Tuesday, June 18, 2019

न हो दिल की गलियां सूनी

अभी  मेरे व्हाट्स एप पर एक मेसेजनुमा जोक आया “कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है... अगर तुम  १०:३० बजे ही सो जाती है तो तुम्हारे  व्हाट्सएप्प पर "लास्ट सीन २:३० ए एम" क्यों दिखाता हैहा हा और मेरे दिमाग की बत्ती जल गयी असल में नए नए मोबाईल एप हमारी जिन्दगी में किस तरह असर डाल रहे हैं इसका अंदाजा हमें खुद नहीं है.एसएमएस में तो आप झूठ बोल कर निकल सकते थे कि मेसेज नहीं मिला पर ये नए नए चैटिंग एप और लास्ट सीन और ब्ल्यू टिक वाला स्टेट्स आपकी सारी हकीकत आपके दोस्तों और परिचितों के सामने बयां कर देते हैं.अब सोचने की बारी आपकी है. यूँकि ये बात आपको क्यूँ बताई जा रही है और इससे आपको क्यूँ फर्क पड़े,अच्छा सवाल है  तो भाई मामला ये है कि परिवार नियोजन  वाला नारा  तो  आपने सुना ही होगा कि बच्चे दो ही अच्छे. हाँ भाई ज्यादा बच्चे आफ़त ही होते हैं उसी तरह से यारी दोस्ती करना अच्छी बात है पर यारी दोस्ती जब ज्यादा और गलत लोगों से हो जायेगी तो आपको समस्या आयेगी ही. एक ओर मोबाईल क्रान्ति  ने हमें ग्लोबली कनेक्टेड तो कर दिया ही है. वहीं कहीं हम नेट बैकवर्ड न घोषित कर दिए जाएँ इस चक्कर  में जितने चैटिंग एप इंटरनेट पर उपलब्ध हैं वो सबके सब हमारे मोबाईल पर होने चाहिए, इस ललक ने कब हमें इतना एक्सप्रेशन लेस कर दिया कि हमें अपने रीयल एक्सप्रेशन को भूल टेक्नीकल एक्सप्रेशन यानि इमोजीस के गुलाम बन गये हैं .हंसी आये या ना आये ‘हा’ ‘हा’ लिख कर कोई स्माईली बना दो सामने वाला यही समझेगा कि आप बहुत खुश हैं, पर क्या आप वाकई खुश हैं?
            क्यूँ अब मैं थोडा सा हंस लूँअक्सर हम चैट पर यही कर रहे होतें वर्च्युल चैटिंग में हम जीवन की असली समस्याओं  का हल  ढूंढने लग गए हैं .हमारी फोनबुक में बहुत से लोगों के नंबर सेव रहते हैं और हम जितने ज्यादा चैटिंग एप डाउनलोड करेंगे हम उतने ही ज्यादा खतरे में रहेंगे क्यूंकि कोई न कोई चैटिंग एप हर कूल डूड के मोबाईल में रहता है और इससे कोई भी ,कभी भी आपको संदेसा भेज सकता है. यह जाने बगैर कि आप बात करने के मूड में हैं या नहीं. दूसरी चीज है आपकी प्राइवेसी,चैटिंग एप और कुछ न बताएं तो भी ये तो सबको बता ही देते हैं कि आप किसी ख़ास एप पर कितने एक्टिव हैं अगर इससे बचना है तो कुछ और एप डाउनलोड कीजिये. ये तो आप भी मानेंगे कि बगैर काम की चैटिंग खाली लोगों का काम है या आप इमोशनली वीक है और रीयल लाईफ में आपके पास कोई नहीं हैं जिससे आपकी उँगलियाँ मोबाईल के की पैड पर भटकती रहती हैं कि कहीं कोई मिल जाए ?
मामले और भी हैं ज्यादा चैटिंग ये बताती है कि आप फोकस्ड नहीं हैं और आपके के पास कोई काम नहीं है. ये समय  कुछ पाने का ,कुछ कर दिखाने का है.बात जिन्दगी की हो या रिश्तों की हम जितने सिलेक्टिव रहेंगे उतना ही सफल रहेंगे और यही बात एप और चैटिंग पर भी लागू होती है,जो आपके अपने है उन्हें वर्च्युल एक्सप्रेशन नहीं रीयल एक्सप्रेशन की जरुरत है.ईमोजीस आँखों को अच्छी लगती हैं पर जरुरी नहीं कि दिल को भी अच्छी लगे. जो रिश्ते दिल के होते हैं उन्हें दिल से जोडिये नहीं तो एक वक्त ऐसा आएगा जब आप होंगे और आपकी तन्हाई. मोबाईल की फोनबुक भरी होगी पर दिल की गलियां सूनी होंगीं तो अपने अपनों से मिलने जुलने का सिलसिला बनाये रखिये बी सिलेक्टिवबी फोकस्ड और हाँ दोस्ती  और चैटिंग कम ही अच्छी . 
प्रभात खबर में 18/06/2019 को प्रकाशित 

3 comments:

Anonymous said...

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Anonymous said...

Whoah this blog is great i lkve reading your posts. Stay
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them greatly.

Anonymous said...

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You clearly know what youre talking about, why throw away your intelligence
on just posting videos to your weblog when you could be giving us something enlightening to read?

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