Wednesday, June 17, 2020

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की अनदेखी दुनिया :पांचवां भाग

अंडमान के द्वीपों की ख़ास बात है इनका हरियाली से भरा –पूरा होना ,चूँकि केंद्र सरकार के अधीन होने के कारण और सामरिक द्रष्टि से महतवपूर्ण होने के कारण यहाँ नियम क़ानून का पालन कड़ाई से होता है |यहाँ स्थाई निर्माण करने के लिए पर्यावरण संबंधी क्लीयेरेंस लेना पड़ता है इसलिए यहाँ की हरियाली अभी बची हुई है |
 हेवेलॉक में स्वागत है 
यह बात भी सही है कि अब यहाँ पर्यटकों का दबाव बढ़ रहा है और लौटते वक्त मैंने यहाँ के स्थानीय  अखबार में खबर पढी कि किसी गाँव के जिला पंचायत अध्यक्ष ने अपना पक्का मकान बना लिया वो भी बगैर अनुमति लिए |यहाँ के पहाड़ और जंगल कब तक बचेंगे कह पाना मुश्किल है क्योंकि जनसंख्या का दबाव यहाँ बढ़ रहा है |उत्तरप्रदेश चेन्नई ,पश्चिम बंगाल और बिहार के लोग यहाँ आ कर बस रहे हैं और बाद में वे अपने रिश्तेदारों को  बुलाकर भी बसवा रहे हैं |यहाँ पर्यटन के अतिरिक्त कुछ ख़ास नहीं है इसलिए ज्यादा से  ज्यादा होटल और रिसोर्ट खोलने की होड़ मची है | हेवेलॉक के जिस रिसोर्ट में रुके थे उसके ठीक सामने ऐसे ही एक होटल का निर्माण जारी था |शायद अगली बार वो जगह इतनी शान्ति  मुझे न मिले | हेवेलॉक पर उतरते ही हमारा स्वागत  हरे भरे समुद्र ने किया |क्रूज से सामान उतारा गया हम अपने  रिजोर्ट की तरफ बढ़ चले | हेवेलॉक एक छोटे कसबे जैसा है |जेटी से आगे बढ़ने पर एक छोटा सा बाजार पड़ता है जहाँ काम आने वाली सारी चीजें उसी कीमत पर उपलब्ध हैं|जैसी मुख्य भूमि पर शाम होने को आ रही थी |सड़कों पर आवाजाही कम हो रही थी |वैसे भी जनसँख्या ज्यादा न होने के कारण मुख्य बाजार छोड़ कर कहीं कोई भीड़ नहीं थी |यहाँ के द्वीपों की ख़ास बात यह है कि यहाँ किसी तरह का कोई अपराध नहीं है |वैसे भी कोई अपराधी करके भाग कहाँ जायेगा |चारों तरफ सिर्फ समुद्र ही है |नारियल के पेड़ और बांस के झुरमुटों से गुजरते हुए हम रिजोर्ट से सीधे काला पत्थर बीच की और चल पड़े |यहाँ के बीच गोवा के बीच की तरह हैपीनिंग नहीं हैं |उसका बड़ा कारण शराब का बहुतायत में न उपलब्ध होना और दूसरा अंडमान पर हर कोई नहीं पहुँच सकता इसलिए सब कुछ बड़ा अनुशासित और शांत हैं | रिसॉर्ट पहुँचते ही फैसला यह किया गया कि काला पत्थर बीच का चक्कर लगा लिया जाये और समुद्र को करीब से महसूस कर लिया जाए |अंडमान आये हुए हमें चौबीस घंटे से ज्यादा वक्त बीत चुका था लेकिन समुद्र के पानी को छूने का मौका नहीं मिला था तो हमारे रिसॉर्ट से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर था काला पत्थर बीच |

काला पत्थर बीच का अभी व्यवसायीकरण नहीं हुआ है |एकदम शांत माहौल |कुछ दुकाने जिसमें नारियल पानी और मैगी उपलब्ध है |कुछ दुकाने नहाने के लिए कपडे भी बेंच रही थीं |बीच पर भी कोई ज्यादा भीड़ नहीं थी |हमने मौका गंवाए बिना समुद्र में एक डुबकी लगा ली पर गोवा और पुरी के समुद्र के मुकाबले यहाँ के समुद्र का पानी बहुत ज्यादा खारा लगा हो सकता है यह मेरा भ्रम हो पर समुद्र के साथ अठखेलियाँ करते हुए ज्यादा वक्त नहीं बीता था कि एक जोरदार सीटी की आवाज सुनाई पड़ी |जो इशारा था समुद्र से बाहर आने का वक्त हो चुका है |समुद्र में तैनात गार्ड सबको पानी से बाहर आने का ईशारा कर रहे थे |इसका दो कारण थे ,पहला अँधेरा होने का था ऐसे में अगर समुद्र में कोई रह गया तो उसका कोई पता नहीं चलेगा क्योंकि आस –पास, दूर –दूर तक कोई आबादी नहीं थी दूसरा शाम के वक्त समुद्र में ज्वार आता है जिससे समुद्र में गए लोगों को खतरा हो सकता है |

हम बेमन से समुद्र से बाहर निकले पर बीच धीरे –धीरे एकदम खाली हो गया |हमारे देखते –देखते सूरज भी डूब गया |उस गोधूलि में हम उस उमस भरे दिन नमकीन बदन के साथ ,प्रकृति के कई रंग एक साथ देख रहे थे |हम वाकई खुशनसीब थे जो देश की इस अंतिम सीमा में अनछुए प्राकृतिक दृश्यों को निहार पा रहे थे |हमारे सामने एक छोटी सी नाव पर चार व्यक्तियों को एक समूह पतवार खेते हुए समुद्र में मेरी नजरों से ओझल हो गया |इस विशाल समुद्र में वो भी एक छोटी सी नांव पर कहाँ जा रहे थे

वे लोग इसका पता न चल सका |थोड़ी देर मैंने उस खाली हो चुके समुद्री किनारे पर नंगे पैर चहलकदमी की |जब हम वापसी के लिए निकले रात की कालिमा माहौल को घेर चुकी थी |नारियल पानी चूँकि हर जगह बहुतायत से उपलब्ध है मैंने नारियल पानी पी कर अपनी प्यास बुझाई और अपने रिसोर्ट वापस आ गए |

जारी.......................................................


1 comment:

Unknown said...

Dhanyabad mukul bhai achchi v rochak jankari dene k lie.l likhne ki shaili kabile tarif ha

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