देश की संस्कृतिक विविधता के हिसाब से सभी प्रचलित डेटिंग एप्स अंग्रेजी भाषा को ही प्रमुखता देते हैं , टिंडर ने हिन्दी भाषा में भी अपनी सेवा देनी शुरू कर दी है पर अभी भी अंग्रेज़ी का बोलबाला है जबकि देश की मात्र बारह प्रतिशत जनसंख्या ही अंग्रजी बोलती है |जानकार मानते हैं कि भारत में भाषा की समस्या अब उतनी गंभीर डेटिंग एप के मामले में उतनी गंभीर नहीं क्योंकि लोग मोटे तौर पर यह जानते हैं कि एप चलता कैसे है जब संदेशों के आदान प्रदान की बात आती है तो लोग हिन्दी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को रोमन में लिख लेते हैं |
इन एप्स ने अपने भारतीय संस्करणों में भारतीयता को भी अपनाया है | सम्बन्ध बनाने में शादी की ही प्रधानता रही है और
इसीलिये भारत में शादियाँ कराने वाली वेबसाईट्स तेजी से उभरी |देश की सबसे बड़ी शादी कराने वाली वेबसाईट
मेट्रेमोनी डॉट कॉम के देश में पांच मिलीयन सक्रीय उपभोक्ता हैं | डेटिंग पूरी तरह से पश्चिमी अवधारणा है और जब ये
विदेशी वेबसाईट्स भारत आयीं तो इन्हें दिक्कतों का सामना करना पडा इस स्थिति का
मुकाबला करने में इन्होने अपनी रणनीति बदली जिसमें डेटिंग के सहारे ऐसे गंभीर
सम्बन्ध विकसित करने पर जोर दिया गया जो शादी तक पहुंचें मतलब ऐसे एप्स अपनी
एप्रोच में न तो डेटिंग जैसे कैजुवल रहें और न ही शादी कराने वाली वेबसाईट्स जैसे
कठोर |
सांस्कृतिक जतिलाताओं के कारण देश में डेटिंग एप्स को ज्यादा मान्यता
नहीं दी जाती है पर जब छोटे शहरों में पले बढ़े लोग अपने शहरों से बाहर निकले तो ये एप उनकी पसंद में शामिल हो
गए पर वे अपने शहरों में इनका इस्तेमाल ज्यादा नहीं करते रहे हैं |विडम्बना यह हुई कि जब देश में लॉक डाउन लगा तो
ये अलग –अलग जगहों पर बिखरे हुए लोग अपने घर
लौट आये |डेटिंग एप ट्रूली मैडली जो साल 2014 में बना उसके रेवन्यू में साल 2020 में दस गुना बढ़ोत्तरी उन शहरों से हुई जो देश के
मेट्रोपोलिटन शहर नहीं थे और उसके कुल रेवन्यू में साल 2019 के मुकाबले चार गुना बढ़ोत्तरी हुई |
तथ्य यह भी कि डेटिंग एप व्यवसाय में इस बढ़ोत्तरी का एक बड़ा कारण रिवर्स माइग्रेशन है
जो लॉक डाउन के कारण हुआ पर इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि इन एप्स का कारोबार
फ़ैल रहा है |सामाजिक रूप से देखें, तो जहां पहले शादी के केंद्र में लड़का और लड़की का
परिवार रहा करता था, अब वह धुरी खिसककर लड़के व लड़की की
इच्छा पर केंद्रित होती दिखती है। वर या वधू तलाशने का काम अब मैट्रीमोनिअल साइट व
ऑनलाइन डेटिंग साइट कर रही हैं और वह भी बगैर किसी बिचौलिये के। वैसे यह कहना अभी
जल्दबाजी होगी कि इससे पारदर्शिता आई है। इन वेबसाइटों पर आप सुविधाजनक रूप से
प्रोफाइल सेट कर सकते हैं। अपनी तस्वीर डाल सकते हैं तथा अपनी पसंद से उन प्रोफाइल
को चेक करके कदम बढ़ा सकते हैं। कई वेबसाइटों में चैटिंग की सुविधा है, जिसमें ऑनलाइन चैटिंग कर लड़का या लड़की एक-दूसरे
को समझ सकते हैं।
लेकिन कुछ और तथ्यों पर गौर किया जाना भी जरूरी है। इन एप्स से बने रिश्तों में धोखाधड़ी के कई मामले भी सामने आए हैं। दी
गई जानकारी कितनी सही है, इसे जांचने का
कोई तरीका ये एप्स उपलब्ध नहीं कराते। उनकी जिम्मेदारी लड़का-लड़की को मिलाने तक
सीमित रहती है। हालांकि, झूठ बोलकर शादी
कर लेने में नया कुछ नहीं, पर इंटरनेट एप्स
से बने रिश्तों के पीछे कोई सामजिक दबाव
नहीं काम करता और गड़बड़ी की स्थिति में आप किसी मध्यस्थ को दोष देने की स्थिति में
भी नहीं होते। और न कोई ऐसा होता है, जो बिगड़ी बात को
पटरी पर लाने में मदद करे।