Thursday, September 5, 2019

शिक्षा संग बदल गए शिक्षकों के मायने

अंगरेजी की एक कहावत है Teaching is the one profession that creates all other profession.मतलब शिक्षा देना एक ऐसा व्यवसाय है जो बाकी के व्यव्स्याओं को जन्म देता है .शिक्षकों के बिना किसी भी आदर्श समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है .पिछले सत्तर सालों में देश में बहुत कुछ बदला है उसमें से एक हमारी शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक भी हैं .आज शिक्षक दिवस के बहाने ये समझने की कोशिश की जाए कि हमारी शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक कितने बदल गए और इंटरनेट एक नया शिक्षक बन कर उभरा है जो औपचारिक या अनौपचारिक  रूप से  बहुतों को शिक्षित कर रहा है .ब्लैक बोर्ड की जगह व्हाईट बोर्ड आ गए है .चाक की जगह मार्कर आ गए है . जहाँ पहले गुरुकुल प्रणाली के अंतर्गत शिक्षा दी जाती थी वहीँ आज ई लर्निग का चलन आ चुका है. घर बैठे सात समुंदर पार के शिक्षक भी हमारे शैक्षणिक विकास में सहयोग दे रहे हैं.बाईजु जैसे एप हमारे मोबाईल में शिक्षकों को ले आये हैं . गूगल के चैरिटी संगठन Google.org ने भारत में टीचर ट्रेनिंग और ऑनलाइन एजुकेशनल कंटेंट तैयार करने के लिए 20 करोड़ अनुदान देने की घोषणा की है। संगठन 2 साल में 5 लाख शिक्षकों तक पहुंच बनाने के लिए 'TheTeacherApp' को 6.7 करोड़ और स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर काम करने वाले सेंट्रल स्क्वेयर फाउंडेशन को 13.3 करोड़ अनुदान देगा. 
21वीं सदी तकनीकी की सदी  है। यह हर उस चीज का स्वागत कर रही है जो तकनीकी के विकास में सहायक है। इसका सबसे ताज़ा उदाहरण हैई लर्निंग। ई-लर्निंग यानी शिक्षा देने का इलेक्ट्रानिक तरीका. ई-लर्निंग का सबसे पहला प्रयोग वर्ष 1960 में अमेरिका में देखा गया था। जहां शिकागो में यूनिवर्सिटी ऑफ लीनियोस में क्लासरूम के सभी कंप्यूटर्स को एक सर्वर से कनेक्ट किया गया था। सभी छात्र उस कंप्यूटर को एक्सेस कर लेक्चर सुन सकते थे। यह प्रयोग बहुत ही कामयाब रहा और इसके बाद इस तरह के प्रयोग अक्सर देखने को मिले।  ई-लर्निंग के बढ़ते साधनों से अब सीखना-सिखाना काफी आसान हो गया है. स्कूलकॉलेजदफ्तर हो या घरइन नए साधनों से लोग सीखने या अपने कौशल को बेहतर बनाने में मदद ले रहे हैं. ई टेक्नोलॉजी की बदौलत कई तरह के लर्निंग मोबाइल बन रहे हैं. टिन कैन जैसे ई-लर्निंग ऐप्स के साथ अब छात्रों को तुरंत  पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए माइक्रो-क्लासेस  के रूप में पढ़ाई की सामग्री भेजी जा सकती है. ओपन एजुकेशन रिसोर्सेज (ओईआर) टीचिंग और लर्निंग के मकसद से विकसित किया जाता है और मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है. यह डिजिटाइज्ड सामग्री ओपन डेवलपमेंट की सुविधा देती है. ओईआर में विशेष एजुकेशन कोर्स और विषयडिजिटाइज्ड टेक्स्टबुकवीडियो और अन्य सामग्री शामिल हैं जिनका इस्तेमाल पढ़ाई के लिए किया जा सकता है. शिक्षा को एमओओसी (मैसिवली ओपन ऑनलाइन कोर्सेज) ने लोकप्रिय बनाया है. इस तरह की लर्निंग सोशल लर्निंग का मार्ग प्रशस्त कर रही हैजहां विषयों को लेकर कम्युनिटीज बना ली जाती हैं. छात्र दुनिया भर में दूसरे छात्रों के साथ संबंधित विषय पर चर्चा करते हैं और अपनी जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं. 
आज से कुछ साल पहले शायद यह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था कि तकनीक शिक्षा के क्षेत्र में भी इतनी क्रांति आ सकती है। लेकिन यह संभव हुआ और आज ई लर्निंग का जिस प्रकार तेजी से विस्तार हो रहा है वह हम सबके सामने है। आज जब इंटरनेट और मोबाइल हर जगह और हर किसी के हाथ में उपलब्ध है तो इस सेवा को मुहैया कराया जा सकता है। जहां कहीं इंटरनेट केबल नहीं है वहां मोबाइल तो उपलब्ध है ही। यही वजह है कि आज भारत में ई-लर्निंग की चर्चाएं गर्म हैं। सरकार से लेकर निजी संस्थान और गैर  सरकारी संस्थान भी इस दिशा में बेहतर प्रयास कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा कम कीमत में आकाश टैबलेट का वितरण किया गया था। इसके बाद तो मानो कम रेंज के टैबलेट की बाढ़ सी आ गई। इतना ही नहींटैबलेट लोगों के हाथों में आने के साथ ही कई कंपनियों ने कंटेंट के क्षेत्र में भी बेहतर काम किया है और आज ई-लर्निंग के लिए ढेर सारी एप्लिकेशन और किताबें ऑन लाइन उपलब्ध हैं। आज भारतीय बाजार में न सिर्फ आरंभिक स्तर में टैबलेट उपलब्ध हैं बल्कि स्मार्टफोन भी आम उपभोक्ता के बजट में आ चुका है। 
तकनीक ने हमारे जीने के तरीके को ही बदल दिया है। दैनिक कार्यों को आसान बनाने में इसने प्रमुख भूमिका अदा की है। इसके माध्यम से आज हर चीज हमारी पहुँच में है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में भी तकनीकी के आने से नया बदलाव आया है। मोबाइल तकनीक के माध्यम से शिक्षा को एक नई दिशा और दशा देने की कोशिश की जा रही है.परंतु हमारे देश की ये कड़वी सच्चाई यह भी है कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की अुनपस्थिती तथा बुनियादी शैक्षणिक ढांचे में बहुत कमी है। आज उच्च गुणंवत्ता वाली शिक्षा के लिये अधिक फीस देनी पड़ती हैजो सामान्य वर्ग के लिये एक सपना होती है। लिहाज़ा एक बहुत बड़ा बच्चों का वर्ग उचित शिक्षा के अभाव में रास्ता भटक जाता है. शिक्षासेवाभाव के दायरे से निकलकर आर्थिक दृष्टी से लाभ कमाने की ओर जा रही  है। जबकी शिक्षकों की जिम्मेदारी तो इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उनको  बच्चों के सामने ऐसा आदर्श बनकर प्रस्तुत होना होता हैजिसका अनुसरण करके छात्र/छात्राओं का शैक्षणिक विकास ही नही बल्कि  नैतिक विकास भी हो. देश में प्रतिभावान विद्यार्थियों की कोई कमी नही है जरूरत है उन्हे तराशने और मूल्य आधारित शिक्षा के प्रकाश से आगे बढाने  की.
दैनिक जागरण /आइ नेक्स्ट में 05/09/19 को प्रकाशित 

1 comment:

Rohit Singh Suryavanshi said...

सर स्वयं एवं प्रेरणा एप्प किस भूमिका में है?

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