Friday, September 20, 2019

ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे

पिछले दिनों मैंने जिंदगी का एक नया रंग देखा . हुआ यूँ कि करीब पच्चीस साल के बाद अपने पुराने स्कूल जाना हुआ.वो भी बगैर किसी कारण बस दिल ने कहा चलो और मैं चला गया उस शहर जहाँ मैंने अपनी जिन्दगी के बेहतरीन साल गुजारे थे. वहाँ मुझे अपना एक सबसे प्यारा दोस्त  मिला जिसे मैंने पिछले पच्चीस  साल से न  देखा था और न ही बात की थी. ये अलग बात है कि वो स्कूल के दिनों का मेरा सबसे अच्छा दोस्त था. उस दोस्त ने   फेस बुक पर जाने से कुछ ही दिन पहले मुझे खोज लिया. जब मैं वहां पहुंचा तो इंसानी रिश्ते का एक नया रंग देखा वो था दोस्ती.

उसके प्यार और अपनत्व के आगे मुझे अपने का रिश्ते फीके से लगे . जिंदगी में हमारे पैदा होते ही ज्यादातर रिश्ते हमें बने बनाये मिलते हैं और उसमे अपनी पसंद  का कोई मतलब ही  नहीं रहता लेकिन दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता होता है जिसे हम अपने जीवन  में खुद बनाते हैं.  वैसे हमारी  फिल्मों ने प्यार और मोहब्बत के बाद किसी मुद्दे पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है वो दोस्ती है. “जाने तू या जाने न”  “रॉक ऑन”, “दिल चाहता है” और 'रंग दे बसंती' जैसी फिल्मों में दोस्ती को ही मुख्य आधार बनाया गया है. लेकिन  दोस्तों को दुआ देता  ये गाना जब आप सुनेंगे तो निश्चित ही आपको अपने सबसे अच्छे दोस्त की याद आ ही जायेगी.  “एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है दोस्तों ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों” (फिल्म :गबन ) इस दुनिया में शायद ही ऐसा कोई इंसान होगा जो अपने दोस्तों का एहसान न मानता हो क्या कहेंगे आप दोस्ती यानी एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें प्यार, तकरार, इजहार, इंकार, स्वीकार जैसे सभी भावों का मिश्रण  है .जब दोस्ती पर गानों की बात चली है तो सबसे ज्यादा चर्चित गाना शोले का ही हुआ “ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे ,छोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे” .

दोस्ती है ही रिश्ता ऐसा न इसके लिए न समाज की स्वीकृति चाहिए और न ही मान्यताओं और परम्पराओं का सहारा तभी तो कहा गया है. “बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा सलामत रहे दोस्ताना हमारा” (दोस्ताना ).  जरा सोचिये बगैर दोस्ती के हमारा जीवन कैसा होता आफिस ,स्कूल , सिनेमा हाल , रेस्टोरेंट बगैर दोस्तों के कैसे लगते अगर नहीं समझ पा रहे हों तो अपने स्कूल का पहला दिन याद कीजिये जब आपका कोई दोस्त नहीं था या किसी दिन अकेले कोई फिल्म देखने चले जाइए और उसके बाद कहीं बाहर अकेले खाना कहिये फिल्म:खुदगर्ज़ का ये गाना शायद इसी विचार को आगे बढ़ा रहा है “दोस्ती का नाम जिंदगी”, पर कभी ऐसा भी हो सकता है कि आपको दोस्ती करनी पड़ती है तो उस मौके के लिए भी गाना है “हम से तुम दोस्ती कर लो ये हसीं गलती कर लो “ (नरसिम्हा ).

                जिंदगी में रिश्ते हमेशा एक जैसे नहीं होते और ये बात दोस्ती पर भी लागू होती है कभी दोस्तों के चुनाव में भी गलती हो जाती है या गलतफहमियों से दोस्तों से दूरी हो जाती है और तब जो होता उसको बयां करता है ये गाना “दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है उम्र भर का गम हमें इनाम दिया है” (आखिर क्यों ). खैर हर रिश्ता कभी भी एक जैसा नहीं होता और वो बात दोस्ती पर भी लागू होती है  फिर आजकल की भागती दौडती दुनिया में अक्सर इस बात को दोष दिया जाता है कि इस से रिश्तों की संवेदनाएं खतम हो रही हैं पर एक रिश्ता तेज रफ़्तार  दुनिया में आज भी बचा हुआ है. वो है दोस्ती क्योंकि ये कुछ मांग नहीं करता. दोस्त , दोस्त होते हैं ये शिकायत हो सकती है कि समय की कमी है पर जब दोस्त मिलते हैं तो दोस्ती फिर से जवान हो जाती है.
प्रभात खबर में 20/09/19 को प्रकाशित 

2 comments:

अनीता सैनी said...

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21-09-2019) को " इक मुठ्ठी उजाला "(चर्चा अंक- 3465) पर भी होगी।


चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी

मन की वीणा said...

बहुत गहराई तक आपने व्याख्या की है हर पहलू पर गहन दृष्टि बहुत सुंदर सार्थक लेख।

पसंद आया हो तो