लगभग हर क्षेत्र में अपनी धाक बना चुके स्मार्टफोन ने वीडियो कॉल से लेकर ऑनलाइन ख़रीददारी, मोबाइल बैंकिंग, चिकित्सा आदि क्षेत्रों के बाद अब आस्था के क्षेत्र में भी अपनी जगह बना ली है| वैसे भी स्मार्टफोन के मामले में भारत एक बड़ा और बढ़ता हुआ बाज़ार है| हर हाथ स्मार्टफोन वाली कहावत यहाँ सिद्ध होती प्रतीत हो रही है| ऐसे में अब धार्मिक आयोजन के लिए स्मार्टफोन का उपयोग एक नए तरीके की तकनीकी सफ़लता के कीर्तिमान गढ़ रहा है| ‘सर्वधर्म समभाव’ के देश भारत में धार्मिक आयोजन होना नयी बात नहीं है| लेकिन समस्या तब उत्पन्न होती है जब ऐसे आयोजनों में भीड़ अधिक हो जाती है और भगदड़ का कारण बनती है| ऐसे में आस्था के इन आयोजनों में श्रद्धालुओं को अपनी जान भी गंवानी पड जाती है| इन आयोजनों में आने वाली भीड़ का प्रबंधन हमेशा से ही सरकार के बाशिंदों के लिए एक मुश्किल भरा काम रहा है| देश में जब जब कोई बड़ा धार्मिक आयोजन होता है तो तब तब एक चुनौती उस राज्य की सरकार एवं सरकारी अधिकारियों के सामने होती है| भारत विश्व पटल पर धार्मिक आस्था की बहुलता वाले क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है तो विदेशी पर्यटक भी इन आयोजनों की तरफ आकर्षित होते हैं और सम्मिलित होने के लिए यहाँ आते हैं| यूँ तो हर शहर में आस्था से जुड़े आयोजन गाहे बगाहे होते रहते हैं लेकिन वृहद स्तर पर होने वाले आयोजनों में कुम्भ का नाम सबसे पहले आता है| कुम्भ , आस्था का सागर है जिसमे डुबकी लगाने लाखों-करोड़ों श्रद्धालु एक ही जगह पर इकट्ठा होते हैं| ये बारह साल साल में एक बार होने वाला आयोजन है| ऐसे में भीड़ को सम्हालने में पसीने छूट जाना लाज़मी है| 2013 में इलाहाबाद में 55 दिन तक चले महाकुम्भ में लगभग 100 करोड़ लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ करायी थी और उस कुम्भ के सबसे पवित्र दिन 10 फरवरी को लगभग 30 करोड़ लोगों ने एक साथ संगम में डुबकी लगायी थी| ज़ाहिर है कि इतने लोगों को सम्हालने के लिए कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज चाहिए होती है| वर्तमान में नासिक इस कुम्भ आयोजन का साक्षी बन रहा है लेकिन ये कुम्भ दूसरे धार्मिक आयोजनों और इससे पहले आयोजित हुए कुम्भ आयोजनों से अलग है| इस कुम्भ की सबसे खास बात है इसका भीड़ प्रबंधन का तरीका| कुम्भ में अक्सर भीड़ में, रास्तों से जुडी, और स्नान की तारीखों और समय से जुडी समस्याओं के लिए उसी भीड़ में से गुज़र कर राज्य सरकार और कुम्भ उच्चाधिकारियों द्वारा निर्धारित स्थानों पर पहुंचना होता है| ये एक तरह से भीड़ के अनियंत्रण का कारण भी बनता है और चूँकि कुम्भ में उपस्थित लगभग हर इन्सान विशेष मुहूर्त पर ही पुण्य अर्जित करने के लिए स्नान का लाभ लेना चाहता है ऐसे में भीड़ को सूचना देना बेहद मुश्किल हालत बना देता है| लेकिन वर्तमान समय में नासिक में हो रहे कुम्भ के आयोजन में ये मुश्किल थोड़ी सी आसान होती दिखती है| इस बार केवल कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि स्मार्टफोन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं| विदेशों से आये पर्यटकों और स्थानीय लोगों को जानकारी देने का जरिया बना है स्मार्टफ़ोन और कुम्भ मेले के लिए विशेष रूप से बनाये गए एप्प्स| ये एप्स लोगों को कुम्भ के धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व, शाही स्नान की तारीख, आने जाने वाले रास्ते, चिकित्सा सुविधा, डॉक्टर, दवा की उपलब्धता आदि से जुडी जानकारियां दे रहे हैं| स्मार्टफोन प्रयोग करने वालों के लिए ये एक वरदान जैसा है क्यूंकि एप्स की मदद से कम समय में और बिना भीड़ बढ़ाये सूचनाएँ दी जा सकेंगी जिससे लोग अपनी सहूलियत के अनुसार स्नान और कुम्भ में बाकी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे| टेक्नोलॉजी के भरपूर प्रयोग के कारण इसे “कुम्भाथौन” का नाम दिया गया है| इस “कुम्भाथौन” को सफल बनाने के लिए देश और दुनियां भर के एप डेवलपर, छात्र, वैज्ञानिक 6 दिन के इस कुम्भ मेले में इकट्ठा हुए हैं| मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, बोस्टन से आई टीम के साथ सम्बद्ध होकर इन एप्स का विकास किया गया है| ऐसी लगभग पांच एप्स विकसित की गयी हैं और इन एप्स के प्रयोग को बढ़ावा देने किये कुम्भ नासिक प्रयाग कैंप में मुफ्त में वाई-फाई की सुविधा भी प्रदान की जा रही है यानि कि अगर किसी कारणवश आप अपने मोबाइल के डाटा पैक का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं तब भी आपको इन एप्स के प्रयोग से वंचित नहीं होना पड़ेगा| स्मार्टफोन के आने के साथ ही इन एप्स को बढ़ावा मिला| आजकल रोज़मर्रा के भी हर एक काम के लिए एक एप मौजूद है| ऐसे में तकनीक और आस्था का ये मेल बेजोड़ है| तकनीक के द्वारा आस्था के इस पवित्र स्नान को संबल देने की कोशिश की गयी है| यह अपनी तरह का पहला प्रयोग है| इसी तरह कुम्भ के अलावा होने वाले दूसरे धार्मिक आयोजनों को भी एप्स और स्मार्टफोन से जोड़कर भीड़ प्रबंधन और भगदड़ जैसी समस्याओं से कुछ हद तक निजात पाई जा सकती है|
पांच वो एप जिन्होंने बनाया नासिक कुम्भ को एक सुहावना अनुभव
· नासिक त्र्यम्बक कुम्भ
नेबुला स्टूडियोज द्वारा विकसित यह एप सरकार का कुम्भ मेला के लिए अधिकारिक एप है |यह न केवल सारी अध्यात्मिक सूचनाएं देता है बल्कि व्यवहारिक सूचनाएं भी उपलब्ध कराता है जैसे किन रास्तों से प्रवेश होना है,घाट कहाँ –कहाँ स्थित हैं ,गाड़ियों को कहाँ खड़ा करना है |इसके अतिरिक्त यह एप यह भी बताता है कि आप को परिवहन के साधन कहाँ से मिलेंगे और पास में कहाँ ए टी एम् मशीन है |
· मेडी ट्रैकर
मेडी ट्रैकर कम्पनी द्वारा बनाया गया यह एप अमेरिका की 911 सेवा की तर्ज पर काम करता है |यह एप आपातकालीन परिस्थितयों में न केवल अस्पतालों और मेडिकल स्टोर के बारे में दिशा देता है बल्कि इसमें शामिल एलर्ट बटन आपतकालीन परिस्थितयों में मेडिकल ऑफिसर को सन्देश भी देता है |
· नासिक कुम्भ मेला गाईड 2015
माईंट्रैक सोफ्टवेयर द्वारा विकसित यह एप कुम्भ मेला के प्रतिदिन के शेड्यूल को बताता है मतलब मेले में किसी खास दिन क्या –क्या होना है |यह तिथि के हिसाब से शाही स्नान और अन्य प्रमुख दिनों के बारे में लोगों को जानकारी देता है |कोई भी व्यक्ति अपनी सुविधा के हिसाब से अपने लिए महतवपूर्ण दिनों को चुन सकता है और उन पर अलार्म लगा सकता है |इस एप के माध्यम से प्रयोगकर्ता आपातकालीन नम्बरों का प्रयोग कर सकते हैं और खोये हुए व्यक्तियों के बारे में जानकारी भेज सकते हैं |इसके अलावा आप इस एप के माध्यम से रिपोर्ट भी दर्ज करा सकते हैं |
· महाकुम्भ नासिक 2015
इम्पल्स टेक्नोलोजी द्वारा विकसित यह एप हिंदी मराठी और अंग्रजी भाषाओं में सूचना उपलब्ध कराता है |भारत जैसे बहुभाषी देश में यह एप बड़े कमाल का है |यह न केवल वायु ,रेल और सड़क परिवहन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है बल्कि यह शहर के ऑन लाइन और ऑफ लाइन मानचित्र भी उपलब्ध कराता है |नासिक शहर की सारी जानकारी इस एप में समाहित है |यह एप कुम्भ के सारे कर्मकांडों के बारे में भी सूचनाएं उपलब्ध कराता है |
· इपिमैट्रिक्स
यह एक विशेषीकृत एप है जो सबके काम का नहीं है पर यह एप नासिक कुम्भ में सबसे महत्वपूर्ण एप है |यह एक तरह का आंकड़ा संग्रहण प्लेटफोर्म है विशेषकर डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए|किसी बीमारी को फैलने से बचाने जैसे प्रयासों में यह एप बहुत कारगर है |इसके अलावा स्वास्थ्य की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों की जानकारी यह स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को उपलब्ध कराता है जिससे स्वास्थ्य सेवाओं को तुरंत उस क्षेत्र विशेश् में पहुंचाया जा सके |
क्या है मोबाईल एप
धीरे-धीरे सारी दुनिया डिजिटल दुनिया में कन्वर्ट होती जा रही है। अब वह वक़्त भी आ गया है जब लोगों पर नियंत्रण पाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाने लगा है। मोबाइल टेक्नोलॉजी के बढ़ते युग में,मोबाइल हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। एक समय हुआ करता था जब मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ कॉल करने के लिए ही किया जाता था पर अब मोबाइल को प्रयोग में लाने का दायरा बढ़ गया है। अब जिंदगी की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए मोबाइल का ही सहारा लेना पड़ता है।इसका कारण इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले एप्स हैं जिन्होंने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है।घर बैठे शॉपिंग,मोबाइल रिचार्ज, बिल जमा करना, जैसे कामों के लिए एप्स मदद करता है।बस एक टच और सारी जानकारियां आप तक पहुँच जाएंगी। मोबाइल एप का मतलब मोबाइल में मौजूद उन एप्लिकेशंस से हैं जो हमारा काम आसान कर देता है। इसके बाद हमें सर्च इंजन का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता और हम डाइरेक्ट उस वेबसाइट पर पहुँच सकते हैं जिस पर हम काम करना चाहते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि हमें कुम्भ के मेले से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करनी है तो पहले हम गूगल पर जाकर यूआरएल में टाइप करके तब पहुचेंगे पर यदि हमने नासिक कुम्भ का कोई एप डाऊनलोड कर रखा है तो डाइरेक्ट सिर्फ एक टच से हम उस तक पहुँच सकते हैं। यह हमारा काम तो आसान करता ही है साथ ही, समय की बचत भी हो जाती है।हर क्षेत्र के लोग अपनी जरूरत के हिसाब से एप का इस्तेमाल करते हैं। बिजनेस करने वाला आदमी अपने जरुरी कॉन्टेक्ट्स मेंटेन करने के लिए एप का यूज करते हैं, स्टूडेंट अपने सब्जेक्ट को लेकर जानकारी प्राप्त करने के लिए एप का इस्तेमाल करते हैं। बिजनेस में प्रॉफिट कमाने के लिए भी मोबाइल एप्स जरूरतमंद साबित हुए हैं।
तकनीक बन रही है कुम्भ प्रबंधन का नया हथियार
कुम्भ जैसे मेले में भीड़ का प्रबंधन करना एक बड़ी चुनौती है पर तकनीक के सार्थक इस्तेमाल से यह काम अब बड़ी आसानी से किया जा रहा है।आइये जानते हैं कि कैसे तकनीक को भीड़ प्रबंधन का नया हथियार बनाया जा रहा है।साथ ही अन्य तकनीकों के जरिये कुम्भ मेले को और बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है।नासिक में कुम्भ मेले के दौरान करीब 348 सीसीटीवी कैमरे लगाये गए हैं ताकि हर कोनों पर निगरानी रखी जा सके।कुम्भ के दौरान हजारों की संख्या में विदेशी टूरिस्ट्स, भक्तों का तांता लगता है ऐसे में सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।इसके लिए एप का इस्तेमाल किया जा रहा है, साथ ही जीआईएस की मदद से मैप भी तैयार किये गए हैं जिसमें शिकायतों को आसानी से ट्रैक किया जा सके और लोगों तक मेडिकल फैसिलिटी जल्द से जल्द पहुंचाई जा सके। भीड़ प्रबंधन के अलावा भी कई मुद्दों पर काम किया जा रहा है। नो सेल्फ़ी अभियान भी चलाया गया।यह अभियान सेल्फ़ी के विरोध में जागरूकता के लिए चलाया जाएगा। कई बार ऐसा होता है जब स्टूडेंट्स साधुओं के साथ सेल्फ़ी लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपलोड कर देते हैं जिससे बाकियों का ध्यान भंग हो सकता है, कई बार फोन भी शाही स्नान के दौरान पानी में गिर सकता है।इन सब बातों के सहारे सेल्फ़ी के नुक्सान बताये जा रहे हैं। टेक्नोलॉजी के जरिये लोगों को जोड़ा जा रहा है। टेक्निकल के अलावा मेकैनिकल लेवल पर भी काम किया जा रहा है। इसके तहत बड़े बड़े आयल एक्सट्रैक्टर बनाये जा रहे हैं जिसमें भक्तों द्वारा चढ़ाये जा रहे तेल को इकनोमिक कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है। भीड़ प्रबंधन के लिए बाइक शेयरिंग, कम्युनिटी रेडियो और एटीएम की भी व्यवस्था की जा रही है।
प्रभात खबर में 30/07/15 को प्रकशित लेख
1 comment:
a really good and helpful article written by Sir on crowd management at these various stages of life
really appreciable content
the article tells us about how to manage or control Crowd at these type of gatherings through various new techniques with the help of Internet and technology through various online guides and Mobile Apps mainly created only for it.
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