कोविड -19 कोरोना वायरस के देश भर
में फैल जाने के बाद, मरीज़ों और डॉक्टरों दोनों के लिए आमने-सामने बैठ कर इलाज करना और करवाना
जोखिम भरा काम हो गया है | इसका परिणाम यह हुआ है कि देश की
ज़्यादातर निजी मेडिकल सेवाएं बंद है और सरकारी अस्पतालों का सारा जोर करोना वायरस से ग्रसित मरीज़ों के उपचार पर है |देश की स्वास्थ्य सेवाओं का आधारभूत ढांचा
खुद रोगग्रस्त है|ऐसे में ऐसे लोग जो
डायबिटीज, ह्रदय रोग या अन्य सामान्य जीवन शैली आधारित बीमारियों से ग्रसित है| जिसमें
चिकित्सकों से नियमित जांच की जरुरत होती है|उन लोगों के
स्वास्थ्य पर भारी संकट आ गया है |
मोदी सरकार की खासियत यह है कि यह
समस्याओं में अवसर खोज लेती है जैसे नोटबंदी के समय लोगों को डिजीटल भुगतान की
करने के लिए प्रेरित किया गया,जिसका अब असर भी दिख रहा है |उसी तरह कोरोना जैसी भयानक महामारी में सरकार टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देने का
प्रयास कर रही है |दुनिया में दूसरे नम्बर पर सबसे ज्यादा
इंटरनेट यूजर्स भारत में है जिसमें बड़ी भूमिका स्मार्टफोन धारकों की है |स्पीच रीकिग्निशन टूल की सहायता से इंटरनेट इस्तेमाल में अंग्रेजी आने की
बाध्यता कब का समाप्त हो चुकी है और इंटरनेट विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है|ऐसे में सबको बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ देने में टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल गेम
चेंजर साबित हो सकता है |
सरकार की टेलीमेडिसिन प्रेक्टीस गाईड
लाईन्स देश के सुदूर इलाकों में चिकित्सकों को इंटरनेट के
माध्यम से अपनी सेवाएँ देने को विधिक स्वरुप प्रदान करती है जिसे बीस मार्च को
जारी किया गया है |चिकित्सा का यह
तरीका न केवल संकट के इस समय बल्कि भविष्य में भी लोगों को फायदा पहुंचाएगा | टेलीमेडिसिन प्रेक्टीस गाईड लाईन्स को मेडिकल कौंसिल
ऑफ़ इण्डिया और नीति आयोग के द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है | वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने टेलीमेडिसिन को स्पष्ट
रूप से परिभाषित किया है जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच उन लोगों तक जहाँ दूरी
एक महत्वपूर्ण कारक है वहां रोगों और चोटों में अनुसंधान, मूल्यांकन और स्वास्थ्य सेवा की सतत शिक्षा के लिए निदान,उपचार और उनके रोकथाम के लिए वैध जानकारी के आदान प्रदान में सूचना और
संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा किया जाना
है |शाब्दिक रूप से
टेलीमेडिसिन का तात्पर्य इंटरनेट के माध्यम से दूरी से किया गया
उपचार है |देश में टेलीमेडिसिन
के क्षेत्र में वर्तमान समय में काफी वृद्धि देखी जा रही है | डॉक्सऐप, एमफाइन और प्रेक्टो जैसे इंटरनेट प्लेटफॉर्म मरीजों को डॉक्टरों से जुड़ने और आभासी परामर्श को शेड्यूल
करने में सहायता प्रदान कर रहे हैं |हालाँकि अभी यह प्रयोग बहुत ही सीमित मात्रा में है क्योंकि इसमें सबसे बड़ी
बाधा रोगी की उस मानसिकता में जिसमें वह डॉक्टरों से आमने सामने मिल कर ही अपने
रोग का निदान चाहता है |ये मानसिकता अस्पतालों में अनावश्यक
भीड़ बढाती है |दूसरा स्वास्थ्य तकनीक के क्षेत्र में
अनिश्चतता इस क्षेत्र के धीमे विस्तार का बड़ा कारण है |उदाहरण के लिए ई फार्मेसी कम्पनियां अभी भी सरकार के उन नियमों को इन्तजार
कर रही हैं जिसमें सरकार को उन नियमों को अंतिम रूप देना है जिससे उनके प्लेटफोर्म नियंत्रित होंगे |विदित हो कि साल 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश ने ऑनलाइन दवाओं की अवैध बिक्री पर प्रतिबंध
लगा दिया था |
ऐसे में इस क्षेत्र को मान्यता देने से
टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में मौजूदा व्यवसायी और संभावित निवेशकों के लिए बहुत
आवश्यक स्पष्टता प्रदान करती है जो इस क्षेत्र में निवेश करने
के लिए इन्तजार कर रहे हैं |इस गाईड लाईन्स के
अनुसार अब डॉक्टर रोगियों को वीडियो, ऑडियो, ईमेल द्वारा परामर्श प्रदान कर सकते हैं | यह गाईड लाईन्स उन दवाओं को भी श्रेणी बद्ध करती है जिन्हें टेलीमेडिसिन
द्वारा रोगियों को नियत किया जा सकता है |जैसे पैरासिटामोल और इसके जैसी हल्की दवाएं किसी भी परामर्श द्वारा रोगी को
दी जा सकती हैं लेकिन उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे रोगों की दवाएं निरन्तरता
परामर्श में ही रोगी को टेलीमेडिसिन द्वारा दी जा सकती हैं जिसमें अनिवार्य रूप से
सबसे पहला परामर्श रोगी और डॉक्टर का आमने सामने का होगा |गंभीर रोगों के विषय में डॉक्टर टेलीमेडिसिन के इस्तेमाल से दवाएं नहीं
निर्धारित करेंगे |इस बात का निर्धारण कि रोगी का दूर से इलाज (टेलीमेडिसिन) किया जाए या नहीं
डॉक्टर के अपने पेशेवर निर्णय के अधीन होगा | आगे जाकर, डॉक्टरों को दूरस्थ
परामर्श प्रदान करने के लिए एमसीआई के बोर्ड द्वारा प्रशासित एक ऑनलाइन कोर्स पूरा
करना होगा।चूँकि ऑनलाईन कोर्स के विकसित होने में अभी समय लगेगा तब तक डॉक्टर
अंतरिम रूप से सरकार द्वारा निर्धारित गाईडलाईन्स के अनुसार मरीज देख सकते हैं |महत्वपूर्ण रूप से यह गाईड लाईन्स रोगी को परामर्श देने में एक चिकित्सक को
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग टूल के इस्तेमाल की अनुमति देती है |हालाँकि कृत्रिम
बुद्धिमत्ता (एआई) का प्रयोग सीधे मरीजों के परामर्श के लिए नहीं किया जा सकता है
जिसमें बाट्स का इस्तेमाल न करना भी शामिल है |रोगी को इलाज का परामर्श सीधे डॉक्टर से ही मिलना चाहिए |
टेलीमेडिसिन का यह प्रारूप भविष्यमें ई-स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक रूप देने में मदद करेगा | इसमें न केवल दूरस्थ परामर्श को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी | बल्कि यह ऐसे समाधान भी निकालेगा जो रोगियों, डॉक्टरों, डाइग्निसोटिक
क्लीनिकों और फार्मेसियों को आपस में जोड़ देंगे।जिसका फायदा निश्चित रूप से रोगी
को जल्दी स्वस्थ होने में मिलेगा | टेलीमेडिसिन भारत के
छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद लाभकारी हो सकता है जहां
डॉक्टरों की भारी कमी है।देश की आधी आबादी विशेषकर वे महिलायें इससे ज्यादा
लाभान्वित होंगी जो सामाजिक रूप से किसी पुरुष साथी के बगैर डॉक्टरों तक पहुँचने में
असमर्थ होती हैं|यह विशेष रूप से उन
महिलाओं को लाभान्वित कर सकता है जो अक्सर स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंचने में
अतिरिक्त बाधाओं का सामना करते हैं, जैसे कि पुरुष साथी
के बिना स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों का दौरा करने में असमर्थ होना। यह सुनिश्चित
करने के लिए कि भारत के सुदूर कस्बों में ई-स्वास्थ्य के उद्देश्य से पहले से ही
कई सार्वजनिक-निजी भागीदारी हैं। भारत के सुदूर कस्बों जिलों में ई-स्वास्थ्य के
उद्देश्य से पहले से ही कई सार्वजनिक-निजी भागीदारी हैं।
एसोचेम के एक शोध के अनुसार देश में
टेलिमेडिसिन का कारोबार बीस प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़
रहा है जिसकी साल 2020 के अंत में बत्तीस मिलीयन डॉलर हो जाने की उम्मीद है|सरकार द्वारा जारी आरोग्य सेतु एप कोरोना के खिलाफ जारी देश की लड़ाई में
अहम् भूमिका निभा सकता है|प्रधानमंत्री मोदी ने देश के निवासियों को इसे अपने मोबाईल
पर डाउनलोड करने की सलाह दी है|
भारत जैसे गरीब देशों में मेडिकल
सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने में टेलिमेडिसिन अहम टूल साबित हो सकता है | टेलिमेडिसिन को सभी जगहों तक पहुंचाने के लिए हेल्थ रिकॉर्ड को डिजिटाइज
करना पहला अहम कदम है | स्वास्थ्य और स्वास्थ्य शिक्षा के
क्षेत्र में टेलीमेडिसिन के बहुत से फायदे देखने को मिले हैं | दुनिया के एक कोने में बैठा विशेषज्ञ और रोगी दुनिया के दूसरे कोने
में बैठे विशेषज्ञ की राय ले सकता है |वर्तमान स्थिति,सरकार का संरक्षण और
विभिन्न स्टार्टअप्स की शुरुआत भारत को टेलीमेडिसिन को
अपनाने के लिए आवश्यक गति प्रदान कर सकता है। देश में
टेलिमेडिसिन की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीक
का इस्तेमाल कितनी जल्दी अपने व्यवहार में ले आयेंगे |