Tuesday, July 16, 2013

जिन्हें जल्दी थी वो चले गए

अच्छा अगर आपको फेसबुक पर बार बार पोक करे या मेसेज बॉक्स में जा जा कर आपको अपने स्टेटस अपडेट को लाईक या कमेन्ट करने को कहे तोआपको कैसा लगेगा ज़ाहिर है बुरा ही लगेगा पर वर्चुअल वर्ल्ड से अलग रीयल वर्ल्ड में ऐसा डेली हो तो तब कैसा होगा आपका रिएक्शन ?घर से बाहर जबबच्चा पहली बार स्कूल जाने के लिए निकलता है तो पढ़ाई से पहले उसे यही  बात सिखाई जाती है कि शोर मत करो पर ये बड़ी बात हम अपने छोटे से जीवनमें नहीं सीख पाते हैं.रोड पर होर्न प्लीज का मतलब ये नहीं है कि होर्न आपके मनोरंजन का साधन है जब जी चाहे बजाते रहो जब तक की सामने वाला रास्तेसे ना हट  जाए पर वो तो तभी हटेगा जब उसे आगे जाने का रास्ता मिलेगा पर इतना पेशंस कहाँ है.भाई मंजिल तक तो सभी को पहुंचना है इसीलिये तोसफर में निकले हैं पर आपको ऐसा नहीं लगता है कि बचपने में शोर ना मचाने की सीख का पालन हम कभी नहीं करते यानि जो जितना शोर मचायेगा वोउतना बड़ा माना जाएगा. अभी हाल में आयी फिल्म आशिकी टू का गाना बड़ा हिट हुआ सुन रहा है तू रो रहा हूँ मैंआप भी सोच रहे होंगे कि सुबह सुबह मैंआशिकी क्यूँ कर रहा हूँ अरे नहीं भाई मैं तो बता रहा हूँ कि एक जमाना था जब लोग अकेले में रोते थे वो गजल याद है ना आपको चुपके चुपके रात दिनआंसू बहाना याद हैजिससे दूसरे लोग परेशान ना हों और शोर भी ना हो ,पर रोड हो या पब जब तक आवाज शोर ना बन जाए तब तक बजाओ,पर कभीकभी शेर को सवा शेर भी मिल जाता है तो ऐसे लोगों के कान के नीचे भी बजा दिया जाता है नहीं समझे अरे स्कूल में ज्यादा शोर करने पर टीचर क्या करते थे हमसबके साथ.सवाल ये है कि ऐसी नौबत ही क्यूँ आये हम एक सिविलाईज्ड सोसायटी में रहते हैं .हमारे देश में होर्न बजाना एक सनक हैसमस्या ये है कि हम में से बहुत कम लोग टू या फॉर व्हीलर चलाने के मैनर्स जानते हैं या जानने की कोशिश करते हैं.ड्राइविंग स्कूल इसका सल्यूशन होसकते हैं पर मुद्दा ये है कि जब हम बचपने की पहली सीख शोर मत करो अपने जीवन में नहीं उतार पाते हैं तो ड्राइविंग स्कूल हमें क्या सुधार पायेंगे.यूँ कि भाषण देने की आदत तो हमारी है नहीं और फ्री का ज्ञान कोई लेना नहीं चाहता तो बैक टू दा बेसिक्स ऐसा कोई भी काम ना करें जो आपको पसंद ना हो.रात की तन्हाई और सुबह का सन्नाटा हमें इसीलिये पसंद आता  है क्यूंकि उस वक्त कोई शोर नहीं होता.सिंपल तो गाड़ी चलाते वक्त इतना ध्यानरखना बिलावजह होर्न बजाना शोर पैदा करता है और शोर किसी को पसंद नहीं होता है. आपको पता ही होगा ज्यादातर रोड एक्सीडेंट जल्दबाजी में ही होते हैंआपने ट्रक के पीछे वो वाक्य तो पढ़ा ही होगा जिन्हें जल्दी थी वो चले गए”, पर आपको तो जाना नहीं है बल्कि मंजिल पर सुरक्षित स्वस्थ पहुंचना है.मैंने अपनी कई विदेश यात्राओं में इस बात को महसूस किया है कि वहां गाड़ियों की संख्या ज्यादा होने के बावजूद होर्न का शोर कम होता है या न के बराबर होता है पर हमारे देश में उतनी गाडियां नहीं हैं पर फिर भी होर्न का शोर ज्यादा है.सिविक सेन्स और सेल्फ डिस्पलीन कानून से नहीं पैदा किया जा सकता है.साउंड पाल्यूशन कई तरह की हेल्थ रिलेटेड प्रोब्लम पैदा भी करता है जिसके लिए  कुछ हद  तक हमारी जबरदस्ती होर्न बजाने की आदत जिम्मेदार होती है.चेंज की शुरुवात कहीं ना कहीं से करनी ही होगी.वैसे भी ज्यादा टोंका टाकी किसी को पसंद नहीं होती तो खुद सम्हलिए.कुतर्क का कोई मतलब नहीं ज्यादातर होर्न बजाने के पीछे पेशंस का ना होना और डिसप्लीन की कमी  जैसे कारण ही होते हैं.मैं समझ रहा हूँ आप सब को ऑफिस स्कूल जाने की देर हो रही है और आपकी गाड़ी इन्तजार में है जाइए बिलकुल जाइए पर ध्यान रहे आज से जबरदस्ती होर्न नहीं बजायेंगे और ये बात आपके कान में लगातार बजती रहनी चाहिए.
आई नेक्स्ट में 16/07/13 को प्रकाशित

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