड़ियाँ बस भी चढ़ा ली जाती हैं |दूसरा मोटर बोट जो आकार में काफी छोटी होती हैं और ज्यादातर यहाँ के निवासियों और पर्यटकों द्वारा प्रयोग में लाई जाती हैं |तीसरा क्रूज जो दुनिया भर की तमाम विलासिताओं के साथ बड़े पानी के जहाज जैसी होती हैं |
अंडमान में रोड के अलावा ज्यादातर परिवहन पानी के माध्यम से ही होता है जिसमें तीन तरह के साधनों का प्रयोग होता है |पहला है फेरी जो होता है बड़े पानी के जहाज जैसा पर इसमें विलासिता की चीजें ज्यादा नहीं होती इसमें इंसानों के साथ गाड़ियाँ बस भी चढ़ा ली जाती हैं |दूसरा मोटर बोट जो आकार में काफी छोटी होती हैं और ज्यादातर यहाँ के निवासियों और पर्यटकों द्वारा प्रयोग में लाई जाती हैं |तीसरा क्रूज जो दुनिया भर की तमाम विलासिताओं के साथ बड़े पानी के जहाज जैसी होती हैं |
हम क्रूज से हेवेलॉककी यात्रा करने वाले थे |थोड़ी देर में घोषणा हुई कि हमारा क्रूज आ चुका है|
लोग लाइन में लगकर धीरे –धीरे सरकने लगे |मेरी समझ में नहीं आ रहा था हमारा सामान कैसे जाएगा |हवाई जहाज में सामान तो पहले ही चला जाता है पर हमारा सामान अभी तक हमारे साथ था |अपने सामान को ढकेलते हम अपने जहाज के सामने थे |अब कहाँ से जहाज में घुसना था इसके बारे में सोच ही रहे थे कि देखा कुछ लोगों को सामान सहित पीछे भेजा जा रहा था |मतलब सामान पीछे जमा होगा |हमने भी जमा कर दिया |न कोई रसीद मिली न टिकट देखा गया बस हमने सामान पकड़ा दिया और आगे के रास्ते से क्रूज में घुस गए |अन्दर हवाई जहाज जैसा नजारा पर जगह उससे कहीं ज्यादा थी|क्रू ने हमारे टिकट देखकर हमारी सीटें बता दीं |हम अपनी सीटों पर अच्छे बच्चे की तरह जम गए |थोड़ी देर में दरवाजे बंद हो गए और हमें हवाई जहाज की तरह आपातकाल में क्या करें की हिदायतें दी जाने लगीं |ये अलग बात है ये हिदायतें एक वीडियो के माध्यम से दी जा रही थीं |थोड़ी देर में हमें समझ में आ गया हमारा जहाज आधे से ज्यादा खाली है और हम कहीं भी उछल कूद मचाने के लिए स्वतंत्र हैं |हवाई जहाज की तरह यहाँ इतना तगड़ा अनुशासन नहीं था |जहाज करीब चालीस किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से चल रहा था |शुरुआती हिचकोलों के बाद जहाज शांत समुद्र में आ गया और स्थिर होकर अपने गंतव्य की तरफ बढ़ चला |जैसे ही जहाज बंदरगाह से चला मैंने एक अनोखी बात देखी बंदरगाह की दीवार पर बड़े –बड़े टायर लगे थे और ऐसा ही नजारा हेवेलॉकमें देखने को मिला जब हमारा क्रूज वहां रुक रहा था |मैंने जब इसका कारण पता करने की कोशिश की तो पता लगा यह टायर जहाज के बाहरी आवरण को बंदरगाह की दीवारों से रगड़ से बचाने के लिए लगाये जाते हैं |इससे जहाज की खूबसूरती भी नहीं खराब होती वहीं उसमें रगड़ से होने वाली टूट फूट भी नहीं होती |वैसे ढाई घंटे का हेवेलॉक का सफर एक बंद जेल जैसा था |आप जहाज से निकल कर सुरक्षा कारणों से डेक पर नहीं जा सकते थे |बस जहाज की खिडकियों से बाहर के समुद्र का नजारा ले सकते थे |चूँकि क्रूज में गाने और अंडमान के ऊपर वृत्तचित्र दिखाए जा रहे थे तो समय काटना थोड़ा आसान हो गया |शाम के करीब चार बजे एक साइरन जहाज में सुनाई पड़ा मतलब हम हेवेलॉक पहुँच चुके थे |
जारी ..........................................
1 comment:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-07-2018) को "कामी और कुसन्त" (चर्चा अंक-3021) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
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