आराम भला किसे नहीं पसंद होता और जब भी आराम की बात होती है सोना या नींद सबसे ऊपर होती है. वैसे अगर नींद न आ रही हो तो पहला समाधान यही दिया जाता है की दिमाग शांत करके कोई अच्छा सा गाना सुन लीजिए नींद आ जायेगी. अगर गाना नींद से ही संबंधित हो तो क्या कहने. जरा अपने बचपन को याद कीजिये, जब मां हमें सुलाने के लिए लोरी गाया करती थीं और हम मीठी नींद सो जाया करते थे. अच्छी नींद और गानों का पुराना संबंध रहा है. ऐसे में सोते वक्त ये गाना कैसा रहेगा “कोई गाता, मैं सो जाता”-(फिल्म-आलाप). हमारे मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध नींद से होता है. अगर आप बहुत प्रसन्न हैं, तो चैन की नींद आयेगी, नहीं तो आपकी रातों की नींद उड़ जायेगी. अब प्रसन्न होने की शर्त तो बहुत बड़ी है भई. जब ऑफिस से लेकर घर तक काम के दबाव हों, जब सरकारें अपनी मनमर्जी कर रही हों, हमारी मर्जी से चुने जाने के बावजूद. जब महंगाई रात-दिन हमारा मजाक उड़ा रही हो, जब करप्शन मुंह फाड़े हमें निगलने को तैयार बैठा हो. जब पूरा शहर विकास के नाम पर खुदा पड़ा हो तो हम प्रसन्न कैसे हो सकते हैं. खैर, मैं कुछ ज्यादा ही भावुक हो गया. नींद पर लौटता हूं. नींद आना और नींद का उड़ जाना सामान्य स्थितियों में हमारे डेली रूटीन पर डिपेंड करता है. अब अगर आप इस गाने की फिलॉसफी पर भरोसा करेंगे कि बम्बई से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करो रात को खाओ-पियो, दिन को आराम करो तो निश्चित ही नींद उड़ जायेगी और आप अनिद्रा रोग के शिकार हो जायेंगे. किसी काम में मन नहीं लगेगा और दिन भर आप उनींदे से रहेंगे. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर अच्छी नींद लेनी है तो दिन में खूब काम कीजिये और रात को आराम कीजिये नहीं तो आप सारी रात चांद को देखते हुए बिता देंगे. नींद और ख्वाब एक दूजे के लिए ही बने हैं पर ख्वाबों में जागते रहना, बेख्वाब सोने से अच्छा है. यूं ख्वाबों का बड़ा गहरा रोमैन्टिसिज़्म है, लेकिन असलियत ये है कि जब नींद गहरी हो और सपनों-वपनों की इसमें कोई गुंजाइश तक न हो तो सबसे अच्छा है. क्योंकि अगर नींद में लगातार सपने आ रहे हैं तो अच्छी बात नहीं है. ज्यादा सपने देखने का मतलब नींद की सेहत ठीक नहीं है. क्यों आजकल नींद कम ख्वाब ज्यादा हैं (फिल्म-वो लम्हे). हमारी सुबह सुहानी हो इसके लिए जरूरी है हम रात में अच्छी नींद लें. मीठी प्यारी नींद जो हमें हल्का महसूस कराये. सुबह आंख खुलते ही यह गाना अगर हमारे कानों में पड़े तो दिन की शुरुआत इससे बेहतर भला और क्या हो सकती है. “निंदिया से जागी बहार ऐसा मौसम देखा पहली बार”(हीरो). लेकिन नींद के कई दुश्मन हैं स्ट्रेस, टेंशन. ये सब तब होता है जब हम अपनी प्रजेंट सिचुएशन से संतुष्ट नहीं हो पाते या कोई काम हमारे मन का नहीं होता. इसी वजह से जिंदगी में परेशानी होती है और नींद उड़ जाती है. वैसे डॉक्टर्स बताते हैं कि अच्छी नींद के लिये जरूरी है कि रात का खाना थोड़ा जल्दी खा लिया जाए. रात को नहाकर सोने से भी नींद अच्छी आ सकती है. हां, सोने से पहले टीवी देखना या कम्प्यूटर पर काम करने से बचें. सोते वक्त कुछ पढ़ने की आदत भी भली है. लेकिन अगर इन सब उपायों के बाद भी नींद उड़ी ही रहे तो डॉक्टर के पास ही जाना पड़ेगा. सबसे अच्छा तो यही होगा कि हमें डॉक्टर की जरूरत ही न पड़े. इधर हम बिस्तर की ओर बढ़ें और उधर नींद हमारी तरफ.
प्रभात खबर में 01/12/2021 को प्रकाशित
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