Tuesday, January 28, 2014

खूबसूरत यादों का एल्बम

बहुत ठण्ड है.मुझे पता है कि ऐसे मौसम को आप भी एन्जॉय कर रहे होंगे.सारी दुनिया में ठण्ड की चर्चा है,कोहरा,धुंध और ढेर सारी ठण्ड,यूँ तो ऐसे भी जाड़े का मौसम बहुत खास होता है खाने पीने से लेकर पहनने और घूमने का असली लुत्फ़ तो जाड़े में ही आता है. दिन छोटे और रातें बड़ी हों तो कहने ही क्या यानि मौजा ही मौजा.ऐसे ही एक शाम मैं  अपनी रजाई में दुबके हुए जाड़े की अपनी पुरानी  यादों में खोया था और फिर मुझे कुछ मिल गया आपको ज्यादा दिमाग लगाने की जरुरत नहीं.
 मुझे अपने लेख का टॉपिक मिल गया.हाँ भाई जाड़े का हमारे जीवन से और गहरा  रिश्ता है.जी हाँ वो रिश्ता है यादों का,यूँ तो यादों का कोई मौसम नहीं होता पर जाड़े के मौसम में जब माहौल सर्दी का हो तो यादें जी उठती हैं. आप मेरी बात पर आँख मूँद कर भरोसा मत कीजिये बल्कि साउथ हैम्पटन विश्वविद्यालय द्वारा कराई गई रिसर्च पर ध्यान दीजिए जो कहती है कि दिल को गर्माहट देने वाली यादें हमें ठंड सहने की क्षमता देती हैं और हम शारीरिक रूप से गर्म महसूस करते हैं.अब समझे आप कि जाड़ा दूसरे मौसम से क्यूँ अलग है.वैसे भी आजकल की फास्ट लाईफ में किसी के पास इतनी फुर्सत कहाँ है कि थोडा थम कर सुस्ताया जाए और जिंदगी का लुत्फ़ लिया जाए बोले तो रीयल हैंगआउटहम वर्च्युल होते जा रहे हैं
पर जाड़े का ये मौसम हमें  रुक कर  सोचने के लिए  मजबूर कर ही देता है.वैसे भी यादों के बगैर जीवन का कोई मतलब ही नहीं होगा.इंसान एक सोशल एनीमल है जो बगैर रिश्ते बनाये रह ही नहीं सकता और जब रिश्ते बनेंगे तो यादें भी होंगी.बगैर नींव के मकान नहीं बन सकता उसी तरह से सिर्फ रिश्ते नाम के लिए नहीं बनाये जाते बल्कि एहसास  के लिए बनाये जाते हैं वो एहसास ही तो है जो किसी आम से रिश्ते को ख़ास बना देता है. क्या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं जिसके पास यादों का कोई खज़ाना न हो आप भी सोचिये जरा कि जाड़े की सुबह,दोपहर और शाम से हम सबकी कितनी सुहानी यादें जुडी हैं. वो कोहरे में डूबी अलसाई सुबह हो जब बिस्तर छोड़ने का मन नहीं करता या गुनगुनी धूप में नहाई दोपहर जिसकी याद अभी तक आपके दिल में ताज़ा है या फिर वो सुहानी शाम जब आप पहली बार किसी से मिले थे.मौसम में भले ही ठंडक थी पर दिल किसी के साथ के एहसास से दहक रहे थे.आपकी यादें भले ही मेरी यादों से अलग हों पर उनका एहसास सबको एक सा ही होता है क्यूंकि जो बीत जाता है वो बीत ही जाता है.बीता वक्त तो अब लौट कर नहीं आ पायेगा पर बीती यादों को वो एहसास हमें अपने आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करेगा.कोई कितना भी अकेला क्यूँ हो न पर उसके साथ हमेशा कुछ बीती यादें जरुर होती हैं तो अगली बार फीलिंग लोनली का स्टेटस अपडेट करने से पहले जरा एक बार सोचियेगा क्या वाकई आप अकेले हैं?अरे आपके साथ कितनी यादें हैं उनमें से कुछ मीठी यादों को अपने आप से ही चुरा लीजिए और आँखें बंद कर खो जाइए अपनी दुनिया में विश्वास जानिये ये पल जिंदगी को बेहतर बनाने का हौसला देंगे और इन सब के लिए जाड़े के मौसम से भला और कुछ क्या हो सकता है.लोग घरों में बंद हों सड़कें वीरान सब तरफ सन्नाटा आप हों और आप की तन्हाई.वैसे भी बहुत दिन हुए जब आपने किसी याद को जी भर के नहीं जीया तो इस जाड़े को जीने के लिए किसी पुरानी याद को फिर से जीया जाए क्यूंकि ये जाड़ा भी हर जाड़े की तरह चला जाएगा आपको हर बार की तरह एक नयी याद देकर पर जाड़े की इन यादों से अपने तन मन को गरम रखियेगा क्यूंकि गर्मियां आते ही आपको जाड़े की याद आनी शुरू हो जायेगीतो इससे पहले ये सर्दियाँ आपकी यादों के एल्बम का हिस्सा बन जाएँ इनको जी लीजिए जिससे कल जब आप इन यादों को दुबारा जीयें तो अनायास ही आपके होंठों पर एक ऐसी  मीठी मुस्कान आ जाए जो किसी और की यादों का हिस्सा बन जाए अब देखिये न अगर मुझे पिछले जाड़े की याद न आयी होती तो भला क्या ये लेख आपकी यादों का हिस्सा बन पाता तो इस बार भी जाड़े में कुछ नयी यादें सहेजिये पर पुरानी यादों को धुंधला मत होने दीजिए.अपनी यादों पर पड़े कोहरे को हटाइए और जाड़े की उस सुहानी शाम का जश्न मनाइए जब आप सबसे ज्यादा खुश थे.
आई नेक्स्ट में 28/01/14को प्रकाशित 

3 comments:

Rohit Misra said...

यादों के धुंधले दर्पण में बीते प्रतिपल की छाया है, हर मोड़ पे मैंने जीवन के कुछ खोया है कुछ पाया है..सर यादों का यही फलसफा है. हमेशा की तरह उम्दा सोच और उम्दा प्रस्तुति.

Mukul said...

रोहित जी आभार

shalu awasthi said...

kal padhaa tha sir ye article.bohot hi badhiya sir..insan akela nhi hota kabhi, uski yadein hamesha uske saath rahti hai

पसंद आया हो तो