यह तीव्र परिवर्तन का दौर है। हर दूसरे पल हमारी पीढी एक नए बदलाव की साक्षी बन जाती है। जिस तेजी से दुनिया बदल रही है उसी तेजी से टेलीविजन भी ,भारत के पहले सोप ऑपेरा हम लोग से जो बदलाव का सफर शुरू हुआ वो लगातार जारी है कथ्य और प्रस्तुतिकरण में अभिनव प्रयोग होते रहे पर अब इन प्रयोगों का केंद्र धारावाहिकों के काल्पनिक चरित्र नहीं बल्कि हम लोग खुद हैं यानि दर्शक अब मात्र दर्शक न होकर अभिनेता भी हो गया है .इन रियल्टी शो ने भारतीय टेलीविजन के परदे को हमेशा के लिए बदल दिया ये शादियाँ करा रहे हैं लोगों को मिला रहे हैं उनकी समस्याएं सुलझा रहे हैं नयी प्रतिभाओं को सामने ला रहे हैं यानि घर के बड़े बूढ़े से लेकर यार दोस्त तक सभी भूमिकाओं को ये बुद्धू बक्सा बखूबी निभा रहा है .दर्शक इनको लेकर कभी हाँ ,कभी ना वाली स्थिति में हैं ये इन्हें स्वीकारना भी चाहते हैं और नहीं भी एक दर्शक के तौर पर वो संक्रमण की स्थिति में हैं . अगर हम थोडा सा पीछे मुडकर टेलीविजन जगत का इतिहास रचने वाले इन रियलिटी शोज के इतिहाज पर नजर डालें तो भारत में इनका सफर अभी दो दशक से भी कम समय का है। भारत के पहले रियलिटी शो का श्रेय अंताक्षरी कार्यक्रम को प्राप्त है। 3सितम्बर 1993 को शुरू हुए इस शो के करीब 600 एपीसोड दर्शकों तक पहुंचे और हजारों प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया। इस शो को भारतीय तौर तरीकों के लिहाज से तैयार किया गया अैर इसके बाद ही दुनिया के सामने साबित हुआ कि इस तरह के कार्यक्रम तैयार करने और प्रसारित करने के लिए तैयार है अैर इसके दर्शक भी इसके लिए तैयार हैं।1995 में भारतीय दर्शकों से रूबरू हुआ संगीत की सरगम पर आधारित कार्यक्रम सारेगामापा। सारेगामापा ने न सिर्फ दर्शकों को एक नया अहसास दिया बल्कि भारतीय सिने और संगीत जगत को कुछ अच्छी प्रतिभाएं भी दी . वर्ष 2000 में टेलीविजन के छोटे पर्दे पर अवतरित हुए कौन बनेगा करोडपति ने छोटे पर्दे को लोकप्रियता के उस पायदान पर ले गया कि छोटा पर्दा छोटा न रह गया। सदी के महानायक और सिनेजगत के एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन की शो में मौजूदगी और दर्शकों से उनके संवाद ने कार्यक्रम को कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचा दिया। फिर शुरू हुआ टी वी चैनलों पर रियलिटी शोज की एक बाढ सी आ गई और यहीं से शुरू हुआ चैनलों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा का दौर। हर चैनल ने दर्शकों को अपनी ओर मोड़ने और टीआरपी बढाने के लिए केबीसी की तरह का एक गेम शो लांच किया इसमें दस का दम, सवाल दस करोड का, जैसे तमाम सारे नाम शामिल हैं पर वह सफलता किसी को नसीब नहीं हुई जो केबीसी को मिली थी। भारतीय रियलिटी शो की चर्चा के दौरान हमें एक और मील का पत्थर दिखता हैं इंडियन आइडल। भारत के कोने कोने से संगीत की छुपी प्रतिभाओं को सामने लाने में इसकी उल्लेखनीय भूमिका है .बात गेम शो और संगीत के कार्यक्रमों तक सीमित रहती तो ठीक रहता
पर टीवी जिस तरह धीरे धीरे ड्राइंग रूम से होता हमारे बेड रूम में पहुँच गया उसी तरह इन रियल्टी शो के कार्यक्रम कंटेंट हमारे निजी जीवन में तांक झाँक करने लग गए जिसमे सच का सामना , राखी का स्वयम्वर ,इमोशनल अत्याचार , स्प्लिट्सविला और बिगबॉस जैसे धारावाहिक शामिल हैं और यहीं से शुरू हुआ इस तरह के कार्यक्रमों की आलोचना का दौर पर उससे पहले ये समझना ये आवश्यक है इन रियल्टी शो की बाढ़ वर्ष २००० के बाद ही क्यों आयी भारत में उदारीकरण की शुरुवात और निजी सेटेलाईट चैनल की शुरुवात लगभग आस पास ही रही है यानि बाजार आने वाले दिनों में एक बड़ी भूमिका निभाने वाला था और ऐसा हुआ भी पहले दर्शक उपभोक्ता में तब्दील नहीं हुआ था दूरदर्शन के पास ना तो बाजार का दबाव था ना किसी अन्य चैनल से प्रतिस्पर्धा और शायद इसी लिए 1984 से 1994 तक का दौर कार्यक्रमों की गुणवत्ता और विविधता के हिसाब से टेलीविजन का स्वर्णिम दौर था पर धीरे धीरे दर्शक उपभोक्ता में तब्दील होते गए और कार्यक्रमों में विविधता के दबाव के फलस्वरूप रियल्टी के नाम पर क्या कुछ दिखाया जा सकता है होड इस बात पर लगी है चूँकि सब कुछ बाजार निर्धारित कर रहा है इसलिए मूल्य और नैतिकता की बात बेमानी है गिरावट हर जगह है पर समाज की गिरावट जब इन रीयल्टी शो के जरिये दुबारा हम तक पहुंचती है तब उसे पचा पाना एक दर्शक के तौर पर हमारे लिए मुश्किल होता है ये फील गुड फैकटर अक्सर इन रीयल्टी शो की आलोचनाओं का कारण बनता है .
इन रीयल्टी शो के लोकप्रियता की कहानी भारत में मोबाईल क्रांति से भी जुडी हुई है क्योंकि इन शो की आमदनी का एक बड़ा जरिया दर्शकों द्वारा किये गए एस एम् एस से आता है जैसे जैसे भारत में मोबाईल का प्रयोग बढ़ा इन रीयल्टी शो की बाढ़ सी आ गयी है .पर कुछ अच्छे संकेत भी हैं डिस्कवरी ,नेशनल ज्योग्राफिक ,टी एल सी जैसे चैनल सभ्यता और संस्कृति के नए फ्यूजन रचने में लगे हैं वो नए पर्यटन स्थलों की जानकारी हो या खान पान ऐसी अनेक जानकारी हमारे आस पास के लोग हमें पहुँचाने में लगे हैं हिस्ट्री जैसे चैनल इतिहास को दुबारा जीवंत बना रहे हैं .टेलीविजन पर अपनी सफलता का परचम लहराने के बाद ये रियलिटी शो इंटरनेट की दुनिया में अपनी जोर आजमाइश करने की कवायद में है। टेलीविजन पर रियलिटी शोज की अपार सफलता को देखने के बाद इसे आनलाइन लाने की पहल करने का श्रेय मिला एमटीवी को जिसने इन डॉट कॉम के साथ मिलकर भारत में चौबीसों घंटें चलने वाले ऑनलाइन रियलिटी शो की शुरूआत की। हाल ही में जुलाई में आइडिया द्वारा प्रायोजित ऑनलाइन रियलिटी शो ने अपना पहला चरण पूरा किया और इसकी सफलता को अप्रत्याशित तो नहीं पर उम्मीद जगाने वाला माना गया.रीयल्टी शो खूब आ रहे हैं पर रीयल्टी के नाम पर कितना और क्या दिखाया जा सकता है इसकी लक्ष्मण रेखा अभी भी बाजार निर्धारित कर रहा है यह जरुर एक चिंतनीय प्रश्न है जिसका उत्तर मिलना अभी बाकी है .6/12/11 को अमर उजाला कॉम्पेक्ट में प्रकाशित लेख
4 comments:
sundar prastuti sir ji......
मैंने सुबह ही पढ़ लिया था,सामयिक -बढ़िया लेख.
sir kya khoob likha hai aap ne sunder atisunder.
sir bhaut khoob likha hai app ne.
mai apse hi likhna seekh rahi hu.....
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