Friday, July 16, 2010

ख़ुशी हो या गम याद आये तुम............


 मैं कभी कभी ही खुश होता हूँ और जब खुश होता हूँ तो गाने सुनता हूँ  और जब दुखी होता हूँ तो भी गाने सुनता हूँ आप भी सोच रहे होंगे की ये क्या गड़बड़झाला है मित्रों जिन्दगी में कोई भी प्रोब्लम हो म्युसिक एक ऐसी मेडिसिन है जो सारे स्ट्रेस और टेंशन को भगाने के लिए काफी है पर कभी कभी ऐसा होता है जब सिचुएसन पर हमारा जोर नहीं रहता और कुछ भी अच्छा नहीं होता तब एक और बस एक ही चीज़ याद आती है भगवान् गोड, अल्लाह आप कुछ भी नाम लें मतलब एक है एक सुपर नेचुरल पवार जो हमारा आखिरी सहारा है मै तो फ़िल्मी आदमी हूँ तो फिल्म के डाँयलाग की भाषा में इसे दवा की नहीं दुआ की जरुरत है दुआ मतलब उपरवाला अब सोचिये अगर म्युसिक और गोड को जोड़ दिया जाए तो एक ऐसी मेडिसिन तैयार होगी जिसका कोई मुकाबला नहीं होगा बात सीधी से है पर है थोड़ी टेढ़ी कहते हैं संगीत कि कोई भाषा नहीं होती और आप उसे किसी  भाषा में बाँध भी नहीं सकते अब आप "वाका वाका" को ही ले लीजिये इस शब्द का मतलब भले ही हम न समझें पर गुनगुना तो सारी दुनिया ही रही है  पर जब आप बहुत परेशान और निराश हों तब एक ही गाना याद आता है मुझे जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों मैं नहीं कहता किताबों में लिखा है यारों (लावारिस ) ,निराशा भी अक्सर एक मोटिवेटर का काम करती है जब उसे ऊपर वाले यानि गोड, भगवान् या अल्लाह का सहारा मिल जाता है तो बात ये है कि हमारे फ़िल्मी गाने भी एक बड़ा जरिया हैं.                  भगवान् से हमारा सम्बन्ध स्थापित करने का आप न या माने पर ये सच है, जैसे धर्म भले ही अलग अलग हों सबका सन्देश एक ही है प्यार , मानवता , भाईचारा वैसे ही हमरे फ़िल्में गाने किसी एक मज़हब या धर्म की बात नहीं करते नहीं भरोसा हो रहा हो तो बानगी देख लीजिये "अल्लाह तेरो नाम इश्वर तेरो नाम "(हमदोनों ),जयरघुनन्दनजयसियाराम(घराना),वो मसीहा आया है (क्रोधी ) या फिर एक ओंकार सतनाम (रंग दे बसन्ती ). गाने की नज़र से देखें तो ये सिर्फ गाने हैं ख़ास बात ये है कि ये भारत के हर रिलिजन  की बात कर रहे हैं  कोई छोटा है  कोई बड़ा   थोडा और आगे बढ़ें तो ये गाने उसी फ़िल्मी गाने को आगे बढ़ाते हैं तू हिन्दू बनेगा  मुसलमान बनेगाइंसान की औलाद है इंसान बनेगा .वैसे एक बात और बताते चलूँ सूफी संगीत का जन्म ही संगीत और उस रूहानी ताकत के मिलन से हुआ जिसे हम भगवान कहते हैं और जब आप इसको सुनते हैं लगता है ऊपर वाला हमारे सामने है अगर भरोसा  हो रहा तो  ये गाना सुनियेगा अल्लाह के बन्दे हंस दे जो हो कल फिर आएगा  हिंदी फिल्म उद्योग केसंगीतकार अपने गीतों में सूफी संगीत की मधुरता बुन रहे हैं। अल्लाह के बंदेपिया हाजी अलीख्वाजा मेरे ख्वाजाअर्जियां.. जैसे सूफी संगीत में पगे गीतों की सूची बहुत लंबी है.तोजीवन की इन राहों पर अगर आप चलते चलते थक जाएँ तो थोडा रुक कर अगर इन गानों का साथी बन जाया जाए तो मंजिल कुछ करीब दिखने लगेगी और सफ़र की थकनकम होगी लेकिन एक बात मत भूलियेगा जब भी पर्थारना कीजिये पुरे विश्वास  से कीजिये  तो प्यार बाँटते चलिए और निराशाओं को  अपने ऊपर हावी  मत होने दीजिये .कलतो बिलकुल आएगा आशाओं  का उम्मीदों का इसलिए अगर आज थोड़ी मुश्किल है थोडा धीरज रख लीजिये क्योंकि कोई है जो आपके साथ है आप उसे किसी भी नाम से बुलासकते हैं.
आई नेक्स्ट १६ जुलाई    

17 comments:

Anonymous said...

kya kihte hai sir aap aap ki kalam ko manish dubey ka salam sir kuch apne goodh mujhe bhi dede jaise durdarsita ka such me aap ko tahe dil se salam

Dr. Amit said...

sir ji aapne to kamaal he kr diya. really agar GOD & MUSIC jud jaaye to fir khne. thanx for nice Quote

Alpana Verma said...

बहुत अच्छी सोच और सन्देश लिए हुए पोस्ट है.
संगीत कहीं का भी हो ,श्रवणीय है तो जीवन में रंग भरता ही है ..

ZEAL said...

sundar post !

Anonymous said...

सर जी, बहुत ही सुन्दर लेख है.वास्तव में हम सब कि जिंदगी में संगीत का अहम रोल होता है.क्योकि अगर संगीत को हम सब के जीवन से निकाल दिया जाय तो पूरा जीवन ही नीरस हो जायेगा.संगीत की कोई भाषा नहीं होती और आप उसे बाँध नहीं सकते.ये पंक्ति मुझे बहुत ही अच्छी लगी. वास्तव में गाने के शब्द चाहे जो भी हम सभी गुनगुनाये बिना नहीं रह सकते.

Anonymous said...

सर जी, बहुत ही सुन्दर लेख है.वास्तव में हम सब कि जिंदगी में संगीत का अहम रोल होता है.क्योकि अगर संगीत को हम सब के जीवन से निकाल दिया जाय तो पूरा जीवन ही नीरस हो जायेगा.संगीत की कोई भाषा नहीं होती और आप उसे बाँध नहीं सकते.ये पंक्ति मुझे बहुत ही अच्छी लगी. वास्तव में गाने के शब्द चाहे जो भी हम सभी गुनगुनाये बिना नहीं रह सकते.

Anonymous said...

bahut khub

आग़ाज़.....नयी कलम से... said...

hmesa ki tarah aisa lga ki hum aapka blog nai padh rhe balki aapse bat kr rhe hai....thank u sir...

Anonymous said...

सर कैसे हैं आप...काफी दिनों के बाद मेरा ब्लाग पर आना हुआ...आया तो आपका संदेश मिला...कैसे हैं आप...अपना नंबर भी दीजिएगा...मेरा मोबाइल नंबर - 09873605356

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

जीवन और संगीत का बहुत पुराना नाता है यही कारण है कि व्यक्ति सुख में भी औद दु:ख में भी संगीत के करीब चला जाता है।
आपके ब्लॉग का पुराना फॉलोअर होने के नाते एक रिक्वेस्ट है कि निरंतरना बनाए रखें, अन्यथा पाठकों को निराशा होती है।

AAGAZ.. said...

संगीत की साधना और भगवान की आराधना, दोनों ही जीवन को नयी दिशा देती हैं.. कभी कभी निराशा होने पर लोग भगवान को भी मानने से इंकार कर देते हैं पर उसी निराशा में भगवान पर विश्वास हो और संगीत का साथ हो तो सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं..

virendra kumar veer said...

sahi kaha sir gane sress aur tenson bhagane ki liye kafi hai.khusi ho ya gum dost saat ho to sab accha hi ho jata hai aur kisi bhagwan ki jarurat nahi padti hai. hum aksar koi bhi galat kam ho to bhagwan ke uppar dal dete hain aur acha ho to bhi phir insaan ki kya jarurat hai kisi kam me.bhagwan ko harchhej me shamil karna ek bussness ho gaya hai har admi apne matlab ke liye hi inhe yaad karta hai jo sabse bada bhagwan ghar pe hai usse koi yaad nahi karta .waise bhi sangeet dil ko sukun deta hai aur har tensan ko mitane ki koshis karte hain.sangeet jeevan me khusiya hi lata hai agar ye na ho to jindagi bahut hi neeras lagegi. iski koi bhasaa nahi hoti aur nahi isse koi bandha kar rakh sakta hai har insaan kuch na kuch gungunta hi rahta o cahe dukh me ya khusi me gungunaye bina reh hi nahi sakta.khud par trust ho aur sangget ka sat jidagi ko behtar bana deti hai.

CHANDNI GULATI said...

behtarin write up...bahut si yaadein taaza hui............

sana said...

For me, singing sad songs often has a way of healing a situation. It gets the hurt out in the open into the light, out of the darkness.

ARUSHIVERMA said...

Music generally changes moods and intrests of a person and for some peoples music is nothing else then their life.

Unknown said...

सही कहा आपने , संगीत ज़िन्दगी में रंग भरता है । इसके बिना ज़िन्दगी बेसुरी है । ख़ुशी हो या गम , संगीत सुकून देता है । मुझे खुद म्यूजिक से बेहद लगाव है । ईश्वर ने हमें नेचुरल संगीत से नवाज़ा है । जब हम चिड़ियों की चहचहाहट , पत्तो की सरसराहट , लहरो और झरनों के संगीतमय वेग को सुनते हैं तो बरबस ही उनकी तरफ आकर्षित हो जाते है ।

Sudhanshuthakur said...

संगीत लोगों को संवेदना के स्तर पर एक गहरी समझ देकर उन्हें बेहतर दिशा देने का काम करता है और यही चीजे जब निज से व्यापक होता है तो दुनिया भी बदल सकती है. ये संगीत ही है जो आदि को अंत से जोड़कर हमारे हृदय का साहित्य बन जाता है, हमें उकसाता भी है और शांत भी करता है, आत्मा को स्नेह से भर देता है, मन को गहन अन्धकार से लेकर अनन्त ऊंचाइयों तक ले जाता है.. हम घुटन भरे अंधेरों मे डूब जाते है....... फिर उम्मीद से भर जाते है ..अच्छा महसूस करते हैं....

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