वर्तमान समाज एक एप का समाज है दुनिया स्मार्ट फोन के रूप में हथेली में सिमट चुकी है |इंटरनेट और डेस्कटाप कम्प्यूटरों से शुरू हुआ यह सिलसिला मोबाईल के माध्यम से एक एप में सिमट चुका है | पिछले एक दशक में इंटरनेट ने भारत को जितना बदला उतना मानव सभ्यता के ज्ञात इतिहास में किसी और चीज ने नहीं बदला है ,यह बदलाव बहु आयामी है बोल चाल के तौर तरीके से शुरू हुआ यह सिलसिला खरीददारी ,भाषा साहित्य और हमारी अन्य प्रचलित मान्यताएं और परम्पराएँ सब अपना रास्ता बदल रहे हैं। यह बदलाव इतना तेज है कि इसकी नब्ज को पकड़ पाना समाज शास्त्रियों के लिए भी आसान नहीं है और आज इस तेजी के मूल में “एप” ( मोबाईल एप्लीकेशन ) जैसी यांत्रिक चीज जिसके माध्यम से मोबाईल फोन में आपको किसी वेबसाईट को खोलने की जरुरत नहीं पड़ती |आने वाली पीढियां इस समाज को एक “एप” समाज के रूप में याद करेंगी जब लोक और लोकाचार को सबसे ज्यादा “एप” प्रभावित कर रहा था |हम हर चीज के लिए बस एक अदद “एप” की तलाश करते हैं |जीवन की जरुरी आवश्यकताओं के लिए यह “एप” तो ठीक था पर जीवन साथी के चुनाव और दोस्ती जैसी भावनात्मक और निहायत व्यक्तिगत जरूरतों के लिए दुनिया भर के डेटिंग एप निर्माताओं की निगाह में भारत सबसे पसंदीदा जगह बन कर उभर रहा है | उदारीकरण के पश्चात बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ और रोजगार की संभावनाएं बड़े शहरों ज्यादा बढीं ,जड़ों और रिश्तों से कटे ऐसे युवा भावनात्मक सम्बल पाने के लिए और ऐसे रिश्ते बनाने में जिसे वो शादी के अंजाम तक पहुंचा सकें डेटिंग एप का सहारा ले रहे हैं |
भारत में है युवाओं की सबसे ज्यादा आबादी
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। यहां 35.6 करोड़ आबादी युवा है भारत की अठाईस प्रतिशत आबादी की आयु दस साल से चौबीस साल के बीच है। सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में मौजूदा समय में युवाओं कीसबसे सबसे अधिक है इसी आबादी का बड़ा हिस्सा वह है जो स्मार्ट फोन का इस्तेमाल बगैर किसी समस्या करता है ये तकनीक को अच्छी तरह जानते और समझते हैं |मोबाईल ख़ासा व्यक्तिगत माध्यम है और हर व्यक्ति अपनी जरूरतों के हिसाब से “एप” चुनकर इंस्टाल कर सकता है |पिछले एक दशक में शहरी भारतीय रहन सहन में ख़ासा परिवर्तन आया है और युवा जल्दी आत्म निर्भर हुए हैं जहाँ वो अपने जीवन से जुड़े फैसले खुद ले रहा है |यूँ तो देश में ऑनलाइन मैट्रीमोनी का कारोबार अगले तीन साल में 1,500 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, वैवाहिक वेबसाइटों पर साल 2013 में 8.5 लाख प्रोफाइल अपलोड की गई, जिनकी संख्या साल 2014 में बढ़कर 19.6 लाख हो गई। यानी एक साल में 130 फीसदी का इजाफा।पर डेटिंग एप का बढ़ता चलन इस ओर इशारा कर रहा है कि सम्बन्ध बनाने में भी अब लोग वेबसाईट के बजाय एप पर अधिक निर्भरता बढ़ा रहे हैं वर्तमान में डेटिंग एप का आकार 13 करोड़ डॉलर से भी ऊपर चला गया है और जो लगातार बढ़ रहा है। ओनलाईन डेटिंग साईट्स में अव्वल टिंडर इंडिया का दावा है कि उसे एक दिन में 14 मिलियन स्वाइप्स होते हैं जो कि सितंबर 2015 में 75 लाख तक ही थे।ये डेटिंग एप अपनी प्रकृति में अलग –अलग सेवाएँ देने का वायदा करते हैं वैसे भी भारतीय डेटिंग एप यहाँ की परिस्थितयों को बेहतर समझते हैं क्योंकि भारत रिश्तों और सेक्स के मामले में एक बंद समाज रहा है पर अब वो धीरे –धीरे खुल रहा है |ट्रूली मैडली जैसे एप यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि कोई शादी शुदा इस एप से न जुड़े वे महिलाओं की सुरक्षा का वायदा करते हैं वहीं टिनडर जैसा अन्तराष्ट्रीय ब्रांड गैर गंभीर सम्बन्धों को बढ़ावा देता है पर भारतीय डेटिंग प्लेटफोर्म शहरी भारतीयों का इस बात का भरोसा देते हैं कि आप गैर गंभीर सम्बन्धों को भविष्य में एक नाम दे सकें और अपने भविष्य के जीवन साथी को सिर्फ तस्वीर देख कर न चुने बल्कि उनके साथ एक गैर प्रगाढ़ सम्बन्ध बनाएं और वक्त के साथ यह फैसला करें कि अमुक व्यक्ति एक जीवन साथी के रूप में आपके लिए बेहतर रहेगा या नहीं ,यहाँ ऐसे डेटिंग एप ऑनलाइन मैट्रीमोनी साईट्स से एक कदम आगे निकल जाते हैं और एक उदार द्रष्टिकोण का निर्माण करते हैं जो भारतीय पारम्परिक वैवाहिक व्यवस्था से अलग एक विकल्प युवाओं को देते हैं जो जाति,धर्म और समाज से परे विवाह का आधार व्यक्ति की अपनी पसंद बनता है |इन डेटिंग एप की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ऑनलाइन प्लेटफार्म के अलावा ये विज्ञापनों के लिए पारम्परिक रूप से महंगे माध्यम टीवी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं |
तरह –तरह के डेटिंग एप और उनसे जुड़े खतरे
ट्रूली मैडली, वू ,टिनडर,आई क्रश फ्लश और एश्ले मेडिसन जैसे डेटिंग एप भारत में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं जिसमें एश्ले मेडिसन जैसे एप किसी भी तरह की मान्यताओं को नहीं मानते हैं आप विवाहित हों या अविवाहित अगर आप ऑनलाईन किसी तरह की सम्बन्ध की तलाश में हैं तो ये एप आपको भुगतान लेकर सम्बन्ध बनाने के लिए प्रेरित करता है हालंकि डेटिंग एप का यह कल्चर अभी मेट्रो और बड़े शहरों तक सीमित है पर जिस तरह से भारत में स्मार्ट फोन का विस्तार हो रहा है और इंटरनेट हर जगह पहुँच रहा है इनके छोटे शहरों में पहुँचते देर नहीं लगेगी |पर यह डेटिंग संस्कृति भारत में अपने तरह की कुछ समस्याएं भी लाई है जिसमें सेक्स्युल कल्चर को बढ़ावा देना भी शामिल है |वैश्विक सॉफ्टवेयर एंटी वायरस कंपनी नॉर्टन बाई सिमेंटेक के अनुसार ऑनलाइन डेटिंग सर्विस एप साइबर अपराधियों का मनपसंद प्लेटफार्म बन चुका है। भारत के लगभग 38 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि वह ऑनलाइन डेटिंग एप्स का प्रयोग करते हैं। ऐसे व्यक्ति जो मोबाइल में डेटिंग एप रखते है, उनमें से करीब 64 प्रतिशत महिलाओं और 57 प्रतिशत पुरुषों ने सुरक्षा संबंधी परेशानियों का सामना किया है। आपको कोई फॉलो कर रहा है, आप की पहचान चोरी होने के डर, के साथ-साथ उत्पीड़ित और कैटफिशिंग के शिकार होने का खतरा बरकरार रहता है।
दैनिक जागरण /आई नेक्स्ट में 16/10/2019 को प्रकाशित
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