लॉक डाउन के इस समय घर की सफाई में एक पुरानी किताब मिली जानते हैं उसका विषय था ज्योमेट्री जी हाँ रेखा गणित और क्या कुछ आँखों के आगे घूम गया. वो स्कूल के दिन वो एल एच एस इस ईक्युल टू आर एच एस और इतिसिद्धम. तब लगता था हम ये सब क्यूँ पढते हैं वैसे भी गणित मुझे बहुत बोर करती थी. जिंदगी तो आगे बढ़ चली पर अब समझ आ रहा है जीवन में रेखा का क्या महत्व है क्योंकि इसी पर जिंदगी का गणित टिका हुआ है.
रेखा मतलब लाइन, लिमिट ,सीमा या फिर कुछ आड़ी तिरछी सीधी पंक्ति वैसे इनका कोई मतलब नहीं है, पर इन्हें सिलसिलेवार लगा दिया जाए तो किसी के घर का नक्शा बन जाता है या कोई कुछ ऐसा जान जाता है जिसे कल तक कोई नहीं जानता था.रेखा ही है वो टूल है जिससे आप अपने सपनों को वास्तविकता का जामा पहना सकते हैं पर ये ध्यान रहे कि उस रेखा का डायरेक्शन किस तरफ है क्योंकि वो चाहे गणित का सवाल हो या जिंदगी की उलझन काफी कुछ आपके दिमाग के डायरेक्शन पर निर्भर करता है.
विषय कोई भी हो चाहे इतिहास, भूगोल गणित या फिर साहित्य बगैर रेखाओं के इनका कोई अस्तित्व नहीं है अब देखिये ना लिपि या स्क्रिप्ट भी तो कुछ रेखाओं का कॉम्बिनेशन है यानि दुनिया को समझने के लिए हमें रेखाओं की जरुरत है. इतिहास में समयरेखा है, तो भूगोल में अक्षांश और भूमध्य जैसी रेखाएं. कॉपियों में लिखने का अभ्यास पहले लाईनदार पन्नों से होता है बाद में जब हम अभ्यस्त हो जाते हैं तो उनकी जगह सफ़ेद पन्ने ले लेते है और तब हम कितनी भी जल्दी क्यूँ ना लिखें शब्द अपनी जगह से नहीं भागते. वे उसी तरह लिखें जाते हैं जैसे हम लाईनदार कॉपियों में लिखते हैं. जीवन में इन रेखाओं का कितना बड़ा दायरा है वो जीवन की रेखा से लेकर गरीबी रेखा तक देखा और समझा जा सकता है. जीवन में स्वछंदता और उन्मुक्तता मौज मस्ती अच्छी है पर उसकी भी एक सीमा होनी चाहिए और इस रेखा को हमें ही खींचना होगा. ये बात कोई दूसरा हमें ना बताये क्योंकि सेल्फ रेग्युलेशन,सेल्फ से आता है और यही सेल्फ रेग्युलेशन जो हमें अनुशासित करता है.जब हम दूसरे की सीमाओं का सम्मान करेंगे तो लोग खुद ब खुद हमें अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र छोड़ देंगे पर हम ये सोचें कि हम सबके बारे में कुछ भी गॉसिप कर सकते हैं पर कोई हमारे बारे में कोई कुछ नहीं बोलेगा ऐसा होना मुश्किल है. सफल होने की कोई सीमा नहीं है पर ख्वाब अगर हकीकत के आइने में देखें जाएँ तो उनके सफल होने की गुंजाईश ज्यादा होती है. मतलब अपनी सीमाओं को जानकर उसके हिसाब से जब योजनाएं बनाई जाती हैं तो वो निश्चित रूप से सफल होती हैं.कोरोना लॉक डाउन में घर को हमने अपनी लक्ष्मण रेखा बना रखा पर अगर आप ये मान लेंगे कि सब तो अपने घर में बंद है मैं थोडा घूम लेता हूँ तो हम अपनी लक्ष्मण का अतिक्रमण करते हैं और इसका असर दूसरों पर पड़ेगा.तो कोरोना से लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब हम अपनी लक्ष्मण रेखा न लाघें. मुझे तो अपनी सीमाओं का अंदाजा है और अपनी जीवन रेखा को इसी तरह बना रहा हूँ कि मेरी जिंदगी के कुछ मायने निकले पर आप क्या कर रहे हैं जरुर बताइयेगा.
प्रभात खबर में 08/04/2020 को प्रकाशित
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