Wednesday, January 19, 2022

एक लाईक और वोट का फर्क


 ठण्ड के इस   मौसम में  देश के पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा ने राजनीति के  मौसम में गर्मी बढ़ा दी है. कोविड के कारण जब राजनीतिक रैलियों पर रोक है|ऐसे में डिजीटल मीडिया जंग का नया मैदान बना है.जहाँ हमारी आपकी सोशल मीडिया फीड राजनीतिक नारों से भरी हुई है.  ऐसे में हम या आप कोई  भी राजनीति  से बच नहीं सकता.वैसे सोशल मीडिया की भी अपनी एक राजनीति है. जो हमारे देश के लोकतंत्र की राजनीति से किसी तरह अलग नहीं है.वैसे आपका भी किसी न किसी सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर एक  एकाउंट होगा.  आपने कभी गौर किया कि आपकी फीड पर क्या होता हैवैसे भी गूगल  की इस दुनिया में ज्ञान यूँ ही कोई लेना नहीं चाहता.जैसे फेसबुक दोस्त कई तरह के होते उसी तरह वोटर भी कई तरह के होते हैं.कुछ ऐसे जो सोचते हैं कि हमारे एक वोट से क्या होता हैसरकार किसी की भी बने वो किसी को भी वोट देते हैं.हमारे कुछ फेसबुक दोस्त में से भी कुछ ऐसे ही  प्रोफेशनल लाइकर्स होते हैं.जो हर एक चीज को लाईक करेंगे. आप कुछ भी शेयर कीजिये. वो आयेंगे और लाईक करके चले जायेंगेआप भी ऐसे दोस्तों को धीरे धीरे गंभीरता से  लेना छोड़ देते हैं,और नए लाइकर्स पर ध्यान देना शुरू कर देते हैंपर ये प्रोफेशनल लाइकर्स आपकी फीड पर लाईक बढ़ा देते हैं. भले ही आपके द्वारा शेयर किया कंटेंट इस लायक न हो.  तो वोट करते वक्त सिलेक्टिव बनिए क्योंकि  यूँ ही किसी को भी वोट देने से जैसे बेकार फीड हिट हो जाती हैउसी तरह गलत आदमी चुनाव जीत जाता हैतो दोस्त  आपके एक लाईक और एक वोट से फर्क पड़ता है.वोटिंग के दिन कुछ लोग छुट्टी मनाते हैं और वोट देने नहीं जातेअब जरा अपने फेसबुक के मित्रों को याद करिए उनमें से कुछ ऐसे होंगे .जो सबकी फीड पर नजर तो रखते हैं पर न तो लाईक करते हैं और न ही कमेन्टऐसे ही लोग वोटिंग के दिन वोट नहीं करतेसब कुछ जानते समझते हुए भी वे अपनी जिम्मेदारियां नहीं समझतेअगर आपने  फेसबुक एकाउंट बनाया है तो कुछ एक्टीविटी भी करिए, और वोटिंग लिस्ट में आपका नाम है तो वोट देने जरुर जाइए.बात धीरे फ़ैल रही है कि छोटी -छोटी बातें कितना बड़ा असर रखती हैं.

आपने गौर किया होगा जब आप कुछ शेयर करते हैं तो कुछ लोग सार्वजनिक रूप से  उस स्टेटस अपडेट को न तो लाईक करते हैं न कमेन्ट. पर मेसेज बॉक्स में आ के बड़ी मीठी -मीठी बातें करते हैं. इधर आपकी चैट की बत्ती जली नहीं कि इनका हेलो हाय शुरू हो गया.आप भी जल्दी जान जाते हैं कि इनकी मीठी -मीठी बातों का मकसद आपसे कोई काम निकलवाना होता पर ये सार्वजनिक रूप से लोगों को  बताना नहीं चाहते कि वो आपसे जुड़े हुए हैं .आप खुद सोचिये आप क्या इतने फ्री हैं कि यूँ ही किसी से चैट करते हैं और अगर करते हैं तो आप इमोशनली कमज़ोर हैं. ऐसे लोग उन नेताओं की तरह होते हैं. जो डबल फेस्ड होते हैं इन्हें आपसे तब तक मतलब होता है जब तक चुनाव नहीं होते, उसके बाद छू मंतर. तो किसी भी राजनीतिक दल  के  झूठे वायदों पर यूँ ही आँख मूँद कर भरोसा मत कीजिये. थोडा अपनी अक्ल लगाइए क्योंकि  बात करना और अपनी बात पर खरा उतरना दो अलग अलग बातें हैं. जब आप सोशल नेट्वर्किंग साईट्स पर समझदारी दिखाते हैं तो जब बात देश और गवर्नेन्स की हो तो आपको समझदार होना ही पड़ेगा.तो अब फैसला आप कीजिये कि आप कैसे वोटर हैं.

प्रभात खबर में 19/01/2022 को प्रकाशित 

 

 

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