क्यों जाने सब कि तुमने अपने जीवन में क्या क्या किया
क्या जरूरत है
कविताएं लिखने की और दुनिया को जताने की
मैंने सुना
फिर सोचा
हाँ क्या जरुरत है
सच है
मेरी भावनाएं सम्वेदनाएँ मेरी हैं
वो जिसके लिए हैं
शायद वो तो
उस विज्ञान की तरह
जहाँ हर क्रिया की प्रतिक्रिया है
प्रतिक्रिया
वो तो सिर्फ सुनती है
हो सकता है वो न समझती हो
विज्ञान के पास भी
कहाँ है सारे प्रश्नों के जवाब
क्या प्यार की प्रतिक्रिया प्यार ही है ?
तो वो क्यों कहती है
ये प्यार नहीं
महज आकर्षण है
शायद वासना
पर वासना किसी चेहरे का मोहताज नहीं होती
हो सकता है इस सवाल का जवाब भी
उसके पास न हो
पर उसने कहा था
और हाँ मैंने सुना था
आज भी सुन रहा हूँ
उसे हिंदी बोर करती है
मेरी भावनाएं मेरी हैं
कवितायेँ लिखने से आदमी प्रेमी नहीं होता ......
1 comment:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-10-2019) को "सूखे कलम-दवात" (चर्चा अंक- 3489) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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