कोरोना काल बहुत से बदलाव का वाहक बना |ऐसे वक्त में जब कुछ समय के लिए देश लगभग रुक सा गया था तब लोगों ने समय बिताने के लिए इंटरनेट पर नए नए तरीके ढूंढे| ज्यादातर तस्वीरों और वीडियो से भरा रहने वाली सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर इन दिनों आवाज यानि साउंड का भी जोर बढ़ा और स्ट्रीमिंग में भी एक विकल्प के तौर पर आवाज के जादू से भी लोग परिचित हुए ||देश में लोगों ने संगीत सुनने के लिए रेडियो और टेलीविजन पर परंपरागत रूप से भरोसा किया है, अब समय बदल रहा है, लोग संगीत स्ट्रीमिंग सेवाओं का उपयोग करने लगे है | आज के समय में इनकी श्रोता संख्या 200 मिलियन से अधिक हैं | इंटरनेट पर ऑडियो फाइल को साझा करना पॉडकास्ट के नाम से जानाजाता है। पॉडकास्ट दो शब्दों के मिलन से बना है| जिसमें पहला हैं प्लेयेबल ऑन डिमांड (पॉड) और दूसरा ब्रॉडकास्ट । नीमन लैब के एक शोध के अनुसार, वर्ष 2016 में अमेरिका में पॉडकास्ट (इंटरनेट पर ध्वनि के माध्यम से विचार या सूचना देना) के प्रयोगकर्ताओं की संख्या में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। जिसके वर्ष 2020 तक लगातार पच्चीस प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की उम्मीद है। इस वृद्धि दर से वर्ष 2020 तक पॉडकास्टिंग से होने वाली आमदनी पांच सौ मिलियन डॉलर के करीब पहुंच जाएगी। पॉडकास्टिंग की शुरुआत हालांकि एक छोटे माध्यम के रूप में हुई थी, पर अब यह एक संपूर्ण डिजिटल उद्योग का रूप धारण करता जा रहा है।भारत में पॉडकास्टिंग के जड़ें न जमा पाने के कारण हैं ध्वनि के रूप में सिर्फ फिल्मी गाने सुनने की परंपरा और श्रव्य की अन्य विधाओं से परिचित ही नहीं हो पाना रहा है ।देश में आवाज के माध्यम के रूप में रेडियो ने टीवी के आगमन से पहले अपनी जड़ें जमा ली थीं पर भारत में रेडियो सिर्फ संगीत रेडियो का पर्याय बनकर रह गया और टाक रेडियो में बदल नहीं पाया है | तथ्य यह भी है कि सांस्कृतिक रूप से एक आम भारतीय का सामाजीकरण सिर्फ फ़िल्मी गाने और क्रिकेट कमेंट्री सुनते हुए होता है जिसकी परम्परा पारंपरिक रेडियो से शुरू होकर निजी ऍफ़ एम् स्टेशन होते हुए इंटरनेट की दुनिया तक पहुँची है |अब यह परिद्रश्य तेजी से बदल रहा है |
वर्तमान में, भारत के लगभग 500 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से केवल 40 मिलियन ही पॉडकास्ट सुनते हैं | हालांकि, संख्या तेजी से बढ़ रही है | 2018 में, भारत में पॉडकास्ट के श्रोताओं में लगभग 60% वृद्धि हुई थी | जिस कारण मुक़ाबलेबाज़ी बड़ रही है | ऑनलाइन मंचों पर पहले से ही 98% ऐप स्क्रीन टाइम के लिए लड़ रहे हैं | और कुछ सब से बेहतर देखाने की होड़ लगी है | ऑनलाइन म्यूजिक और पॉडकास्ट स्ट्रीमिंग बाज़ार काफी तेजी से बढ़ रहा है | मूल रूप से लक्षित मेट्रो शहरों के बाद अब देश में OTT म्यूजिक स्ट्रीमिंग ऐप अब टियर 2 और 3 शहरों में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है | दरसल आँकड़े भी इस तथ्य को पूरा समर्थन देते हैं, जैसा कि Spotify द्वारा पिछली दीपवाली पर जारी रिपोर्टों में बताया गया कि बिहार में सबसे ज्यादा त्यौहार आधारित म्यूजिक स्ट्रीमिंग का चलन नज़र आया | और अब ऑडियो और म्यूजिक स्ट्रीमिंग की इस बढ़ते बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी को भी जगह दिलाने के मकसद से मुंबई स्थित पॉडकास्ट स्टार्टअप कुकू ऍफ़ एम् ने भी क्षेत्रीय भाषाओँ में पॉडकास्ट और लंबे समय के ऑडियो कंटेंट के साथ कदम रखा है |
आईआईटी के पूर्व छात्र लाल चंद बिसु, विनोद मीणा और विकास गोयल द्वारा 2018 में स्थापित कुकू ऍफ़ एम् एक पॉडकास्ट मंच है जो श्रोताओं को नए, उभरते और विविध ऑडियो कंटेंट की खोज करने और रचनाकारों के साथ जुड़ने की अनुमति देकर पारंपरिक रेडियो को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है | आज यह कहना ग़लत नहीं हो गया कि ऑडियो स्ट्रीमिंग भारत में पहले की तरह बढ़ रही है | वास्तव में, भारतीय ऑडियो सामग्री के लिए इतने भूखे हैं कि वे संगीत सुनने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी वीडियो-स्ट्रीमिंग साइट, यू ट्यूब का उपयोग कर रहे हैं | जैसे-जैसे इंटरनेट और स्मार्टफोन की पैठ बढ़ती है, विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक ऑडियो सामग्री लेने वाले मिल जाएंगे | 2019 में, भारत के संगीत स्ट्रीमिंग सेगमेंट में स्टॉकहोम-आधारित संगीत स्ट्रीमिंग ऐप स्पोटी फाई को फरवरी में लॉन्च किया गया जिससे प्रतिस्पर्धा में तेज आ गई और तीन सप्ताह से भी कम समय के बाद, गूगल के स्वामित्व वाला यू टयूब भी जंग में कूद पड़ा | अब विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में ऑडियो स्ट्रीमिंग सेगमेंट के विस्तार के साथ-साथ पॉडकास्ट एक महत्वपूर्ण गेम चेनजर साबित हो सकता है |
हालांकि पॉडकास्ट शब्द भारत के लिए नया है, लेकिन देश पॉडकास्टिंग की अवधारणा से काफी परिचित है | रेडियो और समाचार प्रकाशकों जैसे पारंपरिक चैनलों ने भारत में पॉडकास्ट को सबसे पहले प्रोत्साहित किया | और अब असंख्य कंपनियां और व्यक्ति भारतीय संगीत पर मंडरा रहे हैं | टाइम्स इंटरनेट के स्वामित्व वाली भारत की एक दशक पुरानी संगीत स्ट्रीमिंग सेवा, गाना हाल ही में देश में 150 मिलियन से अधिक मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं की पहचान करने वाली पहली संगीत सेवा बन गई। गाना के निकटतम प्रतिद्वंद्वी, जीयो सावन के भारत में सौ मिलियन से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं | 2016 में रिलायंस के Jio सिम की शुरुआत के बाद, जिसके कारण मोबाइल डेटा की कीमतों में भारी गिरावट आई, जिससे ये ऐप तेजी से उपयोगकर्ताओं को प्राप्त करना शुरू कर दिया | उस विकास ने पिछले कुछ वर्षों में यू टयूब म्यूजिक ,अमेजन प्राईम और स्पोटीफाई जैसे वैश्विक खिलाड़ियों को आकर्षित किया है | अब कुछ एक सालों से हालत यह है कि भारत में, ऑडीयो बूम में हर महीने 3.5 मिलियन की रफ़्तार से बढ़ रहा है | भारत में इसके तीन-चौथाई श्रोता 18-34 वर्ष आयु वर्ग में आते हैं | जहां तक भारत का सवाल है यहाँ हर दर्शक वर्ग का ख्याल यह ऑडीयो बूम रख रहा है | व्यवसाय, हॉरर, और बच्चों के पॉडकास्ट भी अच्छा कंटेंट पेश कर रहे हैं, अगर आप धार्मिक मानसिकता के है तो भक्ति श्रेणी, जिसमें हिंदू धार्मिक पाठ भगवद गीता और रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य भी शामिल हैं इस लिस्ट में | भारत जैसे देश में ध्वनि व्यवसाय के लिए संभावनाएं कितनी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि देश में भले ध्वनि समाचारों के लिए आकाशवाणी का एकाधिकार है |सरकार इस एकाधिकार को निकट भविष्य में प्राइवेट रेडियो ऍफ़ एम् के साथ साझा करने के मूड में नहीं दिखती ऐसे में रेडियो का विचार और मानवीय अभिरुची विषयक कंटेंट का क्षेत्र व्यवसाय के रूप में एकदमखाली पड़ा है |पॉडकास्ट उस खालीपन को भरकर देश के ध्वनि उद्योग में क्रांति कर सकता है और रेडियो संचारकों को अपनी बात नए तरीके से कहने का विकल्प दे सकती है |
दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में 10/10/2020 को प्रकाशित