इंटरनेट की दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण बात है इसकी गतिशीलता नया बहुत जल्दी पुराना हो जाता है और नई संभावनाओं के द्वार खुल जाते हैं .सोशल मीडिया प्लेटफोर्म नित नए रूप बदल रहे हैं उसमें नए –नए फीचर्स जोड़े जा रहे हैं .इस सारी कवायद का मतलब ऑडिएंस को ज्यादा से ज्यादा वक्त तक अपने प्लेटफोर्म से जोड़े रखना .इसका बड़ा कारण इंटरनेट द्वारा पैदा हो रही आय भी है .अब सोशल मीडिया इतना तेज़ और जन-सामान्य का संचार माध्यम बन गया कि इसने हर उस व्यक्ति को जिसके पास स्मार्ट फोन है और सोशल मीडिया पर उसकी एक बड़ी फैन फोलोविंग वह एक चलता फिरता मीडिया हाउस बन गया है और इसी से उभरी है सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की एक नयी पौध| कोरोना लॉक डाउन के समय जब सभी घर में बैठकर पारिवारिक समय बीता रहे थे तभी बहुत से नए चेहरे शेयर मार्केट के बारे में जानकारी देने के क्षेत्र में उतरे |
मूलत: अर्थ और वित्त के क्षेत्र में अपनी जटिलता के कारण ऑडिएंस
के तौर पर नए लोग इनसे जुड़े कंटेंट से
दूरी बना कर रखते हैं और वे संगीत समाचार और कॉमेडी जैसी शैलियों में ही संतुष्ट
रहते हैं पर देश के बढ़ते माध्यम वर्ग और इंटरनेट के विस्तार ने इस क्षेत्र में
कंटेंट की जरुरत पर इंटरनेट कंटेंट क्रियेटर का ध्यान खींचा |
आम तौर पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ब्रांड और सेवाओं के अलावा संगीत और कॉमेडी जैसे क्षेत्र में ही अपनी पहुँच का इस्तेमाल करते थे, पर कोविड काल ने बहुत कुछ बदला है और उसी का परिणाम है इन सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का अर्थ और वित्त जैसे मुश्किल विषय में उतरना और तेजी से लोकप्रिय हो जाना भी शामिल है | ऑनलाईन वीडियो इन साईट कम्पनी विडूली के अनुसार यूटब के वित्त के क्षेत्र में देश के तीन सबसे बड़े चैनल में प्रो कैपिटल डॉट मोहम्मद फैज चैनल (298 मिलीयन व्यूज) फिन्नोवेशन जेड डॉट कॉम (99 मिलीयन व्यूज के साथ 1.3 मिलीयन सब्सक्राईबर) और असेटयोगी (78मिलीयन व्यूज के साथ 1.8 मिलीयन सब्सक्राइबर )शामिल हैं| किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के आंकलन का एक पैमाना देश की कुल जनसख्या का शेयरों में निवेश का प्रतिशत भी होता है,इस संदर्भ में भारत में भारत की स्थिति रोचक है यहाँ लोग शेयर मार्केट में कम निवेश करते हैं एक अरब से ज्यादा आबादी वाले देश में सिर्फ 18 मिलीयन निवेशक हैं|ऐसी ही स्थिति म्युच्युल फंड की है जिसमें सिर्फ दो करोड़ निवेशक हैं | शेयर बाजार के बारे में आम भारतीय को कम जानकारी है और चौबीस घंटे चलने वाले वित्त और व्यवसाय के चैनल भी लोगों की जागरूकता बढ़ा पाने में नाकामयाब रहे|ऐसे में इंटरनेट पर एक बड़ा सेगमेंट इस क्षेत्र में खाली रहा| जिसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की नयी पौध भरने की कोशिश कर रही है|ये सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर उन नए निवेशकों के लिए बड़े लाभकारी है जिन्हें शेयर बाजार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं और उन्हें शून्य से शुरुआत करनी है |स्टॉक मार्केट की विशेषीकृत शब्दावली आप निवेशकों को परेशान करती है पर इंटरनेट पर अब लाखों ऐसे चैनल हैं जो लोगों को शेयर बाजार की बारीकियों को आसान शब्दों में समझा रहे हैं |सस्ते डाटा ने हर शैली के मीडिया कंटेंट को बढ़ावा दिया है जिसमें शेयर बाजार और अर्थशास्त्र से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं |मार्च में कोविड लॉक डाउन के बाद शेयर बाजार ने बड़ा गोता लगाया था पर अब शेयर बाजार की बढ़त ने ये उम्मीद जगाई है कि कोविड महामारी से क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्था उम्मीद से जल्दी पटरी पर लौट आयेगी |वित्त के क्षेत्र में शामिल सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर न केवल अपने चैनल से पैसे बना रहे हैं बल्कि इस क्षेत्र में अग्रणी कम्पनियों से करार कर उन्हें भी प्रोमोट कर रहे हैं |एक तरफ ऐसे चैनल जहाँ लोगों को अर्थ और वित्त के क्षेत्र में जागरूक कर रहे हैं जो नए लोगों को शेयर मार्केट में जोड़ने और उनका भरोसा जीतने का बड़ा जरिया हो सकता है,लेकिन तस्वीर का एक दूसरा पहलु भी है जिस तरह देश में इंटरनेट का विस्तार हो रहा है उसी रफ़्तार से साईबर अपराध भी बढ़ रहे हैं दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक लॉक डाउन के दौरान सिर्फ दिल्ली में ही साइबर अपराधों में नब्बे प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है जिसमें वित्तीय अपराधों का आंकडा कुल अपराध का पचास प्रतिशत था |एक कंटेंट शैली के रूप में वित्त और अर्थ जैसे विषयों का इंटरनेट पर उभरना देश के आर्थिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत है लेकिन शेयर बाजार का इतिहास स्कैम और धोखाधड़ी से भरा हुआ रहा है| जिससे नए निवेशक एक निवेश के रूप में उसे एक बेहतर विकल्प के रूप में नहीं देखते वहीं इंटरनेट पर होने वाले वित्तीय लेन देन भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माने जाते हैं |वहीं रूपये पैसे के मामले में भारतीय एक सुरक्षित निवेश की तलाश में रहते हैं और शेयर मार्केट अनिश्चिताओं से भरा हुआ है |एक अनाम कंटेंट क्रियेटर की राय वित्त और क्षेत्र की बारीकियों को समझने में दर्शकों की मदद भले ही कर सकती हो पर उसकी राय से किया गया शेयर बाजार में किया गया निवेश हमेशा अच्छा भुगतान देगा ऐसा जरुरी नहीं |तो भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि अर्थ-वित्त और इंटरनेट की यह जुगलबंदी क्या आम निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा शेयर बाजार से जुड़ने के लिए प्रेरित कर पायेगी या यह दौर थोड़े समय बाद थम जाएगा |किसी भी परिस्थिति में यह तो तय है कि इंटरनेट के कंटेंट क्रियेटर संगीत कॉमेडी और समाचार जैसे प्रचलित विषयों से इतर सोच रहे हैं और एक दर्शक के रूप में इंटरनेट पर ऐसे नए विषय दर्शकों को इंटरनेट पर देखने के ज्यादा विकल्प सुझाते रहेंगे |
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