शहरी चकाचौंध से प्रभावित ग्रामीणों में भी उठने बैठने से लेकर खान पान तक की अदा बदल गई है। शहर की बदलती तस्वीर को देख ग्रामीणों ने भी अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी पुरानी परंपराओं को छोड़ दिया है। मंहगाई के इस दौर में देहातों के लोग रोजी रोटी के लिए महानगरों से प्रगाढ़ सम्बंध बना चुके हैं यही कारण है कि लोग गंवई संस्कृति खान पान रहन सहन को छोड़ शहरी सभ्यता का अनुसरण तेजी से करने लगे हैं ।
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शहरी चकाचौंध से प्रभावित ग्रामीणों में भी उठने बैठने से लेकर खान पान तक की अदा बदल गई है। शहर की बदलती तस्वीर को देख ग्रामीणों ने भी अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी पुरानी परंपराओं को छोड़ दिया है। मंहगाई के इस दौर में देहातों के लोग रोजी रोटी के लिए महानगरों से प्रगाढ़ सम्बंध बना चुके हैं यही कारण है कि लोग गंवई संस्कृति खान पान रहन सहन को छोड़ शहरी सभ्यता का अनुसरण तेजी से करने लगे हैं ।
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