Saturday, August 1, 2015

ऐसे कैसे होगा बाल श्रम उन्मूलन


बाल श्रम की अवधारणा को सामान्य अर्थ में यूँ समझा जा सकता है जब कोई श्रम स्वतंत्रता के साथ खेलने,सीखने, पढ़ने  और विश्राम  के अवसर छीन ले, तब वह बचपन के खिलाफ हो जाता है। बाल श्रम (निषेध तथा विनियमन) अधिनियम 1986 के अनुसार कोई व्यक्ति जिसने चौदह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है उसे बच्चे के रूप में परिभाषित करता है लेकिन बाल श्रम निवारण अधिनियम में  सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन अगर लागू हो गया तो देश में बाल श्रम उन्मूलन को लेकर किये गए पिछले कई सालों  की मेहनत के बर्बाद हो जाने की आशंका है  और लाखों बाल मज़दूरों को पुनः शोषण और उत्पीडन के   दलदल में जाना होगा | यह संशोधन १४ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को घरेलु उद्योगों में काम करने की छूट दे देगा| इन घरेलु उद्योगों में कालीन बनाने के कारखाने, बीड़ी बनाने के कारखाने, नगों को तराशने वाले उपक्रम,ताला बनाने वाले कारखाने और माचिस की डिब्बी आदि बनाने वाले छोटे कारखाने शामिल हैं| यह नए नियम मनोरंजन उद्योग जैसे बॉलीवुड और खेलों पर भी लागू होंगे| भारत के श्रम एवं रोज़गार मंत्री श्री दत्तात्रेय ने अप्रैल की शुरुआत में इस संशोधन के बाबत बताया था| श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के अनुसार इस संशोधन के बाद बाल श्रम अधिनियम घरेलु उद्योग धंधों पर नहीं लागु होगा| इस नए संशोधन के बाद खेती और पशुपालन के काम में बच्चों को लगाया जा सकेगा| मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार इस संशोधन का उद्देश्य बच्चों में उद्यमिता की भावना का विकास करना है| मंत्रालय का यह मानना है कि यह संशोधन ख़ासकर के उन परिवारों के लिए फायदेमंदहोगा जो गरीबी में गुजर बसर करने को मजबूर हैं| उल्लेखनीय है कि यह नया संशोधन शिक्षा के अधिकार की मूल भावना के बिलकुल विपरीत है| शिक्षा के अधिकार क़ानून के अनुसार १४ वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा का  अधिकार दिया गया  है| संशोधित बाल श्रम क़ानून के लागू  होने के पश्चात शिक्षा के अधिकार कानून पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा| वर्ष २००१ में देश  में बाल मज़दूरों की संख्या १ करोड़ २६ लाख थी जो शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के लागू  होने के बाद  वर्ष २०१४ तक घटकर सिर्फ ४३ लाख रह गयी|इससे इस तथ्य को बल मिलता है कि शिक्षा का अधिकार कानून जमीनी स्तर पर कुछ बदलाव ला पाने में सक्षम हुआ है पर यह  प्रस्तावित संशोधन नोबल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और स्वामी अग्निवेश  जैसे समाजसेवियों की वर्षो की मेहनत पर पानी फेर देगा जो वर्षों से बाल श्रम के मुद्दे पर काम कर रहे है  और इस तथ्य को नाकारा नहीं जा सकता कि देश में बाल मज़दूरों की संख्या फिर से बढ़ने लगेगी।   इस कानून के आने सेबिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े राज्यों के बच्चे स्कूल से निकालकर घरेलु उद्योगों के नाम पर चल रही फैक्ट्रीयों  में झोंक दिए जाएंगे| इस क़ानून के आधार पर लड़िकयों को स्कूल न भेजकर घरेलु काम-काज में लगा दिया जाएगा| इस नए संशोधन से सबसे ज्यादानुकसान  दलित, मुस्लिम एवं अन्य पिछड़े तबकों से आने वाले बच्चों को होगा| अंततः यह कानून फैक्ट्री मालिकों के लिए ही फायदेमंद साबित होगा क्योंकि बच्चों को काम पैसे देकर ज्यादा देर तक काम करवाया जा सकता है और वे इस शोषण के खिलाफ आवाज़ भी नहीं उठा सकते हैं| यह संशोधन असंवैधानिक भी है क्योंकि यह सीधे-सीधे संसद की उपसमिति के उस सिफारिश के विरुद्ध भी है जिसमें बच्चों को घरेलु कामों में भी लगाना निषिद्ध किया गया है| यह संशोधन देश में निरक्षरता को बढ़ावा देगा और प्रधानमन्त्री  के कौशल विकास के सपने के भी खिलाफ होगा| बाल श्रम कानून होने के बावजूद भी हम गली मोह्हले की दुकानों और छोटी मोटी फैक्ट्रीयों में बच्चों को काम करते देख सकते हैं| इस संशोधनके आने से बच्चों को काम में लगाने वालों को खुली छूट मिल जाएगी क्योंकि इस बात का निर्णय करना कि कौन से काम घरेलु उद्योगों के अंतर्गत आएंगे और कौन से नहीं लगभग असंभव होगा|अतः बाल श्रम को रोकना लगभग असंभव हो जाएगा| श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष २००४ से लेकर वर्ष २०१४ के मध्य बाल श्रमकानून के अंतर्गत लगभग सिर्फ ११६८ लोगों को सजा अथवा जुर्माना हुआ| जिस देश में लाखों बाल मज़दूर हैं वहां पर इतने कम लोगों को सजा मिलना अपने आप में चिंता का विषय है| इस नए संशोधन के लागु होने के बाद इस संख्या के नगण्य हो जाने की आशंका है| कुल मिलकर इस नएसंशोधन के अस्तित्व में आ जाने से हमारे देश में बाल मज़दूरों की स्थिति और दयनीय हो जाएगी और जिन बच्चों के बल पर हम भविष्य कीमहाशक्ति बनने का सपना देख रहे हैं उनका खुद का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा|विकास के लिए प्रतिबद्ध सरकार का इस दिशा में आगे बढ़ना इस ओर इशारा करता है निवेश और बाज़ार के लिए अनुकूल वातावरण बनाते-बनाते कहीं बाल श्रम एक स्वीकार्य व्यवस्था न बन जाए!
अमर उजाला कॉम्पेक्ट में 01/08/15 को प्रकाशित 

8 comments:

Unknown said...

अच्छे लेख के लिए बधाई। सर, क्या मुझे आपका cont. no मिल सकता है।

Unknown said...

AAJ K YE BACHCHE IS DESH KE BHAWAISHY HAI AGR YE AISE JHOKE GYE KAM KI BHATTIYO ME TO
DESH TO NA JANE KIS BHATTI ME JAYEGA JAHA ISKO KOI PAHCHAAN B NA PAYEGA.IS LEKH K SATH HMARI ZIMMEDARI BHI BADH JATI HAI KI HM KISI CHOTU KO HOTEL YA DHABE PE KAAM KRTA HUA PAYE TO USE
IS DUNIYA SE BHR NIKALNE KI KOSHISH KRE USE PADHAYI KI AHMIYAT BTAYE.

Anonymous said...

Completly agree. Child labour should be banned completely. Children at the age of going to school and learning are working in factories and other places to earn their living. This is not a good sign for a country's development.

Unknown said...

Child Labour has always one of the most serious issues in our country and unfortunately we haven't been able to tackle it even after so many years. The problem is getting more and more complicated It is a vicious circle. So many families partially or completely depend on the income of the child ( or children). Stringent child labour laws will make their condition worse. But yes the proposed changes in the law have the potential to do more harm than good. The policies and laws should target the root cause of the problem (which i believe in most cases is poverty). The need of the hour is to break this cycle! Providing families with alternative ways to earn a living is perhaps as important as introducing strict child labour laws.

Unknown said...

kiya gaya naya sansodhan BAL SHRAM ko seedhe seedhe kanooni roop say badaaba de raha hai. is sansodhan mai abhi atyadhik sansodhan ke aavyaskta hai........

Unknown said...

But some times halat aise ho jate hi ki krna padta hi or isspe aapni prsnl choice honi chaiye na ki kisi ka order...

सूरज मीडिया said...

सरकार बाल श्रम की ओर ध्यान तो दे रही है,कानून भी बना रही है,तरह तरह से लोगों को जागरूक भी कर रही ,लेकिन मेरा मानना है कि सरकार के अलावा हम लोगो को भी इस पर सोचना चाहिए । तभी इसको पूरी तरह रोका जा सकता है।

Unknown said...

Shi h lekin sarkar etni waade karti h lekin hota kuch nhi har koi matlabi h pta nhi kab hoga in child labor free

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