वैसे केंद्र सरकार ने ऐसे डीप फेक वीडियो पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। केंद्र सरकार ने एक्स, इंस्टाग्राम और फेसबुक समेत सभी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों से आइटी नियमों के तहत शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर छेड़छाड़ की गई तस्वीरों को हटाने के लिए कहा है। यह सही है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आगमन ने पत्रकारिता जगत में काफी उम्मीद बढ़ाई थी कि इससे समाचारों का वितरण एक नई पीढ़ी तक पहुंचेगा और पत्रकारिता जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हो सकता है। उम्मीद तो यह भी जताई जा रही थी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से फेक न्यूज और मिस इन्फोर्मेशन के प्रसार को रोकने का एक प्रभावी तरीका भी मिल जाएगा, परंतु व्यवहार में इसके उलट ही हो रहा है। एक तरफ प्रौद्योगिकी ने आर्थिक और सामाजिक विकास किया है तो दूसरी फेक न्यूज में काफी वृद्धि हुई है।
शक्तिशाली औजार के रूप में उभरा इंटरनेट : लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अड़चन पैदा करने में और चारित्रिक हत्या करने में इंटरनेट एक शक्तिशाली औजार के रूप में उभरा है। फेक न्यूज की समस्या को डीप फेक ने और ज्यादा गंभीर बना दिया है। असल में डीप फेक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल के जरिये किसी वीडियो क्लिप या फोटो पर किसी और व्यक्ति का चेहरा लगाने का चलन तेजी से बढ़ा है। इसके माध्यम से कृत्रिम तरीके से ऐसे क्लिप या फोटो विकसित कर लिए जा रहे हैं जो देखने में बिल्कुल वास्तविक लगते हैं। 'डीप फेक' एक बिल्कुल अलग तरह की समस्या है। इसमें वीडियो सही होता है, पर तकनीक से चेहरे, वातावरण या असली आडियो को बदल दिया जाता है और देखने वाले को इसका बिलकुल पता नहीं लगता कि वह डीप फेक वीडियो देख रहा है। एक बार ऐसे वीडियो जब किसी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर आ जाते हैं तो उनकी प्रसार की गति बहुत तेज हो जाती है।
इंटरनेट पर ऐसे करोडों डीप फेक वीडियो मौजूद हैं। देश में डिजिटल साक्षरता बहुत कम है, लिहाजा डीप फेक वीडियो समस्या को गंभीर करते हैं। इससे बचाव के लिए केंद्र सरकार ने आइटी नियमों के उपबंध और इंटरनेट मीडिया कंपनियों के दायित्वों का हवाला देते हुए इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी के अनुसार, इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को उस सामग्री को हटाने या निष्क्रिय करने के लिए सभी उपाय करने चाहिए, जो फेक हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि इंटरनेट मीडिया मध्यस्थों को नियमों और विनियमों, गोपनीयता नीति या उपयोगकर्ता समझौते को सुनिश्चित करने सहित उचित नियमों का पालन करना चाहिए और उपयोगकर्ताओं को किसी अन्य व्यक्ति का प्रतिरूपण करने वाली किसी भी सामग्री को पोस्ट नहीं करने के लिए सूचित करना चाहिए।
डीप फेक, गलत सूचना का नवीनतम और उससे भी अधिक खतरनाक स्वरूप है। लिहाजा इंटरनेट मीडिया को इससे निपटने की जरूरत है। आइटी एक्ट 2000 के वर्ग 66 ई के तहत बिना अनुमति किसी की फोटो और वीडियो बनाने पर तीन साल की सजा और दो लाख रुपये जुर्माना का प्रविधान है। इस नियम के तहत गोपनीयता के उल्लंघन के दोषी पाए जाने पर कार्रवाई का नियम है। इसमें किसी की व्यक्तिगत फोटो बिना अनुमति कैप्चर करने और उसे शेयर करने के आरोप के तहत कार्रवाई हो सकती है। आइटी एक्ट सेक्शन 67 के तहत साफ्टवेयर या किसी अन्य इलेक्ट्रानिक तरीके से किसी की अश्लील फोटो बनाने और उसे शेयर करने पर तीन साल जेल और पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसा बार-बार करने पर अपराधी को पांच साल की जेल और दस लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। डीपफेक के मामले में आइपीसी की धारा 66सी, 66ई और 67 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसमें आइपीसी की धारा 153ए और 295ए के तहत मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जा सकती है।
दैनिक जागरण में 17/11/2023 को प्रकाशित
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